गुरुवार, 30 जुलाई 2015

मालवण तट के दस बेहतरीन नज़ारे.. In pictures : Beaches of Konkan : Dandi , Malvan

कोंकण के समुद्र तटों की इस यात्रा में आप देख चुके हैं कुनकेश्वर, चिवला और तारकर्ली के समुद्र तट। इस श्रंखला की इस कड़ी में आज बारी है मालवण के समुद्र तट की जिसे डांडी का समुद्र तट भी कहा जाता है। मालवण के समुद्र तट पर आए बिना आप यहाँ के प्रसिद्ध समुद्री किले सिंधुदुर्ग तक नहीं पहुँच सकते। मतलब ये कि सिंधुदुर्ग का प्रवेश द्वार मालवण की ही जेटी है।


जैसा आप नीचे के मानचित्र में देख सकते हैं डांडी यानि मालवण का ये समुद्र तट चिवला और तारकर्ली के बीचो बीच में है। इस नक़्शे को देख आप ये समझ सकते हैं कि डांडी के आलावा तारकर्ली से भी सिंधुदुर्ग क्यूँ दिखाई दे रहा था?


अन्य समुद्र तटों की अपेक्षा आप मालवण के तट पर हमेशा चहल पहल पाएँगे। पर ये चहलपहल तट के साथ लगी मछुआरों की बस्ती की वज़ह से ज्यादा हैं। इस तट पर लहरें नहीं उठती सो यहाँ नहाने का आनंद तो आप नहीं उठा सकते मगर प्राकृतिक सुंदरता के मामले में ये तट किसी से पीछे नहीं है।


मालवण की अपनी एक संस्कृति है। इस संस्कृति का अभिन्न अंग है यहाँ की बोली (जो कि कोंकणी और मराठी का मिश्रण है) और भोजन। मालवण की मछली, चावल और नारियल से सजी मालवणी थाली नांसाहारियों को तो खूब पसंद आएगी। डांडी के तट पर नारियल के पेड़ों की सघनता और ढेर सारी मछुआरों की नावों से भोजन के इन अवयवों को स्रोत तो सहज ही मिल जाता है।

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

कोंकण के नयनाभिराम समुद्र तट : चिवला व तारकर्ली Beaches of Konkan : Chivla and Tarkarli !

कोंकण के समुद्र तटों की यात्रा में गणपतिपुले और कुनकेश्वर की यात्रा के बाद आज चलिए इस तट के सबसे खूबसूरत समुद्र तट चिवला व तारकर्ली की चित्रात्मक झाँकी पर। मालवण से दस किमी की दूरी के अंदर ही ये दोनों समुद्र तट स्थित हैं जहाँ चिवला का तट मालवण तट  के उत्तर में हैं वहीं तारकर्ली इसके दक्षिण में है।दोनों ही तट अपनी  नैसर्गिक खूबसूरती से आपका सहज ही ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। जब हम चिवला के तट पर पहुँचे तो वहाँ दूर दूर तक सन्नाटा था। तट के किनारे कुछ नावें लगी थीं। उनके पीछे नारियल के पेड़ों का विशाल झुरमुट था।


चिवला की खूबसूरती कई कारणों से है। एक तो यहाँ गहरा नीला समुद्र का जल और दूसरी यहाँ की मुलायम सफेद स्याह रेत ।


 फिर यहाँ का लंबा समुद्र तट और उसके किनारे नारियल  के पंक्तिबद्ध पेड़ भी मन को मोहते हैं। पर इस तट पर जो लहरें आती हैं वो ज्यादा ऊँची नहीं उठती सो यहाँ तैरना तो हो जाता है पर उछलती लहरों द्वारा आपको आगोश में लिये जाने का डर नहीं रहता।

सोमवार, 13 जुलाई 2015

क्यूँ बना समुद्र तट पर कुनकेश्वर का महादेव मंदिर ? Beaches of Konkan : Kunkeshwar

