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रविवार, 21 अगस्त 2016

टोरंटो की वैश्विक संस्कृति : सपनों की रानी से .... डोला रे डोला तक Multicultural City of Toronto, Canada

टोरंटो के होटल रामदा प्लाजा की वो सुबह बड़ी प्यारी थी। धूप में हल्की सी ठसक थी जिससे बाहर का तापमान बीस से ऊपर चला गया था। हवा भी धीमी रफ्तार से मंद मंद बह रही थी। वापसी की उड़ान भरने के पहले जो चार पाँच घंटे का समय शेष था उसमें इस शहर को कदमों से नापने का अनुकूल वातावरण था।

टोरंटो का मुख्य केंद्र इटन सेंटर

सुबह नौ बजे जब हम होटल के रेस्ट्रां में पहुँचे तो वो खाली पड़ा था। हमें देख कर स्थूल काया और मध्यम ऊँचाई वाला एक वेटर हमारी ओर लपका और बड़ी गर्मजोशी से उसने हमारा अभिवादन किया। उसकी छोटी छोटी आँखों से ये तो स्पष्ट था कि वो एशियाई मूल का है पर चीन, वियतनाम, कोरिया, थाईलैंड, फिलीपींस जैसे दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में वो किस देश से ताल्लुक रखता होगा ये क़यास लगाने लायक महारत हमारे समूह में किसी को नहीं थी।

इससे पहले कि हम उसे बताते कि नाश्ते में क्या लेना है वो पहले ही  उत्साह से पूछ बैठा कि क्या आप भारत से आये हैं ? हमारे हाँ कहते ही वो कहने लगा कि मैं समझ गया कि आप को क्या चाहिए। हम एक क्षण तो चौंके पर जिस तत्परता से उसने हमारी टेबुल पर फल, दूध, जूस, बटर टोस्ट,आलू फ्राई परोसनी शुरु की उससे हम समझ गए कि आज हम सही शख़्स की मेजबानी में हैं।

नाश्ता करते समय तक उसने हमें नहीं टोंका। पर जब हम चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे वो फिर हमारे पास आया और पूछने लगा कि क्या आप सबने राजेश खन्ना की फिल्में देखी हैं? मुझसे नहीं रहा गया और मैं पूछ बैठा कि आप कहाँ से हो? वो बताने लगा कि वो बर्मा से है और अपने कॉलेज के दिनों से राजेश खन्ना का बहुत बड़ा फैन रहा है। उसने आराधना का जिक्र करते हुए मेरे सपनों की रानी.... गुनगुना कर  राजेश खन्ना के प्रति अपने प्रेम का इज़हार किया। मैंने उसे बड़े भारी मन से बताया कि वो तो कुछ साल पहले गुजर गए पर जब मैं उससे ये कह रहा था मेरे दिल में उनकी कालजयी फिल्म आनंद का वो संवाद गूँज रहा था . आनंद मरा नहीं.. आनंद मरते नहीं।

मुझे वो व्यक्ति बहुत दिलचस्प लगा इसलिए मैंनें उसकी बीती हुई ज़िदगी के बारे में पूछना शुरु किया। पता चला कि वो लगभग तीन दशक पहले रोज़गार की खोज में कनाडा पहुँचा था। कॉलेज की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई थी तो यहाँ होटल में बर्तन साफ करने की नौकरी मिली। धीरे धीरे उसने तरह तरह के पकवान बनाना सीखा, अंग्रेजी में प्रवीणता हासिल की और छोटे मोटे होटल बदलते हुए रामदा आ पहुँचा। पिछले कुछ सालों से वो यहीं है। एक बेटा है तो वो इंजीनियरिंग कर नार्वे में नौकरी कर रहा है। पत्नी भी नौकरी कर रही है ।
 

अपनी कथा कहते कहते वो भावुक हो गया और कहने लगा मैंने जहाँ से शुरुआत की थी उस हिसाब से मैंने वो सब कुछ हासिल कर लिया जिस आशा में मैं कनाडा आया था  टोरंटो में मेरा अपना घर है, बच्चे नौकरी कर रहे हैं, बुढ़ापे के लिए अच्छी खासी बचत कर ली है पर मेरा मन करता है अपने साथियों के लिए कुछ करूँ जो म्यानमार में अभी भी गरीबी और आभाव की ज़िदगी जी रहे हैं। पत्नी कहती है तुम वापस क्यूँ जाना चाहते हो? मैं जानता हूँ वो नहीं समझेगी पर मैं एक दिन निकल जाऊँगा उसे बिना बताए अपने देश में, अपने लोगों के पास..

