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शनिवार, 12 नवंबर 2016

यादें यूरोप कीः वो पहला अनुभव वियना का ! Senses of Austria

वियना में विमान से सुबह उतरते वक़्त बाहर का तापमान पन्द्रह के करीब बताया गया। हमारा समूह सशंकित था कि राँची और फिर दिल्ली में मई की गर्मी झेलने के बाद अचानक कितनी ठंड का सामना करना पड़ेगा। जो ठंड लगनी थी वो एरोब्रिज के आखिरी छोर पर पहुँचते पहुँचते खत्म हो गयी। वियना का ये एयरपोर्ट बहुत नया तो नहीं पर बेहद हरे भरे इलाके के बीच बना है। आज से करीब अस्सी साल पहले इसका निर्माण दूसरे विश्व युद्ध की तैयारियों के लिए जर्मनी द्वारा 1938 में किया गया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए और आज ये आस्ट्रिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है। 

देश में घुसते या निकलते समय ऐसी दुकानें से की गई खरीद वर्षों आपकी यादों को ताज़ा रख सकती हैं। 
हमारी अगली फ्लाइट छः घंटे बाद थी। भारत की अपेक्षा जहाँ इतनी सुबह एयरपोर्ट की हालत मछली बाजार की हो जाती है, यहाँ मामला खाली खाली सा था। अगली फ्लाइट जिस  द्वार के पास  आने वाली थी,  उसी इलाके में हमने अपना कब्जा जमाया। बेल्जियम के एयरपोर्ट की तरह यहाँ भी लोग बड़े डील डौल वाले दिखे। ज्यादातर कर्मचारी काले कोट या ब्लेजर में, अपने अपने काम में मुस्तैद। हमारे साथ जो विदेशी उतरे थे वे अख़बार पढ़ने या लैपटाप में काम करने में जुट गए और हम छत्तीस घंटे के लगातार ट्रेन और विमान की यात्रा करने के बाद फ्रेश होने के जुगाड़ में। अब पहली समस्या पीने के पानी की थी। एयरपोर्ट सुरक्षा ने पानी की किसी भी बोतल को पहले ही रखवा लिया था। अपने मोबाइल पास के चार्जिंग प्वाइंट पर लगा के मैं अपने सहयात्रियों के साथ पानी की खोज़ में निकला।


पूरे अहाते का चक्कर लगाने पर दो तीन जगह ही पानी की बोतल नज़र आई। ये तो जानते थे कि यहाँ पानी मँहगा होगा पर पानी पीने के लिए बीस रुपये की जगह दो सौ रुपये देकर हमें अपनी यात्रा की शुरुआत करना गले नहीं उतर रहा था। अभी इसी उधेड़बुन में थे कि एक और भारतीय जोड़े ने बताया ये पानी नहीं सोडा वाटर है। ऐसी ठंडी जगह में लोग पानी की बजाए बीयर या अन्य कोटि की शराब से गला तर करते हैं तो ख़ालिस पानी को कौन पूछे?  

वियना और पूरा आस्ट्रिया बीयर के शौकीनों के लिए जाना जाता है। आपको जान कर ताज्जुब होगा कि आस्ट्रिया का एक बाशिंदा साल में औसतन सौ से ऊपर लीटर बीयर को हलक के अंदर कर लेता है। इस मामले में आस्ट्रिया सिर्फ चेक रिपब्लिक और जर्मनी से पीछे है। एयरपोर्ट पर अगर  तीन चार यूरो में आधा लीटर बीयर या एक लीटर पानी मिले तो फिर आख़िर आप क्या पीजिएगा :p ? बाद में जब लौटते समय वियना शहर में चहलकदमी की तो पाया कि सुपरमार्केट में आधी लीटर बीयर की बोतल एक यूरो से भी कम में आती है।

वियना में पानी से ज्यादा सुलभ बीयर है :)

