Diamond Harbour लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Diamond Harbour लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

डायमंड हार्बर क्या एक बंदरगाह है? Diamond Harbour, Kolkata

डायमंड हार्बर.... बचपन में भूगोल की कक्षा में पहली बार इस जगह का नाम सुना था और तबसे आज तक मैं यही सोचता था कि कोलकाता का मुख्य बंदरगाह यही होगा। हीरा तो वैसे भी अनमोल होता है सो डायमंड हार्बर बाल मन से अपने प्रति उत्सुकता जगाता रहा। पर पिछले तीन दशकों में दर्जनों बार कोलकाता गया पर डायमंड हार्बर चाह कर भी नहीं जा पाया। जाता भी तो कैसे भीड़ भाड़ वाले कोलकाता में पचास किमी का सफ़र दो से तीन घंटे से पहले कहाँ खत्म होने वाला है और इतना समय होता नहीं था। सो विक्टोरिया मेमोरियल, बेलूर मठ, दक्षिणेश्वर, बोटानिकल गार्डन, साइंस सिटी, निको पार्क जैसी जगहों के चक्कर तो लग गए पर डायमंड हार्बर, डायमंड नेकलेस की तरह पहुँच से दूर ही रह गया। डायमंड हार्बर के बारे में जो गलतफहमी मैंने बचपन से पाल रखी थी वो तब दूर हुई जब डेढ़ महीने पहले यानि पिछले दिसंबर में मैं वहाँ पहुँचा। 

Diamond Harbour  डायमंड हार्बर,

आज की तारीख़ में डायमंड हार्बर में कोई बंदरगाह नहीं है। ये जरूर है कि कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट कई दिनों से यहाँ जेटी बनाने की सोच रहा है। फिर डायमंड हार्बर है क्या? दरअसल कोलकाता से दक्षिण पश्चिम बहती हुगली नदी इसी के पास दक्षिण की ओर घुमाव लेती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। एक ज़माने में ये देश विदेश से होने वाले व्यापार का केंद्र था क्यूँकि यहीं से कोलकाता के बाजारों तक पहुँचा जा सकता था। आज तो यहाँ बस एक रिवर फ्रंट और टूटा हुआ किला ही है।


बॉलीगंज से टालीगंज होते हुए जब हमने डायमंड हार्बर रोड की राह थामी तब घड़ी की सुइयाँ दस बजा रही थीं। छुट्टी का दिन था फिर भी सड़क पर ट्राफिक कम नहीं था। वैसे भी राष्ट्रीय राजमार्ग 117 से जाने वाला ये रास्ता चौड़ा नहीं है। दोपहर बारह बजे जब हम डायमंड हार्बर पहुँचे तो आसमान को स्याह बादलों ने घेर रखा था।