उसकी आँखें उस स्वप्न पे अटकी थीं और उनकी स्वीकारोक्ति के लिए ही शायद उसने हमसे अपने दिल का दर्द  बाँटा था। हमने उसे बताया कि भारत के बड़े शहरों में तो आजकल विश्व के कई देशों के व्यंजनों का स्वाद चखने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। आप म्यानमार में भी कुछ वैसा ही करो। वो मुस्कुराते हुए बोला, मैंने भी वही सोचा है। आप सब तो भारतीय हैं, समझ सकते हैं। भारत की ही तरह मेरे देश में कोई नया व्यापार शुरु करने से पहले जेबें भरने पड़ती हैं। अब मुस्कुराने की बारी हमारी थी।

चलते चलते मैंने उससे यही कहा कि मित्रों के साथ मिलकर  अनुभव के सहारे अपने वतन में काम करने की सोच बहुत अच्छी है। आपको अपने देश जरूर जाना चाहिए ये देखने कि वहाँ  आप का काम सँवर सकता है या नहीं। पर एक बार काम की नींव मजबूत हो जाए तो अपनी पत्नी को भी आप आश्वस्त कर सकते हैं स्वदेश लौटने के लिए। मुझे पता नहीं कि वो अपने देश जा पाया या नहीं पर ऐसे जीवट इंसान मन में अमिट छाप छोड़ जाते हैं।


टोरंटो की डबलडेकर बस
नाश्ता कर मैं शहर के मुख्य केंद्र इटन सेन्टर की तरफ चल पड़ा। यूरोपीय शहरों की तरह टोरंटो में भी Hop On Hop Off बसों की सुविधा है। यहाँ आप 35 US डॉलर में पूरे शहर का चक्कर लगा सकते हैं। अगर रास्ते में कोई जगह आपको पसंद आ गई तो वहीं उतर जाइए और फिर जब मर्जी इस डबल डेकर बस में वापस चढ़ जाइए। अपने टिकट का प्रयोग आपको एक दिन नहीं बल्कि तीन दिन इन बसों में चढ़ने की इजाज़त देता है। अगर आप के पास समय कम है तो यहाँ के सिटी पास का इस्तेमाल कर यहाँ के मुख्य आकर्षणों का बिना लंबी लााइन में लगे आप आनंद उठा सकते हैं।

योंगे स्ट्रीट Yonge Street, Toronto

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

टोरंटो में गुजरा वो पहला दिन ... CN Tower, Toronto, Canada

टोरंटो कनाडा का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है । अब अगर मैं बता दूँ कि यहाँ की आबादी करीब छब्बीस लाख है तो आप कहेंगे इसमें कौन सी बड़ी बात है? भारतीयों को आबादी के मामले में चीन के आलावा टक्कर ही कौन दे सकता है? वैसे इस बड़े शहर की सबसे बड़ी विशेषता यहाँ की सर्वदेशीय  संस्कृति है। कनाडा के इस पहलू के बारे में विस्तार से आगे बताऊँगा  ही पर इस शहर में गुजारे दो दिनों में पहले दिन के अनुभवों को आज आपसे साझा कर लेते हैं ..


