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शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

डगर थाइलैंड की भाग 4 - आइए ले चलें आपको हाथियों के महल और उड़ते किन्नरों की दुनिया में ! Phuket FantaSea : Palace of the Elephants !

थाइलैंड से जुड़ी इस श्रंखला की पिछली कड़ी में आपने झलकें देखी थीं यहाँ के कार्निवाल विलेज की। इसके बाद Phuket Fantasea में हमारा अगला पड़ाव था The Golden Kinnaree जो ना केवल अपने वृहद भोज के लिए जाना जाता है बल्कि जिसकी बाहरी और आंतरिक साज सज्जा मन को मंत्रमुग्ध कर देती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि थाइलैंड के सुदूर दक्षिण इलाके में बने इस भोजनालय का नाम भारत की पौराणिक कथाओ में उल्लेखित किन्नर शब्द से ही निकला है। 


पुराणों और महाभारत में इस बात का जिक्र बार बार मिलता है कि किन्नर हिमालय में बसने वाली एक जन जाति थी जिन्हें अपने स्वरूप से सीधे सीधे स्त्री या पुरुष में विभेद करना मुश्किल था। किन्नर नृत्य और गायन में प्रवीण होते थे। हिमालय के पवित्र शिखर पर रहने वाले शंकर भगवान की सेवा किन्नरों ने की थी । शायद इसी वज़ह से हिमालय की एक चोटी किन्नर कैलाश के नाम से जानी जाती है। कालांतर में बौद्ध धर्म जब भारत में पनपा तो थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ हिंदू धर्म की बहुत सारी पौराणिक मान्यताएँ उसमें भी समाहित हो गयीं। जहाँ पौराणिक हिंदू ग्रंथों में किन्नरों को अश्वमुखी मानव काया वाला समझा गया वहीं बौद्ध ग्रंथों में किन्नर विद्यमान रहा पर उसे एक नया रूप  मानवमुखी पक्षी का मिल गया। थाई भाषा में किन्नर का नारी रूप किन्नारी हो गया। यानी शरीर का ऊपरी भाग स्त्री का और निचला एक पक्षी का  तो अब आप समझ गए होंगे कि फुकेट फैंटासी के इस रेस्ट्राँ का नाम ऐसा क्यूँ है?

Main Gate मुख्य द्वार The Golden Kinnaree
The Golden Kinnaree की इमारत सचमुच चारों ओर स्वर्णिम आभा बिखेरती नज़र आती है। भवन का मुख्य दरवाजा किसी थाई शाही महल का सा आभास देता है। लगभग सवा एकड़ में फैले इस विशाल रेस्टाँ के सामने का हिस्सा पानी से घिरा हुआ है। रात को चौंधियाती रोशनी की छाया जब इस जलराशि पर पड़ती है तो नज़ारा देखने लायक होता है।

बाहरी साज सज्जा
थाइलैंड के कई इलाकें ऐसे हैं जहाँ समुद्र का पार्श्वजल (Backwaters) अंदरुनी गाँवों तक फैला हुआ है। इन इलाकों में तैरते बाजार (Floating Markets) यानि नावों पर लगने वाले बाजार आम हैं। इसे ही दिखाने के लिए गोल्डेन किन्नारी में भी खूबसूरत सी नाव रखी गई है।

Kamala Floating Market

शनिवार, 1 नवंबर 2014

डगर थाइलैंड की भाग 3 - फुकेट का सबसे लोकप्रिय थीमपार्क फैंटासी Phuket FantaSea : Carnival Village

डगर थाइलैंड की इस श्रंखला में अब तक आप पढ़ चुके हैं राँची से बैंकाक और फिर बैंकाक से फुकेट आने की दास्तान। आज की इस पोस्ट में आपको ले चलेंगे फुकेट के सबसे बड़े थियेटर व थीम पार्क फुकेट फैंटासी में। नाम के अनुरुप फुकेट फैंटासी थाइलैंड के अतीत को वृहद स्टेज पर उतारने की कल्पनात्मक अभिव्यक्ति भर है। फुकेट के अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तुलना में फैंटासी अपेक्षाकृत मँहगा पर सबसे लोकप्रिय शो भी है। अब प्रति व्यक्ति Rs 3500 से 4000 तक के टिकट को सस्ता तो नहीं कहा जा सकता पर पैकेज के तहत लेने पर इसमें छूट मिलती है।

फुकेट फैंटासी फुकेट की Kamala Beach पर जिसे काथू स्थित हमारे होटल से जाने में आधे घंटे लगते थे। पर इस बार हमारी गाड़ी में कुछ और लोग भी थे जिन्हें ले कर थीम पार्क तक पहुँचते पहुँचते शाम के पौने सात बज गए। यूँ तो दुनिया भर के अलग अलग हिस्सों से आए विदेशियों की झलक हमें काथू स्थित होटल से ही मिल गई थी पर इस थीम पार्क के प्रांगण में आ के लगा कि हम सही में किसी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल पर पहुँच चुके हैं। जिधर देखों अलग अलग नाक नक्श व भाषा बोलने वाले लोग दिखाई दे रहे थे। थीम पार्क में हमें करीब ढाई से तीन घंटों का वक़्त गुजारना था जिसका मुख्य आकर्षण हाथियों के महल में होने वाला एक घंटे का सांस्कृतिक कार्यक्रम और उसके पहले वृहद स्तर पर आयोजित रात्रि भोजन था। 

At the entrance of Phuket FantaSea जादुई पहाड़ के सामने
फैंटासी के मुख्य द्वार के पास ही एक छोटा सा पहाड़ है जिसे यहाँ Magic Mountain यानि जादुई पहाड़ की उपमा दी जाती है। परिसर के अंदर घुसते ही हमने अपने आपको Carnival Village के अंदर पाया। पर ये नाम को ही गाँव था। हर तरफ चमचमाती रंग बिरंगी रौशनियों से चमकती दुकानों के मध्य से गुजरना बच्चों में स्वाभाविक उत्साह ले आया।

Yak Attack...मेरे हमले से बच के तो दिखाओ !
वैसे भी ये हिस्सा उनके मनोरंजन को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है। कही निशाने लगाने की धूम थी तो कहीं डिस्नी के आदमकद किरदारों के साथ नृत्य करने का अवसर। फिर खेल और खिलौने का आकर्षण तो अलग था ही..

आप नहीं करेंगे हमारे साथ नृत्य ?

तारे जमीं पर.. :).