गुरुवार, 10 अक्तूबर 2019

राँची की दुर्गा पूजा : आज देखिए बाँधगाड़ी, काँटाटोली हरमू, श्यामली, सेल टाउनशिप के पंडालों की झलकियाँ Ranchi Durga Puja 2019

पंडाल परिक्रमा की अंतिम कड़ी में आपको दिखाते हैं राँची के अन्य उल्लेखनीय पंडालों की झलकियाँ। रेलवे स्टेशन, रातू रोड, ओसीसी व बकरी बाजार के बाद जिन  पंडालों  ने ध्यान खींचे वो थे बाँधगाड़ी, काँटाटोली व हरमू के पंडाल।

बाँधगाड़ी में दुर्गा जी के आसपास कहीं भी महिसासुर की छाया तक नहीं थी। सारे शस्त्र माता के हाथों में ना होकर चरणों में दिखे। माता के मंडप में सर्व धर्म समभाव दिखाने के लिए विभिन्न धर्मों के प्रतीक चिन्हों का प्रयोग किया गया था।

बाँधगाड़ी के पंडाल में शस्त्र विहीन दुर्गा शांति का संदेश देती हुई

कांटाटोली में माँ दुर्गा की प्रतिमा
वहीं काँटाटोली के दुर्गापूजा पंडाल में चित्रकला के माध्यम से रामायण की कथा का निरूपण किया गया था। पंडाल का ये स्वरूप छोटे बड़े बच्चों को काफी आकर्षित कर रहा था।


आज जब एक अभिनेत्री ये नहीं बता पाती हैं कि संजीवनी पर्वत पर हनुमान किसके लिए बूटी लाने गए थे, तो देश में उसे मुद्दा बना लिया जाता है। हमलोग छोटे थे तो ये कहानियाँ कामिक्स और टीवी सीरियल के माध्यम से हमारी स्मृतियों में रोप दी गयी थीं पर आज कल के मोबाइल युग में पढ़ाई के इतर जो कुछ और परोसा जा रहा है उसमें हमारी संस्कृति के कितने अवयव समाहित हैं ये सोचने का विषय है।

यहाँ सजावट थी चित्रकला के माध्यम से...

मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019

राँची की दुर्गा पूजा : गगनचुंबी इमारतों के बीच बना बकरी बाजार का इंद्रधनुषी पंडाल Bakri Bazar Ranchi Durga Puja 2019

राँची के सबसे नामी पंडालों में बकरी बाजार अग्रणी हैं। सामान्यतः यहाँ के पंडाल अपनी विशालता और वैभव के लिए ज्यादा और महीन कलाकारी के लिए कम जाने जाते हैं। इस बार यहाँ सतरंगा पंडाल सजा जिसकी थीम थी बढ़ती जनसंख्या के बीच आम जनों का संघर्ष !

रंगों से भरे पंडाल में अपनी बात कहने में आयोजक कितने सफल हुए हैं देखिए आज इस झाँकी में..

बकरी बाजार का काल्पनिक इंद्रधनुष

उल्लू तो लक्ष्मी जी का वाहन था पर यहाँ दुर्गा पंडाल का सारथी बन बैठा है


पंडाल में इन्द्रधनुष के नीचे जो सैकड़ों हाथ दिख रहे हैं वो बढ़ती जनसंख्या के प्रति आयोजकों की चिंता को व्यक्त करते हैं। इन सारे लोगों के लिए हर दिन संघर्ष का है जो लोग इस वैतरणी को पार कर जीवन में सफल हुए उनमें सर कुछ के चित्र एक कोलॉज के माध्यम से ऊपर टाँके गए हैं।

ये दिखाने की कोशिश की गयी है कि इतनी भीड़ में कुछ ही सफलता का स्वाद चढ़कर प्रशस्ति की नाव पर सवार हो सकेंगे।

मेकेनिकिल इंजीनियर के यंत्र गियर की सजावट के बीच निखरती चित्रकला

चौंक गए ना? 

