
महल को यूरोपीय हवेली की शक्ल देने के लिए जम्मू का एक पहाड़ी इलाका चुना गया। लाल बलुआपत्थर और लाल ईटों से बने इस महल के सामने तावी नदी घाटी का मनोरम दृश्य दिखता है। अपने समय में ये जम्मू की सबसे ऊँची इमारत मानी जाती थी।

भले ही आपने अमर सिंह का नाम नहीं सुना हो पर उनके आज की कश्मीर समस्या की जड़ में उनके पुत्र राजा हरि सिंह थे। वही हरि सिंह जिन्होंने आज़ादी मिलने के बाद भी भारत या पाकिस्तान में अपनी रियासत का विलय ना कर स्वाधीन रहने की कोशिश की थी। हरि सिंह की पत्नी महारानी तारा देवी ने अपनी जिंदगी के अंतिम वर्ष इसी महल में बिताए। आज भी महारानी तारा देवी का कक्ष उसी हालत में रहने दिया गया है जिसमें वो रहती थीं। महाराज अमर सिंह के पोते कर्ण सिंह जी ने इस महल को 1975 में एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया।
डोगरा राजाओं का स्वर्ण सिंहासन भी आज इस संग्रहालय के दरबार कक्ष की शोभा बढ़ा रहा है।
पर आज सिर्फ इसकी इस प्राचीन विरासत को देखने के लिए ही पर्यटक यहाँ नहीं आते हैं। इस संग्रहालय में डोगरा राजाओं के समय की काँगड़ा और पहाड़ी चित्रकला का अद्भुत संग्रह है। संग्रहालय में भारत के मशहूर चित्रकारों की चित्रकला प्रदर्शित करती कई कला दीर्घाएँ भी हैं। यही नहीं यहाँ महाराज कर्ण सिंह द्वारा पिछले पचास साल में संग्रहित भारतीय और विश्व के जाने माने लेखकों द्वारा लिखी गई बीस हजार से ज्यादा पुस्तकों का संकलन है।
पहेली का सही जवाब देने में सबसे पहले सफल हुए अन्तर सोहिल। वैस उनके बाद प्रकाश गोविंद भी सही उत्तर देने में सफल रहे। आप दोनों को हार्दिक बधाई और बाकी लोगों को अनुमान लगाने के लिए शुक्रिया। आशा है जम्मू के आस पास रहने वाले लोग जम्मू जाने पर इस महल का भी चक्कर लगा कर जरूर आएँगे।