सोमवार, 18 जुलाई 2016

वो शामें, वो मौसम, नदी का किनारा..वो चंचल हवा ...A drive along Niagara River !

बारिश का मौसम पूरे शबाब पर है। रुक रुक थम थम कर पानी की फुहारें तन मन में शीतलता का संचार कर रही हैं।। बरखा रुकती भी है तो ठंडी हवाओं के झोंके आ कर दिल को सहला जाते हैं। मन भी है कि उड़ चला है पुरानी यादों की तरफ़ और आँखों के सामने उभरने लगी है वो शाम जब आकाश में काले बादल धूप के साथ आँख मिचौनी का खेल खेल कर रहे थे नीचे इक नदी का नीला आँचल था जिसे हरे भरे पेड़ों ने अपनी बाहों में थाम रखा था। तो आइए उस मंज़र को सजीव करें आज के इस फोटो फीचर में.. 

गर्मी में ओंटोरियो की हरियाली देखते ही बनती है।

वो शाम कनाडा की थी. नियाग्रा से हमें दो दिन बाद ही टोरंटो के लिए निकलना था। मई महीने का आखिरी हफ्ता था।  शाम को जब अपना काम निबटाकर घूमने की फुर्सत मिली तो पौने सात बज रहे थे। पर बाहर दिन शाम को पास फटकने भी नहीं दे रहा था। हमारे होस्ट ने सुझाया कि चलिए आपको नियाग्रा नदी के साथ साथ एक लम्बी  ड्राइव पर ले चलें। आफिस से थक हार कर निकल रहे लोगों के लिए इससे अच्छा प्रस्ताव क्या होगा भला तो हम सहर्ष ही उनके साथ निकल पड़े।

ये है नियाग्रा नदी का रास्ता..

नियाग्रा नदी ज्यादा लंबी नदी नहीं है। इसकी कुल लंबाई साठ किमी से भी कम है। ये लेक एरी से निकलती है और दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई लेक ओंटेरियो में जा मिलती है। इसके पश्चिमी तट पर कनाडा का ओंटेरियो  है और पूर्वी तट से सटा अमेरिका का न्यूयार्क राज्य।

वो शामें, वो मौसम, नदी का किनारा..वो चंचल हवा

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

शिमला और उसका ब्रिटिश अतीत... Shimla and its British legacy

वैसे तो ब्रिटिश लोगों ने हिमालय से सटे राज्यों में कई पर्वतीय स्थलों को सजाया सँवारा पर इतिहास की किताबों में इनमें जिस हिल स्टेशन का सबसे ज़्यादा उल्लेख हुआ वो था शिमला। तिब्बत का मामला हो या भारत पाकिस्तान के बीच बातचीत, शिमला में समझौते दर्ज होते रहे और इतिहास की पुस्तकों के माध्यम से हम उन्हें याद करते रहे।  हिमाचल के ज्यादातर हिस्से कभी नेपाली तो कभी पंजाबी शासकों के प्रभाव में रहे पर शिमला जिस रूप में आज है उसकी नींव रखने का श्रेय अंग्रेजों को ही जाता है। 
Christ Church, Shimla
 चित्र सौजन्य
जब हिंदुस्तान के मैदानों की गर्मी से निज़ात पाने अंग्रेज यहाँ पहुँचे तो शिमला एक छोटा सा गाँव भर था जहाँ  जाखू पर्वत पर एक मंदिर हुआ करता था। शिमला का नाम भी यहाँ पूजी जाने वाली श्यामला देवी के नाम से पड़ा था। लगभग 1820 ई के बाद से अंग्रेज हुक्मरानों का यहाँ गर्मियों में तफ़रीह के लिये आने जाने का सिलसिला शुरु हुआ। आज़ादी के पहले की दो तारीखें  शिमला के आज के अस्तित्व में काफी मायने रखती हैं। पहली तो 1863 की जब लार्ड विलियम बेंटिक ने शिमला को ब्रिटिश राज की ग्रीष्म कालीन राजधानी बना दिया और दूसरी 1906 की जब कालका शिमला रेलवे अपने अस्तित्व में आई। राजधानी बनने से यहाँ की आबादी बढ़ी, सिखों व पारसी समुदाय की अगुआई में नए नए व्यापारिक प्रतिष्ठान बने और रेल कड़ी बनने से लोगों का दिल्ली और चंडीगढ़ के रास्ते शिमला आना सुलभ हो गया।

