रविवार, 12 नवंबर 2017

इंटरलाकन : दो झीलों के बीच बसा केन्द्रीय आल्प्स का प्रवेश द्वार ! Interlaken : Gateway to Central Alps Switzerland

सबसे पहले यूरोप के किसी देश में जाने की इच्छा हुई थी तो वो था स्विट्ज़रलैंड। दरअसल हमारे ज़माने में रोमांटिक फिल्मों का मतलब होता था यश चोपड़ा का बैनर। यश जी की फिल्मों की कहानियाँ तो दिल के करीब होती ही थीं पर उनमें एक और खासियत होती और वो थी उनकी खूबसूरती। यश जी को अपनी फिल्मों को यूरोप में  शूट करने का फितूर था और स्विट्ज़रलैंड पर तो वे खासे मेहरबान रहे। नतीजा ये रहा कि उनकी फिल्म चाँदनी से लेकर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे (DDLJ) तक ने तो हमारे दिल पर राज किया ही, साथ ही उनमें दिखाई गयी जगहों ने भी हमारे मन में अपना घर बना लिया।

इंटरलाकन से युंगफ्राओ की पहली झलक
DDLJ का फिल्मांकन मुख्यतः राजधानी बर्न से सटे मध्य स्विट्ज़रलैंड के पर्वतीय इलाके बर्नीज़ ओवरलैंड मे हुआ था। इसी इलाके का एक छोटा सा शहर है इंटरलाकन। शहर का ये नाम इसके दो झीलों के बीच में बसा होने की वज़ह से आया है। इसके पश्चिमी छोर पर तुन झील है जबकि इसका पूर्वी छोर ब्रीएंज़ झील से सटा है।

भारत से इस इलाके का भले ही इस इलाके का फिल्मी जुड़ाव हो पर यहाँ विश्व भर से लोग आते हैं। इसकी मूल वज़ह ये है कि केन्द्रीय स्विट्ज़रलैंड के पर्वतीय इलाकों के निकट पहुँचने के लिए सड़क और रेल मार्ग का केंद्र यही शहर है। या यूँ कह लें कि आल्प्स पर्वत की दो मुख्य चोटियों युंगफ्राओ और टिटलिस का प्रवेशद्वार इंटरलाकन ही है।

चारों ओर पहाड़ियों से घिरा इंटरलाकन का कस्बा
अगर तुन, ब्रीएंज़ और युंगफ्राओ बोलते वक़्त आपकी जीभ लड़खड़ा रही हो तो ये बता दूँ कि ये शब्द मूल रूप से जर्मन भाषा से  हैं इसलिए इनका उच्चारण करना कभी कभी खासा मुश्किल हो जाता है। मिसाल के तौर पर  चोटी Jungfrau को यहाँ आने के पहले मैं जंगफ्रा या जुंगफ्रा पढ़ता था पर यहाँ पता चला कि Jungfrau का "J" जर्मन में "Y" हो जाता है। इंटरलाकन में तीन चौथाई से ज्यादा लोग जर्मन मूल के ही हैं। वैसे जर्मन के अलावा इस देश के दूसरे भागों में फ्रेंच व  इटालियन भाषाएँ  भी सुनने को मिल जाती हैं।  
पैराग्लाइडिंग करते हुए आप देख सकते हैं दो झीलों के बीच बसे इस शहर को
युंगफ्राओ तक का सफर तय करने के पहले मैंने भी कुछ घंटे इस शहर में पैदल घूम कर बिताये। शहर के मुख्य बाज़ार के समीप ही एक बेहद हरा भरा विशाल सा मैदान है जिसके चारों ओर इंटरलाकन का शहर बसा है। ये शहर कितना छोटा है इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पूरे शहर का क्षेत्रफल पाँच वर्ग किमी से भी कम है। यानि एक साइकिल से ही आराम से पूरे शहर का चक्कर मार सकते हैं। अगर शहर के छोरों से सटी झीलों तक जाना हो तो इलेक्ट्रिक बाइक यानि मोटर से चलने वाली साइकिल का इस्तेमाल ज्यादा सही होता है क्यूँकि ये पहाड़ी चढ़ाव में आपको थकान से बचाती है। बच्चे साथ हों तो पूरा शहर का चक्कर मारने वाली ये रेल भी बुरी नहीं है।
 

