गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

चित्तौड़गढ़ :जिसकी दीवारों में कभी गूँजे थे मीरा के भजन और राणा कुंभ के जयघोष !

उदयपुर से दूसरे दिन हम जब चित्तौड़ की ओर निकले तो सुबह खुशनुमा थी। आकाश में हल्के हल्ले बादल जरूर थे पर बारिश नहीं हो रही थी। राष्ट्रीय राजमार्ग 76 के शानदार रास्ते पर चित्तौड़गढ़ की करीब 115 किमी की दूरी डेढ़ घंटे में कैसे कट गई पता ही नहीं चला।

 करीब डेढ़ दो सौ मीटर ऊँची पहाड़ी पर बने इस तीन मील लंबे और पाँच सौ फीट ऊँचे किले पर जब हम चढ़ रहे थे तो दिन के बारह बज चुके थे। किले तक पहुँचने के लिए इसके सात गेटों (पदन ,भैरों, हनुमान, गणेश, जोदला लक्ष्मण और राम) को पार करना पड़ता है। गेटों की नुकीली मेहराबें ऐसी कि ना हाथी को आसानी से घुसने दें और ना ही तोप के गोलों को ही अंदर जाने दें।


गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

रंगीलो राजस्थान : कैसे दिखते हैं रात में उदयपुर के महल ?

सज्जनगढ़ से लौटने वक़्त शाम ढल आयी थी। नवंबर का महिना होने के बाद भी सर्दी ना के बराबर थी। हमने जिस होटल विनायक में पनाह ले रखी थी वो भी ऍसा ना था जिसमें चुपचाप वक़्त गुजारने का मन करे। वैसे भी आप प्रतिदिन मात्र पाँच -छः सौ रुपये देकर उदयपुर जैसे शहर में पीक सीजन में उम्मीद भी क्या रख सकते हैं। इसलिए  ज्यादा समय बगैर गँवाए हम रात के उदयपुर की सैर पर निकल गए।

अब रात के उदयपुर की जगमगाहट देखनी हो तो करणी माता मंदिर तक पहुँचाने वाले रोपवे से अच्छी जगह हो ही नहीं सकती। दूधतलाई स्थित इस रोपवे के जब हम पास पहुँचे तो आशा के विपरीत वहाँ जरा भी भीड़ नहीं थी। वैसे ये रोपवे सुबह नौ बजे से रात्रि के नौ बजे तक खुला रहता है। प्रति व्यक्ति तिरसठ रुपये का टिकट आम आदमी पर भारी जरूर पड़ता है पर उदयपुर के जो नज़ारे इसकी सवारी करने के बाद मिलते हैं उससे पूरा पैसा वसूल समझिए।
रोपवे के ठीक ऊपर एक रेस्टोरेन्ट है और साथ ही एक बरामदा भी जहाँ चाय की चुस्कियों के साथ पिछोला झील में चमकते दमकते महलों का दृश्य आप आसानी से क़ैद कर सकते हैं। थोड़ी चढ़ाई और चढ़ने पर यहाँ करणी माता का एक मंदिर भी है।
अगर आपके कैमरे में रात के दृश्यों को क़ैद करने की क्षमता है तो यहाँ उसकी परीक्षा हो जाएगी। ये बताना आवश्यक होगा कि रात के चित्रों को लेने के लिए कैमरे के आलावा त्रिपाद (ट्राइपॉड) का होना बहुत जरूरी है। मैं ट्राइपॉड लेकर यहाँ नहीं आया था जिसका अफ़सोस हुआ फिर भी उसके बिना भी हाथ स्थिर कर कुछ चित्र ठीक ठाक आ गए। तो चलिए देखें तो रात में पिछोला किन रंगों में रँगी रहती है?

अँधेरे में डूबी झील में सबसे पहले नज़र ठहरती है झील के मध्य में स्थित होटल लेक पैलेस पर।