वैसे विदेश आने के पहले दो बातों के लिए अपने आपको मानसिक रूप से तैयार कर लेना चाहिए। पहला तो टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल और दूसरे पीने के पानी के लिए अलग से नल लगे होने की अपेक्षा का त्याग। पानी के बारे में ये फंडा तो मुझे अपनी जापान यात्रा में मिल गया था यानि बाथरूम में आने वाले पानी को आप बड़े विश्वास से पीने के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। यही जवाब विदेशों में हर जगह मिलेगा जहाँ आप ऐसा प्रश्न करेंगे। 

एयरपोर्ट पर नान वेज पिज़्जा, बर्गर तो मिल ही रहे थे। शाकाहारियों के लिए तरह तरह के बन, मफिन (मीठे केक) और चीज़ टमाटर सैंडविच जैसे व्यंजन (जिसे Tomato Foccacia नाम दिया गया था) भी उपलब्ध थे। पर दिल्ली से हम खाने पीने का पूरा स्टॉक ले कर चले थे। वियना एयरपोर्ट पर पूड़ी सब्जी का मस्त भोग लगा कर हमने एयरपोर्ट पर बाकी का वक़्त विंडो शापिंग में गुजारने का निश्चय किया।

बुधवार, 24 जून 2015

लहराते खेत... उँघते जंगल : देखिए वियना का आकाशीय नज़ारा ! Aerial View : Vienna, Austria

आसमान की ऊँचाइयों से नीचे दिखते बादलों के झुंड, डिब्बानुमा शहर, हरे भरे खेत खलिहान, पल पल अपना रास्ता बदलती नदी, पतली सर्पीली सड़कें और उस पर रेंगती गाड़ियाँ देखना विमान यात्राओं में मेरा प्रिय शगल रहा है। पर ये सारी छवियाँ अक्सर मन मस्तिष्क में अंकित हो कर रह जाती हैं। उन्हें कैमरे में क़ैद करने का सिर्फ एक मौका होता है और वो तब जब विमान अपने गन्तव्य तक पहुँचने के पहले शहर के आस पास के इलाकों पर मँडरा रहा होता है।जब भी खिड़की के पास मुझे बैठने का मौका मिलता है मैं इसी मौके का बेसब्री से इंतजार करता हूँ।

विदेशो में तो ये आनंद दूना हो जाता है क्यूंकि वहाँ के खेत खलिहान और शहर ऊपर से ही इतनी रंग बिरंगी छटा प्रस्तुत करते हैं कि मन बँधा का बँधा रह जाता है। आपको याद तो होगा ना  टोक्यो के हरे भरे धान के खेतों का जाल और बेल्जियम की राजधानी ब्रसल्स का सुंदर सुव्यवस्थित शहर, जिसे मैंने ब्लॉग के इन पन्नों पर आपको पहले दिखाया था।। तो चलिए आज आपको दिखाते हैं पूर्वी यूरोपीय देश आस्ट्रिया की राजधानी वियना के आकाशीय नज़ारे


दरअसल अपनी यूरोप यात्रा के दौरान लंदन जाते वक़्त हमें वियना के हवाई अड्डे पर अपना विमान बदलना था। विमान को सुबह छः साढ़े छः बजे के लगभग पहुँचना था। सुबह एप्पल जूस का रसपान करने के बाद मेरी तंद्रा पाँच बजे ही भंग हो चुकी थी। विमान ने नीचे आना शुरु नहीं किया था पर इतना पता चल रहा था कि सूर्योदय हो चुका है। अगले आधे घंटे में ज्यों ज्यों हम नीचे आते गए खूबसूत दृश्यों का काफिला नज़रों के सामने से गुजरता गया। तो आइए उनमें से क़ैद कुछ लमहों को देखिए मेरे कैमरे की नज़र से ..


यूरोप में पवनचक्कियाँ आम हैं। हालैंड तो खैर मशहूर ही है अपनी पवनचक्कियों के लिए..पर बाकी देशों में भी इनका खासा इस्तेमाल है।