शहर का चक्कर लगाने सड़कों पर दौड़ती है ये ट्रेन
जरा दिमाग पर जोर डालिए और बताइए तो कि यहाँ DDLJ के किस दृश्य की शूटिंग हुई है?
मैदान से लगी सड़क को रंग बिरंगे फूलों से जगह जगह सँवारा गया है। फूलों की इन क्यारियों से गुजरते हम उस फव्वारे के पास पहुँचे जहाँ DDLJ का एक दृश्य फिल्माया गया है। वैसे अगर DDLJ फिल्म में दिखाए गए रेलवे स्टेशन, चर्च, नदी के ऊपर बने पुल और बाकी जगहों का भ्रमण करना हो तो बस ट्रेन का एक टिकट लीजिए और आस पास के हर छोटे स्टेशन पर हल्की फुल्की तफरीह कर लीजिए। फिल्म के बहुत सारे दृश्य आपकी आँखों के सामने होंगे।
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फव्वारे के सामने ही यहाँ का मशहूर पाँच सितारा होटल विक्टोरिया है जहाँ कभी यश चोपड़ा ख़ुद ठहरने आए थे। आज भी उनकी याद में यहाँ का एक विशाल कक्ष  "Yash Chopra Suite" के नाम से जाना जाता है। इस कमरे को भारतीय कलाकृतियों और कढ़ाई से सजाया गया है। दीवार पर एक जगह आज भी वीर ज़ारा का पोस्टर लगा है। दरअसल यहाँ की सरकार ने इस जगह को भारतीय पर्यटकों में लोकप्रिय बनाने के लिए यश जी को अपना राजदूत  घोषित किया था।

विक्टोरिया युंगफ्राओ होटल
इंटरलाकन में होटलों की कमी नहीं है। यहाँ हर बजट के होटल उपलब्ध हैं। वैसे विक्टोरिया जैसे पाँच सितारा होटलों में एक दिन बिताना आपकी जेब को बीस हजार रुपये तक हल्का कर सकता है। अक्सर यात्री इसे स्विस आल्प्स तक पहुँचने के लिए पहली कड़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं। पहाड़ों पर घूमने के आलावा अगर आपको थोड़ा वक़्त मिल जाए तो आप ट्रेन से पचास मिनट में बर्न या आधे घंटे से भी कम समय में तुन कस्बे का (जो इसी नाम की झील के किनारे बसा है) का आनंद ले सकते हैं। इंटरलाकन शहर से आरे या आर (River Aare)  नदी भी गुजरती है जो ब्रीएंज़ और तुन झीलों के बीच जल सेतु का भी काम करती है। 
इनके तो जलवे हैं स्विट्ज़रलैंड में
फव्वारे के पीछे मैदान को चीरते हुए रास्ते को पार कर हम  वहाँ के रिहाइशी इलाकों में पहुँच गए। पहले चौराहे पर ही हमें स्विट्ज़रलैंड में पहली बार इन गौ माता के दर्शन हुए। बाद में पता चला कि फाइबर ग्लॉस से बनी ये मूर्तियाँ स्विट्ज़रलैंड के हर शहर में हैं। वैसे गायों की स्विट्ज़रलैंड की अर्थव्यवस्था में क्या अहमियत है इसकी चर्चा तो आगे अलग से करेंगे। फिलहाल इतना बताना काफी होगा कि शहरों में इन मूर्तियों का चलन पिछले दो दशकों से शुरु हुआ जब पहली बार ज्यूरिख शहर में ग्रामीण दृश्यों की झांकी दिखाने का सिलसिला प्रारंभ हुआ। बाद में इसे गायों की परेड में बदल दिया गया जिसमें कलाकार इनकी रंग बिरंगी कलाकृतियाँ बनाने लगे।