दक्षिण महाराष्ट्र के समुद्र तटों से जुड़ी इस श्रंखला में गणपतिपुले के बाद आज चलिए कुनकेश्वर के समुद्र तट पर। अरब सागर से सटे कुनकेश्वर के तट पर भगवान शिव का एक भव्य मंदिर है और इसकी धार्मिक महत्ता की वज़ह से इसका नाम कोंकण काशी भी लिया जाता है। 

कुनकेश्वर Kunkeshwar Temple, Devgad
पर कुनकेश्वर जाने के पहले हमें अगली रात के लिए ठहरना था मालवण में जहाँ सिंधुदुर्ग का प्रसिद्ध किला है। गणपतिपुले से करीब दो सौ किमी की दूरी पर स्थित मालवण सिंधुदुर्ग जिले का एक छोटा सा शहर है।

Ganpatipule to Malvan, NH 17

दोपहर बारह बजे खिली धूप के बीच हम गणपतिपुले से निकले। मालवण तक 200 किमी की दूरी लगभग चार घंटे में तय होती है। रास्ता बड़ा ही हरा भरा है। सड़क के दोनों ओर घने वृक्षों की कतार हमेशा साथ चलती रही। पेड़ के बीच कभी कभी घास से भरे पूरे धानी मैदानों का मंज़र सामने आ जाता।

जीवन के दो पहलू हैं हरियाली और रास्ता..

रविवार, 5 जुलाई 2015

आराधना और प्राकृतिक सुंदरता का संगम : गणपतिपुले Beaches of Konkan : Ganpatipule !

जब भी भारत के पश्चिमी समुद्रतटों की चर्चा चलती है तो सबसे पहले गोवा के सुंदर तटों का ख्याल आता है। पर गोवा से उत्तर दक्षिणी महाराष्ट् में भी कई खूबसूरत समुद्र तट मौजूद हैं और गणपतिपुले इनमें से एक है। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित गणपतिपुले एक छोटा सा गाँव था जो अब सैलानियों और उनकी आवाभगत में बने होटलों और रिसार्ट्स की वज़ह से अब एक कस्बे में तब्दील हो चुका है। 


महाराष्ट में इसके पहले मैं सिर्फ मुंबई और पुणे ही मुख्यतः देख पाया था। गोवा की यात्रा भी पहले हो चुकी थी। उस साल अक्टूबर की छुट्टियों में मुंबई के पहले आने वाले कस्बे अंबरनाथ में एक रिश्तेदार के यहाँ मेल मुलाकात के लिहाज़ से जाना था। तो उसके बाद दक्षिणी महाराष्ट्र जाने की योजना बन गई। हमलोग सपरिवार सड़क मार्ग से अम्बरनाथ से गणपतिपुले के लिए चल पड़े। मुंबई और पुणे से गणपतिपुले के समुद्र तट की दूरी क्रमशः 375 और 331 किमी है। वैसे कोंकण रेलवे से रत्नागिरी तक आया जा सकता है जो गणपतिपुले से मात्र पच्चीस किमी की दूरी पर है।


अम्बरनाथ से नौ बजे सुबह हमारा कुनबा निकल लिया। राष्ट्रीय राजमार्ग 66 से होते हुए हमें चार सौ से कुछ ज्यादा किमी की दूरी तय करने में साढ़े नौ घंटे लग गए। उसमें दिन में एक घंटे का लिया गया भोजन अवकाश शामिल था। गणपतिपुले में यूँ तो ठहरने के लिए समुद्र तट के बगल में बना MTDC का गेस्ट हाउस सबसे बढ़िया है पर वहाँ आरक्षण ना मिलने की वज़ह से हमने तट की ओर जाती सड़क पर स्थित होटल दुर्वांकुर में रात बिताई। दुर्वांकुर (Hotel Durvankur) एक बजट होटल है। समुद्र तट से पास भी है। हमें एक रात ही वहाँ रहना था और साफ सफाई और तट से निकटता की वजह से हमें वो पसंद भी आया।