राँची की दुर्गा पूजा : बांग्ला स्कूल में सजा राजस्थानी पुतलों का संसार Bangla School Durga Puja 2019

रांची की दुर्गा पूजा की पंडाल परिक्रमा के तीसरे चरण में चलिए बांग्ला स्कूल के इस राजस्थानी पुतलों के संसार में।

बांग्ला स्कूल का पंडाल राँची के अन्य बड़े पंडालों जितना प्रसिद्ध भले ना हो पर यहाँ कलाप्रेमी अक्सर कुछ अलग सा देखने के लिए जाते जरूर हैं। इस बार यहां पंडाल की दीवारें सिंदूरी रंग में सजी थीं। दीवारों के गोल नमूनों को बीचों बीच जलता बल्ब  पंडाल को जगमग कर रहा था। पंडाल की एक दीवार पर शीशा लगा कर लोगों को सेल्फी खींचने की ज़हमत से बचा दिया गया था।

तीस से पैंतीस फीट की कठपुतलियों के बीच माँ दुर्गा से मिलती जुलती छोटी छोटी गुड़िया बनाई गयी हैं। पंडाल के मुख्य मूर्तिकार निर्मल शील के अनुसार इन्हें बनाने के लिए चटाइ, पाट लकड़ी, शीप, शंख, हुगला पत्ता, ताल पत्ता और बाँस का इस्तेमाल किया गया है।

इस पंडाल की सबसे खूबसूरत छटा छलक रही थी माँ के दरबार में। सीपों की लटकती झालर के पीछे माँ दुर्गा राजस्थानी लिबास में लिपटकर सौंदर्य का प्रतिमान लग रही थीं। 

राजस्थानी वेशभूषा में सजी सँवरी माँ दुर्गा

अब और क्या बताना आप खुद ही देख लीजिए मेरे कैमरे की नज़र...

पंडाल का मुख्य द्वार

पुतलों की विशाल प्रतिमाएँ

सोमवार, 7 अक्तूबर 2019

राँची की दुर्गा पूजा : आज बारी रातू रोड की Ratu Road Durga Puja 2019

दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा में आज बारी है रातू रोड के पंडाल की जहाँ सड़क के किनारे एक विशाल रथ के अंदर माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गयी है।  रातू रोड का पंडाल राँची के सबसे पुराने पंडालों में से एक है। ये वही इलाका है जहाँ यहाँ के प्राचीन नागवंशी राजवंश के अंतिम महाराज रहा करते थे। इसी वंश की एक रानी लक्ष्मी कुँवर ने जो बंगाल से थीं यहाँ 1870 ई से दुर्गा पूजा की परंपरा शुरु कराई।

रातू रोड पूजा पंडाल
इस साल इस पंडाल में भ्रूण हत्या और स्त्रियों पर हो रहे अत्याचारों को पंडाल की थीम बनाया गया है। बाहर से इस सजीले रथ को तो बाजे गाजे के साथ हाँका जा रहा है पर अंदर सर्प सरीखी कुप्रथाओं को स्त्री का अस्तित्व मिटाते दिखाया गया है। स्त्रियों पर होते जुल्म को देखकर माँ ने अपनी आँखे अधमुँदी कर रखी हैं।

पंडाल के बाहरी भाग को पीले और लाल रंग के समायोजन से सजाया गया है। अगर ध्यान से देखेंगे तो सारी आकृतियाँ पीले रंग के रेशे से बनी दिखेंगी। तो आइए चलें इस पंडाल की परिक्रमा पर

ऊपर बजती शहनाई, शादी की वेला आई

रविवार, 6 अक्तूबर 2019

राँची की दुर्गा पूजा : आज देखिए राँची रेलवे स्टेशन पर केरल की सांस्कृतिक झाँकी Durga Puja 2019 Ranchi Railway Station Pandal

राँची में दुर्गा पूजा की धूमधाम शुरु हो गयी है। षष्ठी और सप्तमी को राँची के पंडालों को देखने के बाद मैं आपके सामने ला रहा हूँ इस साल के चार शानदार पंडालों की झलकियाँ। शुरुआत राँची रेलवे स्टेशन के पंडाल से जो विगत कुछ वर्षों से अपनी कलात्मकता के लिए जाना जाता रहा है।

इस बार लगातार बारिश होने की वज़ह से राँची के ज्यादातर पंडाल षष्ठी को खुले। राँची रेलवे स्टेशन के पंडाल में सप्तमी के बाद इतनी भीड़ हो जाती है कि ढंग से यहाँ की कलाकृतियों को निहारना भी मुश्किल होता है। यही सोचकर मंडप के पट खुलने के कुछ घंटे बाद ही मैं वहाँ जा पहुँचा। भीड़ तो थी पर इतनी नहीं कि धक्का मुक्की हो।

इस साल पंडाल में दक्षिण भारतीय राज्य केरल की संस्कृति को वहाँ के नृत्यों के माध्यम से उकेरा गया है। चार महीने और 36 लाख रुपये में बने इस पंडाल में माता के दरबार को कैसे सजाया गया है चलिए देखते हैं चित्रों की इस झाँकी में।



मुख्य द्वार के सामने स्वागत करता कथकली नर्तक

मंडप का मुख्य द्वार