टोरंटो से नियाग्रा लगभग एक सौ तैंतीस (133) किमी की दूरी पर है।सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय यात्रियों के यहाँ आने और बसने से पहले ये इलाका आदिम जनजातियों की मिल्कियत हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि यहाँ की एक जनजाति ने इस क्षेत्र का नान टकारोन्टो रखा था जिसका शाब्दिक अभिप्राय एक ऐसी जगह से होता है जहाँ पानी में पेड़ उगते हों। इस इलाके को शहरी रूप अठारहवीं शताब्दी के आख़िर में मिला। ब्रिटिश लोगों ने इस शहर को यार्क का नाम दिया। पर उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में अमेरिकी लड़ाकों ने युद्ध में ब्रिटिश सेना को धूल चटा दी। अमेरिकी तो शहर को तहस नहस कर वापस चले गए पर इसके बाद जब शहर बसा तो  टोरन्टो के नाम से।

नियाग्रा से लौटते हुए हम टोरंटो पहुँचे थे। क्वीन एलिजाबेथ राजमार्ग से गुजरता हुआ ये रास्ता कार्यालय जाने और आने के वक़्त बेहद  व्यस्त रहता है। कई किमी लंबी गाड़ियों की रेंगती कतारें इस राजमार्ग की पहचान हैं। ख़ैर क्वीन एलिजाबेथ मार्ग से तो हम अपेक्षाकृत जल्दी निकल आए पर डाउनटाउन टोरंटो में अपने होटल तक पहुँचने के लिए हमें घंटे भर का वक़्त लग गया।


टोरंटो शहर की गगनचुंबी अट्टालिकाएँ
हमारी कार हर मोड़ और चौराहे  पर रुक रही थी। लिहाजा इस शहर की झांकियों को क़ैद करने का हमें यथेष्ट अवसर मिल रहा था। महानगरों की आकाश छूती इमारतों को वृहत स्तर पर देखने का मौका इससे पहले टोक्यो में मिल चुका था। फिर भी नए शहर में आँखे कुछ नया तो तलाशती ही रहती हैं। एक ओर बड़ी बड़ी इमारतें तो दूसरी ओर ओंटोरियो झील का किनारा दिख रहा था। शाम पूरी ढली भी नहीं थी पर लोग वर्जिश करते नज़र आ रहे थे। कुछ दौड़ रहे थे । कई साइकिल पर सवार थे। बाकी झील के किनारे पार्क में धूप का आनंद ले रहे थे।

ब्रुकफील्ड प्लेस जहाँ है टोरंटो के बड़े बड़े कार्यालयों का जमावड़ा

सोमवार, 18 जुलाई 2016

वो शामें, वो मौसम, नदी का किनारा..वो चंचल हवा ...A drive along Niagara River !

बारिश का मौसम पूरे शबाब पर है। रुक रुक थम थम कर पानी की फुहारें तन मन में शीतलता का संचार कर रही हैं।। बरखा रुकती भी है तो ठंडी हवाओं के झोंके आ कर दिल को सहला जाते हैं। मन भी है कि उड़ चला है पुरानी यादों की तरफ़ और आँखों के सामने उभरने लगी है वो शाम जब आकाश में काले बादल धूप के साथ आँख मिचौनी का खेल खेल कर रहे थे नीचे इक नदी का नीला आँचल था जिसे हरे भरे पेड़ों ने अपनी बाहों में थाम रखा था। तो आइए उस मंज़र को सजीव करें आज के इस फोटो फीचर में.. 

गर्मी में ओंटोरियो की हरियाली देखते ही बनती है।

वो शाम कनाडा की थी. नियाग्रा से हमें दो दिन बाद ही टोरंटो के लिए निकलना था। मई महीने का आखिरी हफ्ता था।  शाम को जब अपना काम निबटाकर घूमने की फुर्सत मिली तो पौने सात बज रहे थे। पर बाहर दिन शाम को पास फटकने भी नहीं दे रहा था। हमारे होस्ट ने सुझाया कि चलिए आपको नियाग्रा नदी के साथ साथ एक लम्बी  ड्राइव पर ले चलें। आफिस से थक हार कर निकल रहे लोगों के लिए इससे अच्छा प्रस्ताव क्या होगा भला तो हम सहर्ष ही उनके साथ निकल पड़े।

ये है नियाग्रा नदी का रास्ता..

