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शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

पतरातू बाँध (Patratu Dam) : राँची के करीब एक रमणीक पर्यटन स्थल !

वैसे तो इस ब्लॉग पर आप मेरे साथ देश के अधिकांश राज्यों का भ्रमण कर चुके हैं । पर जैसा कि हम सभी के साथ होता है कि जहाँ हम रहते हैं उसके आस पास के इलाके अछूते रह जाते हैं। अब देखिए ना राँची में रहते हुए यूँ तो यहाँ के सारे रमणीक स्थानों को देख चुका हूँ पर आपको कभी अपने साथ नहीं  ले गया। राँची से तीस चालिस किमी की परिधि में कई झरने हैं। इनमें दशम जलप्रपात सबसे सुंदर है पर खतरनाक भी। हुंडरू और जोन्हा के झरने भी देखने लायक हैं पर हुंडरू के पास पनबिजली के उत्पादन के बाद से पानी का प्रवाह वैसा नहीं रहा। पर आज मैं आपको किसी निर्झर के दर्शन नहीं करा रहा पर ले चल रहा हूँ पिठौरिया पतरातू घाटी के रास्ते से होते हुए पतरातू बाँध (Patratu Dam) के सुंदर जलाशय में।

पतरातू  शहर मुख्यतः अपने ताप विद्युत संयंत्र के लिए जाना जाता रहा है पर जबसे पिठौरिया पतरातू घाटी की नई खूबसूरत सड़क बनी है पतरातू बाँध तक जाने का आनंद पहले से काफी अधिक हो गया है। राँची शहर से पतरातू बाँध की दूरी मात्र 35 किमी है यानि एक घंटे में आराम से आप वहाँ राँची से चल कर पहुँच सकते हैं। तो जाड़े की ऐसी ही एक सुबह अपने कार्यालय के साथियों के साथ मैं पतरातू की ओर निकल पड़ा। राँची में जाड़े की सुबह और रातें भले ठिठुराने वाली होती हों पर इस मौसम में दिन की छटा ही निराली होती है। स्वच्छ गहरा नीला आकाश सूरज की नर्म धूप के साथ अक्सर बाँहें फैलाए हर दिन हमें घर के बाहर निकलने का आमंत्रण देता है। एक बार आप शहर की सीमा से बाहर निकलते हैं और अगल बगल की  हरी भरी छटा से झारखंड (झार जंगल खंड हिस्सा) नाम सार्थक हो जाता है



पौन घंटे सीधे सपाट रास्ते पर चलने के बाद घाटी का घुमावदार रास्ता शुरु होता है। सर्प के समान घूमते इन मोड़ों से जब आप घाटी के शिखर पर पहुँचते हैं तो बड़ा ही मनमोहक नज़ारा आपके सामने होता है। सखुआ और साल के जंगलों को समेटे इस घाटी के ठीक पीछे पतरातू जलाशय की नीली जलराशि दिखाई देती है।
 

ढलान से जलाशय तक पहुँचने में दस पन्द्रह मिनट और लगते हैं।