शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

क्या कभी देखा है आपने ऐसा VIP रथ ?

यात्राओं के दौरान कभी कभी बड़े मज़ेदार दृश्य दिखने को मिल जाते हैं। ऐसा ही एक दृश्य मुझे झारखंड के एक रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला। पर इससे पहले इस चित्र से आपको रूबरू कराऊँ, पहले आप ये बताएँ कि 'रथ' शब्द आपके मन में किस तरह की सवारी का खाका खींचता है?

मेरी याद में तो सबसे पहला दृश्य वो उभरता है जो अमर चित्र कथा के पन्नों पर शायद उसकी हर उस कॉमिक्स में मौजूद रहता था जिसमें राजा महाराजाओं और देवता का जिक़्र होता था। स्वर्णजड़ित सुनहरे गुम्बद के नीचे बैठे नरेश और अश्वों को हाँकता उनका सारथी। बचपन क्या अस्सी के दशक तक मैं तो रथ के इस खाके से बाहर नहीं निकल पाया। पर हमारे आडवाणी जी ने राम मंदिर आंदोलन में पहली बार एक वातुनुकुल वॉन को एक रथ का नाम देकर इस शब्द की एक अलग ही पहचान बना दी। रथ यात्रा ने भाजपा को चुनाव में सफलता क्या दी, देश का हर छोटा बड़ा नेता तरह तरह के तथाकथित रथों पर सवार हो कर यात्राएँ करने लगा।

पर पिछले महिने जब बोकारो रेलवे स्टेशन पर मैंने इन सज्जन का रथ देखा तो रथ के बारे में मेरी सारी नयी पुरानी अवधारणाएँ बदल गयीं। अब आप भी देखिए ना इस नए तरह के VIP रथ को :)...

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

34 वें राष्ट्रीय खेलों का अंततोगत्वा आरंभ : झारखंड में आपका स्वागत है!

आख़िर तीन सालों की प्रतीक्षा के बाद नेशनल गेम्स यानि राष्ट्रीय खेल अगले हफ्ते से राँची में शुरु हो जाएँगे। राँची के आलावा जमशेदपुर और धनबाद भी इन खेलों की सह मेजबानी कर रहे हैं। पिछले तीन सालों में इन खेलों की तिथियाँ इतनी बार बढ़ाई गयीं कि लोगों के लिए राष्ट्रीय खेल एक मजाक का विषय बन गए। पर करोड़ों रुपये लगाकर देर सबेर जो स्टेडियम तैयार हुए वो वाकई विश्वस्तरीय हैं। दो साल पहले इन स्टेडियमों के बनते वक़्त मैंने आपको खेल परिसर की झलकियाँ दिखाई थीं। आज जबकि राष्ट्रीय खेलों के आरंभ में बस एक दिन का समय शेष रह गया है आपको मुख्य स्टेडियम और कुछ और खेल परिसरों की छोटी सी झांकी दिखाना चाहता हूँ कुछ नए और कुछ पुराने चित्रों के साथ।



राष्ट्रीय खेलों का शुभंकर है 'छउवा' जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ होता है 'छोटा लड़का'। दिखने में हिरण की तरह ये शुभंकर राँची के गली कूचों में अपनी झलक दिखला कर लोगों को राष्टरीय खेलों में शिरक़त करने के लिए आमंत्रित कर रहा है।


झारखंड के जन्म के बाद ये इस राज्य के लिए अपनी तरह का पहला आयोजन है। इसी वज़ह से सरकार और नगरवासी इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। सारे चौक चौबारों को साफ सुथरा और दुरुस्त किया जा रहा है़। खेलों के नाम पर कई अतिक्रमणों को आनन फानन में तोड़ डाला गया है। शहर की लचर ट्राफिक व्यवस्था खेलों के दौरान सबसे ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर सकती है। कल जब खेलों का उद्घाटन शुरु होगा तो सही अर्थों में ट्राफिक नियंत्रण करने वाले पदाधिकारियों के लिए अग्नि परीक्षा का समय होगा।

महेंद्र सिंह धोनी जो हमारे राँची की शान हैं की विश्व कप के अभ्यास की वज़ह से शहर में अनुपस्थिति लोगों को खल रही है। पर धोनी वादा कर के गए हैं कि बोर्ड से अनुमति मिलने पर अपने खिलाड़ियों की हौसला अफ़जाही करने वे जरूर आएँगे। जैसे जैसे खिलाड़ियों की टोलियाँ राँची में कदम रख रही हैं लोगों का खेलों के प्रति उत्साह बढ़ रहा है।

तो चलें खेल परिसरों की सैर पर । ये है गणपत राय इनडोर स्टेडियम। यहाँ जिमनास्टिक के मुकाबले होंगे।


और ये है टेनिस स्टेडियम का सेंटर कोर्ट। पास ही साइकलिंग के लिए वेलोड्रोम भी बना है।
अब चलें मुख्य स्टेडियम की तरफ़। ये चित्र मैंने पिछले साल लिए थे। रंग बिरंगी कुर्सियों के बीच इस विशाल मैदान में घास की हरी चादर को देखना एक अविस्मरणीय अनुभव था। तब वहाँ फ्लडलाइट्स लग रही थीं। स्कोरबोर्ड और स्टैंड्स के ऊपर की छत का लगना तब बाकी था।



पर अब ये सारे काम पूरे हो चुके हैं। दूधिया रोशनी में नहाए हुए स्टेडियम की छटा तो हमने दूर से ही देखी है चूंकि अब परिसर में प्रवेश वर्जित है। पर राष्ट्रीय खेलों के लिए बनाए गए जालपृष्ठ पर मुख्य स्टेडियम का नज़ारा कुछ यूँ दिखता है।





है ना नयनाभिराम दृश्य। तो देर किस बात की। अगर झारखंड की ओर आने का आपका कार्यक्रम है तो यहाँ आने का इससे बेहतर अवसर आपके लिए दूसरा नहीं हो सकता। भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर आपका स्वागत है!