नियाग्रा नदी ज्यादा लंबी नदी नहीं है। इसकी कुल लंबाई साठ किमी से भी कम है। ये लेक एरी से निकलती है और दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई लेक ओंटेरियो में जा मिलती है। इसके पश्चिमी तट पर कनाडा का ओंटेरियो  है और पूर्वी तट से सटा अमेरिका का न्यूयार्क राज्य।

वो शामें, वो मौसम, नदी का किनारा..वो चंचल हवा

रविवार, 13 दिसंबर 2015

हरियाली डफरिन द्वीप और उसके आस पास के इलाकों की Dufferin Islands, Niagara Falls

नियाग्रा के जलप्रपत से पहले यानि दक्षिण की ओर बढ़ने से एक बेहद हरा भरा इलाका आ जाता है। इस इलाके के बायीं ओर खूबसूरत उद्यान हैं तो दायीं ओर नियाग्रा नदी की जलधारा से बने छोटे मोटे द्वीप जिन्हें डफरिन द्वीप समूह कहा जाता है। इससे पहले कि मैं आपको यहाँ की मन मोहने वाली हरियाली के दर्शन कराऊँ कुछ बातें इसके इतिहास के बारे में। 

Maple Tree मेपल का वृक्ष जो निशानी है कनाडा की
उन्नीस वीं शताब्दी की शुरुआत तक इस इलाके की तरफ़ नियाग्रा नदी की चट्टानीय ढलान होने के कारण पानी बह कर छोटे छोटे द्वीपों में बँट जाता था। बाद में यहाँ एक बिजली घर बनने के बाद पानी की धारा धीमी और बेतरतीब हो गई। पर यहाँ की मिट्टी ने ऐसी परिस्थितियों में वनस्पतियों का ऐसा जाल अपने चारों ओर बुना कि इसके बीच से होकर गुजरना किसी भी आगुंतक के लिए प्रकृति को अपने में समाहित करने का अहसास दिला जाता है।

Route of Niagara Falls to Dufferin Islands
अगर नियाग्रा जाएँ और जलप्रपात के आस पास की भीड़ से आपका दिल उब जाए तो चुपचाप जलप्रपात को पार कर नियाग्रा नदी के किनारे किनारे करीब डेढ़ किमी आगे बढ़िए। इस सड़क पर आपको दायीं ओर डफरिन द्वीपों की ओर जाने का रास्ता मिलेगा।


एक बार आपने पानी की पतली धारा के ऊपर बना लकड़ी का पुल पार किया कि आप इस हरी भरी शांत दुनिया में प्रवेश कर लेंगे। जैसे ही हम इस इलाके में घुसे देखिए किसने हमारा प्यार भरा स्वागत किया।

Kids enjoying their evening walk बच्चों की शाम की सैर :)

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

पोर्ट कोलबर्न : कारों की रंगारंग प्रदर्शनी और वो अनूठा रेस्त्राँ ! Port Colborne,Ontario, Canada

नियाग्रा से 34 किमी की दूरी पर कस्बा है पोर्ट कोलबर्न का। नियाग्रा में रहते हुए हमारे मेजबान हमें लेक एरी पर बसे इस छोटे से कस्बे में ले गए। ये सफ़र मेरे लिए इसलिए भी ख़ास रहा क्यूँकि कनाडा में पहली बार हम ऐसी जगह में थे जहाँ विदेशी पर्यटक कम ही जाते हैं। लिहाज़ा वहाँ के लोगों की ज़िंदगी को पास से देखने का एक छोटा ही सही पर अवसर हमें मिला।

जिस शाम हम वहाँ पहुँचे उस दिन वहाँ पुरानी कारों की प्रदर्शनी लगी थी। सप्ताह में एक दिन लोग बाग पचास व साठ के दशक की अपनी पुरानी कारों को चमका कर वहाँ लाते हैं और फक़्र से उसे सड़क के किनारे खड़ा कर अन्य कार प्रेमियों से गपशप में मशगूल हो जाते हैं। यानि एक जैसे शौक़ रखने वालों के लिए कुछ पल साथ बिताने का ये अच्छा मौका हो जाता है। तो चलिए आज आपको दिखाते हैं कि कनाडा की इन नई  पुरानी कारों को जो उस दिन हमारे सामने नई नवेली दुल्हनों की तरह सज सँवर कर खड़ी थी..

