श्रीनगर से लद्दाख जाते वक़्त कश्मीर घाटी का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल सोनमर्ग से होकर गुजरना पड़ता है। समुद्रतल से 2800 मीटर की उँचाई पर स्थित सोनमर्ग श्रीनगर से करीब 87 किमी उत्तर पूर्व की दूरी पर है । श्रीनगर तो झीलों, शिकारों और बागों का शहर है जहाँ से आप जबरवान की पहाड़ियों की खूबसूरती को निहार पाते हैं पर कश्मीर घाटी की असली सुंदरता देखने के लिए आपको शहरी इलाकों से बाहर आना पड़ेगा।
सोनमर्ग के खूबसूरत चारागाह |
श्रीनगर से बाहर निकलते ही गांदरबल जिले का इलाका प्रारंभ हो गया। यहाँ कस्बों में भी बने मकान शानदार दिखे। ज्यादातर घरों को ईंट की जगह स्याह रंग के पत्थरों और लकड़ी की अलग अलग डिज़ाइन वाली खिड़कियों से सजाया गया था। छतें रंग बिरंगी इस्पात की घुमावदार चादरों की बनी थीं ताकि बर्फ गिरने पर ढलान के साथ नीचे फिसल जाए।
गांदरबल वही इलाका है जहाँ से जम्मू एवम कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्लाह और उनके बाद उनके सुपुत्र उमर अबदुल्लाह चुनाव लड़ा करते थे। गांदरबल से गुजरते हुए इस इलाके की प्रमुख नदी सिंध से हमारी पहली मुलाकात हुई। पानी की उपलब्धता इस इलाके में अच्छी है ये इस बात से ज़ाहिर हुआ कि मुझे धान की खेती दूर दूर तक फैली दिखाई दी। अब कश्मीर से आए लंबे दाने वाले चावल के जायक़े को भला कौन भूल सकता है?
वैसे ये सिंध नदी वो वाली सिंधु नदी नहीं है जिसे हम सभी अंग्रेजी में इंडस (Indus) के नाम से जानते हैं। इस सिंध की उत्पत्ति सोनमर्ग के समीप के मचोई हिमनद से होती है। सोनमर्ग के रास्ते में ये नदी कभी सड़क के बाँयीं तो कभी दायीं ओर बहती मिलेगी। गर्मी के दिनों में इसका पानी सफेद फेन के साथ जोरदार आवाज़ करता हुआ बहता है।
सिंध नदी जो आगे जाकर मिल जाती है झेलम में |
इसके बहाव की ताकत का इस्तेमाल इस इलाके में बिजली और सिंचाई उपलब्ध कराने में होता है। सौ किमी से ज्यादा लंबी इस नदी का अंत श्रीनगर के ज़रा पहले हो जाता है जब ये झेलम में जा कर मिल जाती है। इसकी खिलखिलाहट को पास सुनने के लिए मैं इसके समीप बने एक उद्यान के पास उतरा और कुछ समय इसके करीब बैठ कर बिताया।
देवदार के ये जंगल सोनमर्ग से तीस किमी पहले से ही शुरु हो जाते हैं। |