शिमला शहर शहर का एक दृश्य चित्र सौजन्य
यातायात की सुविधा का कमाल है कि आज शिमला देश के लोकप्रिय पर्वतीय स्थलों में एक है और अब तो हिमाचल के अंदर आने जाने के लिए वायु सेवा शुरु हो गई है जिससे कुल्लू, शिमला, कांगड़ा और चंडीगढ जैसे शहर आपस में जुड़ गए हैं। पर अप्रैल के महीने में मनाली, कुल्लू और मंडी जैसे शहरों से होते हुए जब मैं शिमला पहुँचा था तो वायु सेवा का विकल्प नहीं था। होता भी तो मैं नहीं लेता क्यूँकि जो आनंद गाँव, कस्बों की घुमावदार सड़कों से गुजरते हुए और वहाँ के लोगों से मिलते जुलते अपने गन्तव्य तक पहुँचने में है वो हवाई उड़ान में कहाँ? शिमला पहुँच तो गए थे पर बिना होटल की बुकिंग कराए। बस ने तो हमें बस अड्डे तक छोड़ दिया था क्यूँकि शहर के केंद्र तक गाड़ियों के जाने की मनाही है पर मैं माल रोड के पास ही रहना चाहता था तो सामान के साथ वहाँ पहुँचने की अलग दिक्कत थी। ख़ैर कुलियों की कमी नहीं थी जो सामान के साथ होटल तक दिलवाने के लिए राजी थे। मैंने भी मन ही मन सोच लिया था कि होटल तो देखेंगे इसकी मर्जी से पर पसंद करेंगे अपनी सहूलियत से। माल रोड से करीब पचास मीटर चढ़ाई पर हमने होटल पसंद कर लिया था।

शिमला रिज़ चित्र सौजन्य

होटल की खिड़की से गर्मा गर्म चाय के साथ घाटी के नज़ारों को थोड़ी देर लुत्फ़ उठाने के बाद हम चहलकदमी करते मॉल रोड तक आ गए। दार्जिलिंग, मसूरी और नैनीताल में भी मॉल रोड हैं पर जो भव्यता मॉल रोड व उससे सटे रिज़ में शिमला में दिखी वो अतुलनीय थी। माल रोड के पूर्वी और पश्चिमी सिरों को जोड़ता रिज़ यानी चोटी का बड़ा चौरस समतल इलाका चारों ओर फैली घाटियों का एक साथ दर्शन कराता है। रिज़ पर ही अठारहवीं शताब्दी का बना क्राइस्ट चर्च स्थित है जिसका नाम उत्तर भारत के दूसरे सबसे पुराने चर्च में शुमार होता है। वैसे क्या आपको पता है कि इस रिज़ के नीचे पानी के विशाल टैंक है जिनसे पानी की आपूर्ति सारे शहर में की जाती है।

रिज़ के पूर्वी भाग से मॉल रोड पर चलते चलते आप लक्कड़ बाजार में पहुँचते हैं तो वहीं पश्चिमी सिरे का मिलन बिंदु स्कैंडल प्वाइंट के नाम से मशहूर है। आब आप सोच रहे होंगे कि आख़िर इस जगह का नाम स्कैंडल प्वाइंट क्यूँ पड़ा? कहते हैं पटियाला महाराज यहीं से वॉयसराय की पुत्री को भगा कर ले गए थे। ब्रिटिश सरकार ने उनकी इस हिमाकत के बाद उनके शिमला में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। महाराज ने इस आदेश के प्रतिकार स्वरूप अपना ठिकाना शिमला की जगह चैल को बना दिया था।
मॉल रोड, शिमला चित्र सौजन्य