गुरुवार, 29 अगस्त 2019

वेनिस : कुछ लफ़्ज़ों की है, इस शहर की कहानी ...निखरते मकां और वो बहता सा पानी Venice Boat Ride

वेनिस की यात्रा एक ख़्वाब सरीखी थी। कब ये सपना आँखों के आगे तैरा, स्मृतियों में शामिल हुआ और फिर निकल गया ये उस थोड़े से समय में पता ही नहीं चला। 

कभी कभी तो ये लगता है कि वेनिस के चारों ओर जो लैगून है वो एड्रियाटिक सागर की फैली हुई बाहें हों। वही बाहें जो नहरों का आकार लेकर वेनिस की ओर मानो खिंची चली आई हों। अपने बाहुपाश में समोने को आतुर। पर मेरी सोच उस सागर जैसी नहीं। 



आज भी मैं जब वेनिस को याद करता हूँ तो वो शहर एक तिलिस्म सा लगता है जिसके जादू को मैं तोड़ना नहीं चाहता। बस दूर से टकटकी लगाए देखते रहना चाहता हूँ।

लगता है पास से इस शहर को छूने से ये मैला हो जाएगा। आज भी वेनिस में आने वाले लाखों आंगुतक दिन भर रह कर उड़न छू हो जाते हैं। अब वो करें भी क्या ? सुंदरता के अपने नुकसान जो ठहरे। ढेर सारे यात्री मतलब ढेर सारा प्रदूषण और आसमान छूती कीमतें। इस शहर से कुछ लमहे जो मैंने भी अपनी यादों में इन तस्वीरों के माध्यम से सहेज रखे हैं वो आज आपकी नज़र..



वेनिस पोर्ट (Port of Venice)
समुद्र से वेनिस एक लैगून के ज़रिये जुड़ा हुआ है। इस लैगून के तीन मुहाने हैं जिससे वेनिस में प्रवेश किया जा सकता है।  चिंता की बात ये है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के चक्कर में यहाँ क्रूज पर आने वाले बड़े जहाजों की संख्या बढ़ गयी है। इनकी आवाजाही से लैगून में प्रदूषण बढ़ता है और कई बार ज्वार के समय लहरें असमान्य रूप से ऊँची होकर शहर को बेवजह भिंगो देती हैं। क्रूज से एक साथ इतने पर्यटक शहर में दाखिल हो जाते हैं कि यहाँ रहने वालों को उनका शहर पराया लगने लगता है। इन्हीं कारणों से इन जहाजों को शहर के नज़दीक न आने देने के लिए समय समय पर विरोध होता रहा है।

बारिश में भींगा वेनिस
दो साल पहले इस समस्या का निदान करने के लिए वेनिस के मेयर ने घोषणा की कि बगल के शहर Marghera में क्रूज के रुकने की व्यवस्था की जाएगी और वेनिस के बंदरगाह का इस्तेमाल सिर्फ सिर्फ छोटे जहाजों कर पाएँगे। 



यानी वेनिस के मेयर क्रूज तो यहाँ बंद नहीं करेंगे क्यूँकि उससे इटली के इस शहर को रोज़गार के कई अवसर मिलते हैं पर पर्यावरणविदों की संतुष्टि के लिए ये उसे शहर से दूर अवश्य ले जाएँगे। 




संता मारिया डेल रोज़ारियो चर्च (Church of Santa Maria del Rosario)

अठारहवीं शताब्दी में बनाया गया चर्च जो कि आजकल डोमेनिकन संप्रदाय द्वारा संचालित होता है। वेनिस में इस चर्च को जेसुआती के नाम से भी जाना जाता है


संत मार्क गिरिजे का बेल टॉवर

वेनिस पहुँचते ही सबसे पहले जिस इमारत पर नज़र पड़ती है वो है संत मार्क गिरिजे का बेल टॉवर। नवीं शताब्दी में शुरुआती निर्माण के बाद इसे लाइटहाउस की तरह इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि अगले तीन सौ सालों में ये सौ मीटर ऊँचे घंटा घर में तब्दील हो गया। इसके बाद कभी बिजली गिरने और कभी आग लगने से इसे कई बार नुकसान पहुँचा और इसका पुनर्निर्माण किया जाता रहा।



डोज़ का महल (Doge's Palace)


अब अगर डोज़ शब्द आपको परेशान कर रहा हो तो ये समझ लीजिए कि इसका खुराक से कोई लेना देना नहीं बल्कि ये तो अंग्रेजी के ड्यूक शब्द का पर्याय है। मध्यकालीन यूरोप में वेनिस का मुख्य प्रशासक डोज़ ही कहलाता था। वेनिस की ये इमारत जो अपने हल्के नारंगी  रंग से दूर से ही पहचानी जाती है चौदहवीं शताब्दी में बनाई गयी थी।



पुंटा डेला डोगाना (Punta Della Dogana)


वेनिस की सबसे लोकप्रिय नहर है यहाँ की ग्रैंड कैनाल। शहर के बीचो बीच निकलती इस सर्पीलाकार नहर के दोनों ओर पुनर्जागरण काल की कई मशहूर इमारतें और खूबसूरत पुल हैं। ये नहर जहाँ जूदेक्का कैनाल से मिलती है उसी कोने पर पुंटा डेला डोगाना का ये संग्रहालय स्थित है। सत्रहवीं शताब्दी में यहाँ कस्टम का दफ्तर हुआ करता था। आज इसका इस्तेमालय संग्रहालय की तरह होता है। इसकी छत पर दो व्यक्ति सुनहरे गोले को उठाए हैं जिसके ऊपर भाग्य की देवी विराजमान है।  ये इस बात को दर्शाता है कि वेनिस के लोगों की ये आम मान्यता थी कि अगर भाग्य की देवी की कृपा रही तो व्यापार में लाभ ही लाभ होगा।



होटल हिल्टन मोलीनो स्टकी, जूदेक्का (Hilton Molino Stucky Hotel, Giudecca, Venice)


जूदेक्का कैनाल में जो इमारत अपने अलग रंग रूप की वज़ह से ध्यान खींचती है वो है होटल हिल्टन मोलीनो स्टकी। इस भवन का भी अपना एक इतिहास है। इसे बनाने वाला जोवानी स्टकी मूलतः स्विटज़रलैंड का रहने वाला था। जोवानी ने यहाँ पहले एक आटा चक्की लगाई और बाद में पास्ता बनाने का कारखाना भी। समय के साथ ये उद्योग बंद हो गए और करीब पच्चीस साल पहले इमारत को होटल में तब्दील कर दिया गया। यहाँ रहने के लिए आज की तारीख में कम से कम आपको बाईस हजार रुपये चुकाने होंगे।


रेसीडेंजा ग्रान्दी वेदुते (Residenza Grandi Vedute)


ये इमारत भी कभी कृषि आधारित उत्पाद के लिए कारखाने का काम करती थी। यहाँ हर कमरे में किचन भी है यानी अपना खाना खुद बनाओ पर एक दिन में रहने का किराया इतना जितना की आप भारत के किसी आम शहर में महीने में देते हैं।


इटली की इस यात्रा का ये आख़िरी भाग था। आशा है इसकी कड़ियाँ आपको पसंद आई होंगी। शीघ्र हाज़िर होता हूँ किसी और सफ़र की दास्तान लेकर..

इटली यात्रा 
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