Port Colborne, Niagara, Canada
पोर्ट कोलबर्न नियाग्रा के दक्षिणी तट पर बसा एक छोटा सा कस्बा



यहाँ भारत में हम इतने ही आकार में अंबेसडर बनाकर उसमें दर्जन भर लोगों को घुसा लें। पर यहाँ तो लंबाई व तीखे नैन नक़्श वाली इक कारों में बताइए सिर्फ दो ही लोग बैठ सकते थे।



मंगलवार, 29 सितंबर 2015

क्या है नियाग्रा शहर में जलप्रपात के आलावा ? Attractions of Niagara apart from fall !

अगर आपको ये लग रहा हो कि नियाग्रा शहर में वहाँ के जलप्रपात और नदी के आलावा कुछ है ही नहीं तो आज मैं आप का भ्रम दूर किए देता हूँ। वास्तविकता ये है कि इस छोटे से शहर  में जलप्रपात को करीब से देखने के आलावा कई अन्य आकर्षण भी हैं जो पूरे परिवार और विशेषकर बच्चों को खासतौर पर रुचिकर लगें। वैसे भी अगर आप यहाँ रुकेंगे तो कुछ तो चाहिए ना अपनी शामों व रातों को  रोमांचक और रंगीन बनाने के लिए! हालांकि नियाग्रा की इस पाँच दिवसीय यात्रा में हमने अपने  खाली समय का ज्यादा हिस्सा  जलप्रपात और नदी के उत्तरी और दक्षिणी किनारों की सैर करने में बिताया पर साथ साथ बचे खुचे समय में यहाँ के बाकी आकर्षणों की टोह भी लेते रहे।

बचपन से हमारे यहाँ हिंदी अख़बार के साथ Times of India भी आया करता था। उन दिनों अखबार पढ़ते वक़्त मैं तो बस पहले पेज के बाद सीधे खेल पृष्ठ पर जाता था जहाँ  कार्टून भी आते थे। पर उन कार्टूनों में फैंटम के आलावा किसी और चरित्र से तारतम्य मिलाना मुश्किल होता था। अख़बार के उन्हीं पन्नों में पहली बार Ripley's Believe It or Not का जिक्र देखा। उसके बाद टीवी पर इससे जुड़ा शो भी दिखा, पर जब मुझे पता चला कि  नियाग्रा के क्लिफ्टन हिल पर इसका अपना संग्रहालय है तो सुबह की सैर में एक दिन हम इसे देखने पहुँच गए ।

Ripley's Believe It or Not  Museum, Niagara Falls
इस संग्रहालय को यहाँ बने पचास साल से अधिक हो चुके हैं । सप्ताहांत को छोड़ ये सुबह दस से रात ग्यारह बजे तक खुला रहता है। मगर इसमें प्रवेश के लिए व्यस्कों को नौ सौ रुपये की मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। वैसे तो समयाभाव की वज़ह से मैं इसमें जा नहीं पाया पर ये विचार जरूर मन में आया कि जब संग्रहालय की इमारत ही इतनी अजूबा है  तो अंदर रखे शिल्प भी  मजेदार ही होंगे।

Clock Tower, Niagara Falls
अमेरिकी परिपेक्ष्य में देखें तो आप पाएँगे कि उनकी संस्कृति में मनोरंजन के कुछ जाने पहचाने आयाम हैं जो धीरे धीरे सारे विश्व में फैल चुके हैं। 4D थियेटर , डरावने चरित्रों से भरे तथाकथित मनोरंजन गृह, बॉलिंग एलेज़, एम्यूजमेंट पार्क, स्काई व्हील, गोल्फ कोर्स समझिए दुनिया का हर बड़ा शहर इस संस्कृति को अपना चुका है या अपनाने की प्रक्रिया में है। रही कनाडा और वो भी नियाग्रा की बात तो वो तो बिल्कुल सटा ही हुआ है अमेरिका से तो उससे अछूता कैसे रह पाएगा? क्लिफ्टन हिल के आस पास के इलाक़े ऐसी ही जगहों से अटे  पड़े हैं। एक नज़र आप भी डालिये। .:)


रविवार, 20 सितंबर 2015

नियाग्रा का विशाल भँवरः जो समेटे है अपने अंदर प्रेम और त्याग की उस अमर कहानी को ! A journey from Niagara Whirlpool to Niagara on the Lake!

