जापान जाने के पहले मुझे पता नहीं था कि मुझे कोबे जाने का भी मौका मिलेगा। वैसे भी घूमने वालों की फेरहिस्त में सामान्यतः जापान की जो तीन जगहें आती हैं वो हैं टोक्यो, क्योटो व हिरोशिमा। सही मौसम रहा तो लोग टोक्यो और क्योटो के बीच माउंट फूजी के दर्शन भी कर लेते हैं। हाँ, ये जरूर है कि कुछ लोग समय रहने पर ओसाका को भी अपनी यात्रा योजना में शामिल करते हैं और यदि आप ओसाका आ गए तो कोबे जाना तो बनता ही है क्यूँकि ये वहाँ से मात्र चौंतीस किमी की दूरी पर है।
A room with a view जब आपकी खिड़की ऐसे दृश्य ले कर खुले ! |
क्योटो से ओसाका होते हुए हमें बस से कोबे आना था। ओसाका शहर से तो तो हम
किनारे किनारे निकल लिए। पर एक बात जो मुझे दिखी वो ये कि जापान के सारे
शहर एक जैसे ही लगते हैं। सारे ऊँची ऊँची गगनचुंबी इमारतों के दूर तक फैले
हुए जंगल सरीखे। कहीं कोई पुरानी धरोहर नहीं। अब इसमें जापान का दोष नहीं
कि उनके पास इतिहास के नाम पर क्योटो और नारा जैसी जगहें ही बची हैं।
युद्ध व भूकंप की दोहरी मार झेले हुए इस देश में इतिहास के नाम पर BC नहीं
बस AD ही चलता है।
कोबे का बंदरगाह Kobe Harbour |
मध्य जापान के होन्शू द्वीप में स्थित कोबे, जापान का छठा सबसे बड़ा नगर है। एक ओर पहाड़ी और दूसरी और समुद्र से घिरा कोबे शहर अपनी तीन खूबियों के लिए जाना जाता रहा है। पहला तो यहाँ का
बंदरगाह, जो कभी जापान का सबसे बड़ा व व्यस्ततम बंदरगाह हुआ करता था । अठारहवीं शताब्दी
में पश्चिमी देशों से इसी बंदरगाह के माध्यम से यहाँ व्यापार शुरु हुआ। नतीजन यहाँ कोरिया, चीन, वियतनाम और अमेरिका से भी लोग आकर बस
गए। वक़्त के साथ कोबे शहर ने इन देशों की संस्कृति को अपने में समाहित करता गया ।
कोबे की दूसरी पहचान एक औद्योगिक शहर की है। मशीनरी व स्टील की बड़ी बड़ी कंपनियाँ यहाँ काम करती हैं और तीसरी ये कि कोबे बीफ़ अपने स्वाद के लिए विश्व भर में जाना जाता है। अब मेरे जैसे शाकाहारियों के लिए तो ये खासियत किसी काम की नहीं थी तो उस ज़ायके से दूर ही रहे।
कोबे की दूसरी पहचान एक औद्योगिक शहर की है। मशीनरी व स्टील की बड़ी बड़ी कंपनियाँ यहाँ काम करती हैं और तीसरी ये कि कोबे बीफ़ अपने स्वाद के लिए विश्व भर में जाना जाता है। अब मेरे जैसे शाकाहारियों के लिए तो ये खासियत किसी काम की नहीं थी तो उस ज़ायके से दूर ही रहे।
कोबे में हमारा ठिकाना JICA Kanshai Centre |