यहाँ की दुबली पतली सड़कों में लकड़ी की बल्लियों की रेलिंग और उनसे सटे घास के मखमली दरीचों के बीच चलना ज़िंदगी को बेफिक्र कर देने जैसा था। घरों की बालकोनी से इंसान तो नहीं पर फूलों की लड़ियाँ हमें जरूर आमंत्रण दे रही थीं अपने पास बुलाने के लिए। टहलते टहलते हम इस घर के पास पहुँचे जहाँ लकड़ी के ठूँठ से लटकते ये नकली सेव हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे।

नकली सेवों से सजी इक बगिया
बस एक ही हमसफ़र की अनुमति देती है ये Black Beauty
दिन के ग्यारह बज रहे थे पर शहर के अंदर सन्नाटा सा पसरा हुआ था। सड़के सूनी थीं। इक्का दुक्का लोगों के आलावा ज्यादा पर्यटक ही दिख रहे थे। मुझे बाद में पता चला कि पूरे शहर की आबादी छः हजार से भी कम है।
 

वापस लौटते समय यहाँ के बाजारों में भी थोड़ी चहलकदमी जरूरी थी। पूरा बाजार अलग अलग नामी ब्रांड की घड़ियों से अटा पड़ा था। आज ये देश घड़ियों को कला की एक वस्तु बनाकर इसे अमीरों के फैशन स्टेटमेंट के तौर पर बेच रहा है। ओमेगा, रालेक्स, रोमर और ना जाने कितनी कंपनियों की जगमगाती घड़ियाँ जिनके मूल्य पर आप ध्यान ना दें तो सारी पसंद आ जाएँ।
घड़ियों का देश है स्विट्ज़रलैंड

अब किस Roamer के साथ Roam करेंगे आप?

ख़ैर कुछ देर की विंडो शापिंग के बाद हम वापस अपनी बस में थे युंगफ्राओ के उस रोमांचक सफ़र के लिए पूरी तरह तैयार। क्या वो सफ़र मेरी आशा के अनुरूप रहा जानिएगा इस यात्रा की अगली कड़ी में..
तो अब चलिए  युंगफ्राओ की हसीन वादियों की तरफ..
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16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-11-2017) को
    "जन-मानस बदहाल" (चर्चा अंक 2787)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बेहतरीन जानकारी मिली आपसे

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  3. काव्यमय वर्णन और मनोरम दृष्य मुग्ध कर गये.

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    1. शुक्रिया प्रतिभा जी ! स्विट्रजरलैंड की सचमुच छटा ही निराली है। अमेरिका को पतझड़ के महीने में देखने का भी बड़ा मन है मुझे। देखें कब ये इच्छा पूरी होती है।

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  4. kya manmohak drashya hai bahut hi umda tarike se aapne likha hai

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    1. पसंदगी ज़ाहिर करने का शुक्रिया !

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  5. स्विटजरलैंड की स्मृद्धि के पीछे मुख्य क्या कारण है? आमतैर पर पर्यटन, घड़ी उद्योग, और वहां की बोंकिंग प्रणाली मुख्य माने जाते है। वहां की कृषि की क्या स्थिति है, जब खुळहाली की बात करते हैं?
    जरा विवेचन कीजियेगा।

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    1. आपने स्विट्ज़रलैंड की अर्थव्यवस्था के मूल तत्तव चिन्हित कर दिए हैं। ज्यादा तो नहीं पर इनसे जुड़े कुछ पहलुओं को जिसे मैं अपनी छोटी यात्रा में देख पाया बताने की कोशिश करूँगा। जहाँ तक कृषि का सवाल है इसका मूल अंग पशुपालन और उससे जुड़े उत्पाद है। आगे इसका जिक्र आएगा, साथ बने रहें।

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  6. आपके ब्लॉग से स्विट्ज़रलैंड की बहुत सी जानकारी मिली...में भी पहले जंगफराउं ही कहता था अब ज की जगज य प्रयोग प्रयोग लार जर्मन को महसूस करूँगा

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    1. समय की कमी की वजह से अपने यात्रा वृत्तांत को आगे नहीं बढ़ा पा रहा हूँ। अभी माउंट टिटलिस की चोटी पर भी आपको ले चलना है :)

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