नियाग्रा  के पहले बहती नदी और फिर बनते जलप्रपात को तो आपने इस श्रंखला की पिछली कड़ी में तो देख लिया। आज चलिए जलप्रपात से आगे नियाग्रा नदी के मुहाने तक जहाँ ये ओंटेरियो झील से मिलती है। जिस छोटे शहर के पास ये मिलन होता है उसका नाम है नियाग्रा-आन-दि-लेक (Niagara-on-the-Lake)। पर इससे पहले कि इस तीस किमी लंबे सफ़र पर आपको ले चलूँ आपके एक सवाल का जवाब बताता चलूँ। पिछले आलेख में आपकी ओर से एक प्रश्न आया था कि आख़िर नियाग्रा नदी में इतना पानी आता कहाँ से हैं और अपनी गंगा ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों की तरह क्या ये भी उतनी ही विशाल है? सच पूछिए तो हमारी इन नदियों से नियाग्रा नदी की तुलना हो ही नहीं सकती।  पूछिए क्यूँ?
A beautiful Cherry Blossom tree on in Niagara on the Lake

नियाग्रा नदी की लंबाई मात्र 56 किमी है और हमारी नदियों की तरह इसका उद्गम स्थल कोई पर्वत श्रंखला नहीं है। जैसा आप नीचे के मानचित्र में देख सकते हैं कि ये नदी एक झील एरी (Lake Erie) से निकलती है और दूसरी झील ओंटोरियो में आकर अपना पानी छोड़ देती है। दोनों झीलों की ऊँचाई में अंतर सौ मीटर का है और इसी ढलान की वज़ह से इस नदी में पानी जाड़ों को छोड़कर साल भर उफनता रहता है। जाड़ों में नियाग्रा के जलप्रपात से गिरता पानी जम जाता है और वो मंज़र भी देखने लायक होता है।

Trajectory of River Niagara

अपने नियाग्रा प्रवास के तीसरे दिन हम शाम को अपने मेज़बान के साथ जलप्रपात से आगे नदी के मुहाने तक के सफ़र पर निकल पड़े। रेनबो ब्रिज से आगे बढ़ने पर नदी एक जगह तेज घुमाव लेती है जिससे एक भयंकर भँवर (Whirlpool) का निर्माण होता है। ये भँवर व्यक्ति को इतनी गहराई तक ले जाता है कि इसमें फँसने के बाद निकल पाना मुश्किल है। इस भँवर के ठीक पहले एक और पुल आता है जिसे व्हर्लपूल रैपिड्स ब्रिज (Whirlpool Rapids Bridge ) का नाम दिया गया है। वहाँ के लोगों ने इन दोनों पुलों के बीच  सौ साल पहले हुई एक ऐसी घटना का जिक्र किया जिसे बताए बिना आप इस भँवर की भयावहता का अंदाजा नहीं लगा सकते। लोगों द्वारा बताई बातों और नियाग्रा के आधिकारिक जालपृष्ठों से जब इस कहानी के सारे सिरों को एक साथ जोड़ने की कोशिश की तो मन बेहद अनमना हो गया। ये कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं है। सच तो ये है कि इसके किरदारों ने जिस प्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और त्याग का परिचय दिया वो ना केवल मानव मात्र के प्रति गर्व का अनुभव कराता है पर साथ ही आँखों की कोरों को गीला भी  कर देता है।

ये बात सन 1912 के जाड़ों की है। जाड़ों में  नियाग्रा के आस पास के इलाकों का तापमान  शून्य से नीचे चला जाता है। नतीजन इस नदी पर बर्फ के प्राकृतिक पुल बन जाते हैं जिस पर सैलानी घूमते फिरते और मस्ती करते हैं। उस साल फरवरी के महीने में ऐसा ही एक पुल नियाग्रा नदी पर बन गया था। ये पुल पिछले कुछ दिनों से नियाग्रा नदी द्वारा लाई बर्फ से साठ से अस्सी फीट चौड़ा होकर अपने किनारों से मजबूती से जुड़ चुका था। दो हफ्तों से पर्यटकों की भारी भीड़ इस पुल पर आ जा रही थी। पर चार फरवरी का वो दिन अपने गर्भ में इस अनहोनी को छुपाए बैठा है ये किसे पता था? 

शनिवार, 12 सितंबर 2015

क्या नियाग्रा जलप्रपात से गिर कर बच सका है कोई ? Can someone survive a fall from Niagara !

नियाग्रा जलप्रपात से जुड़ी पिछली कड़ी में आपसे वादा किया था कि आपको जलप्रपात के उस हिस्से में ले चलूँगा जहाँ बस कुछ हाथों की दूरी से नियाग्रा नदी की प्रचंड धारा भयंकर गर्जन के साथ सत्तर मीटर नीचे गिरती है यानि मौत और आपके बीच का फासला बस कुछ मीटर का होता है। मनुष्य सदा से रोमांच प्रेमी रहा है और उसकी इसी फितरत ने उसे ऐसे हैरतअंगेज करतब करने को प्रेरित किया है जिसकी आप और हम कल्पना भी नहीं कर सकते। 

नियाग्रा फॉल के पास ही एक म्यूजियम भी है जहाँ इस  बात की  जानकारी दी जाती है कि किस तरह जलप्रपात पर विजय पाने की कोशिश में या फिर अप्रत्याशित हादसों में लोगों को यहाँ अपनी जान गवानी पड़ी । नियाग्रा जलप्रपात से जुड़े वाकये मानव की असंभव को संभव करने की प्रवृति पर अचंभित भी करते हैं तो कुछ प्रसंग प्रकृति के रौद्र रूप के आगे लाचार मनुष्य के दुखद अंत से आँखों को नम कर देते हैं। आज इन्हीं अमर कहानियों में से कुछ की दास्तान सुनाते हुए आपको ले चलूँगा जलप्रपात के मुहाने तक के सफ़र में।
Skylon Tower से हार्स शू फॉल और नियाग्रा नदी का नज़ारा

ऊपर के चित्र  में आप देख सकते हैं कि  नियाग्रा नदी किस तरह भँवरों के बीच बहती नीचे जलप्रपात तक आती  है। नदी के उस इलाक़े तक पहुँचने के लिए हमने होटल से दूसरी राह पकड़ी और  नदी के ऊपरी हिस्से की ओर चलकर दो  किमी की दूरी तक जा पहुँचे  । 

उबड़ खाबड़ राह पर चलने की वजह से नदी के प्रवाह में गजब की तेजी आ गयी थी। जहाँ जहाँ पानी पत्थरों से टकराता हुए ढलान की और बहता वहां लहरें  सफ़ेद फेन  का मुखौटा अपने चेहरे पे लगा लेतीं । इसी जगह के आस पास आज से बारह साल पहले यानि वर्ष 2003 में तीस वर्षीय कनाडियन नवयुवक किर्क जोन्स ने नियाग्रा नदी  में छलाँग लगा दी थी। किर्क उस समय अवसादग्रस्त था। वो अपने दोस्तों से नियाग्रा के झरने से कूदने की बातें किया करता था। उसे लगा कि ऐसा करने से वो प्रसिद्धि और धन कमा लेगा और अगर असफल हुआ तो उसे इस बेकार ज़िदगी से छुटकारा मिल जाएगा। जोन्स जब गिरा तो प्रत्यक्षदर्शियों ने देखा कि वो सर पर हाथ रखे हुए पानी की लहरों के साथ उलटता पलटता नीचे गिर रहा है । पानी की विशाल चादर ने जोन्स के  चट्टान से  टकराने के पहले एक मुलायम गद्दे जैसा काम किया और फिर जलधारा के जोर से वो करीब की चट्टान तक पहुँच गया। इस तरह बिना किसी सुरक्षा कवच के  नियाग्रा जलप्रपात से कूदने वाला किर्क जोन्स दुनिया का पहला जिंदा आदमी बन गया। भगवान के दिए हुए मौके ने उसमें ज़िदगी जीने की नई आशा का संचार कर दिया और आज वो सामान्य ज़िन्दगी व्यतीत कर रहा है।

रविवार, 6 सितंबर 2015

देखिए सुबह की इस सैर में नियाग्रा जलप्रपात का अद्भुत सौंदर्य Let's go on a morning walk to Niagara Falls !

नियाग्रा के जलप्रपात से जुड़ी इस श्रंखला की पिछली कड़ी में आपने पढ़ा कि हम अपने समूह के साथ कैसे पहुँचे नई दिल्ली से नियाग्रा जलप्रपात तक और रात में नियाग्रा का जलप्रपात और आसमान में हुई आतिशबाजी हमें अपने कितने मनोहारी रूप दिखा गई। पर जैसे ही रात बीती अगली सुबह मैं और मेरे मित्र फिर तैयार थे नियाग्रा जलप्रपात का सुबह का रूप देखने के लिए। उत्साह का आलम ये था कि नई दिल्ली और नियाग्रा के बीच साढ़े नौ घंटे के समय का अंतर jet lag के रूप में हमें छू भी नहीं सका था। 

सुबह छः बजते बजते हम बाहर निकलने के लिए तैयार थे। कमरे के बाहर से दिखते कैसीनो की ऊँची इमारत की बगल से सूर्य देव भी पूरी गोलाई के साथ दर्शन दे चुके थे।
Early morning at Niagara Falls  कैसीनो के ऊपर से अपनी झलक दिखलाते सूर्य देव
सूर्य किरणें नियाग्रा शहर पर धीरे धीरे ही फैल रही थीं।नियाग्रा फॉल्स वैसे ही एक शांत  शहर है। शहर के केंद्र में होने के बावज़ूद सड़क पर चहल पहल ना के बराबर थी। हमारे होटल के आस पास के इलाकों में ज्यादातर होटल व रेस्टॉरेंट  थे। रेस्टॉरेंट के खुलने का तो सवाल ही नहीं था। हाँ इक्का दुक्का गाड़ियाँ जरूर बीच बीच में ये अहसास दिला जाती थीं कि कुछ लोगों के लिए ही सही, भोर हो गई है।

Morning view : City of Niagara Falls

बुधवार, 2 सितंबर 2015

टोरंटो से नियाग्रा : कैसा दिखता है रात में नियाग्रा का जलप्रपात ? Toronto to Niagara : Night View of Niagara Falls !

पिछले साल की बात है। मई का महीना था। एक शादी में शिरक़त करने दिल्ली जा रहा था। अभी मुगलसराय स्टेशन पार भी नहीं किया था कि ख़बर आई कि अगले हफ्ते कार्यालय के काम से मुझे कनाडा के नियाग्रा शहर में जाना है। कनाडा की यात्रा की संभावना तो कई महीनों से सर पर थी पर ये पता नहीं चल रहा था की आखिर जाना कब है? सो बड़े बेमन से शादी के कपड़ों के साथ हल्के फुल्के गर्म कपड़े रख लिए थे। मई  में दिल्ली की गर्मी सुनकर स्वेटर पर हाथ धरने का भी मन कैसे करता? बहरहाल शादी के साथ साथ मित्रों की मदद से जल्दी जल्दी में वीसा का आवेदन करवाया। यात्रा के ठीक एक दिन पहले शाम छः बजे वीसा मिला और समझिए हम लोग भागते दौड़ते जेट एयरवेज के जहाज पर मई  के आखिरी हफ्ते में दिल्ली से टोरंटों की ओर रवाना हो गए।

Glimpse of Niagara...पेड़ों के झुरमुट से गरजता नियाग्रा का विशाल जलप्रपात