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शनिवार, 24 जनवरी 2015

अहा कितना सुंदर है फी फी का ये समुद्र तट ! The beauty that is Phi Phi

फुकेट से चलकर हम लोग फी फी द्वीप पर दोपहर बारह बजे के आस पास पहुँच चुके थे। अगले चार घंटे हमें इस द्वीप में ही गुजारने थे़। फी फी समूह के द्वीपों में दो द्वीप प्रमुख हैं। जिस द्वीप पर हम पहुँचे उसका नाम है फी फी डॉन (Phi Phi Don)  जो कि यहाँ का सबसे बड़ा द्वीप है। इसी से सटे एक छोटा सा द्वीप और है जिसे फी फी ले कहा जाता है। दोनों द्वीपों के समुद्र तट बेहद सुंदर हैं और साथ ही कुछ जगहों पर Snorkelling भी करवाई जाती है। पर हमारे समूह ने पहले से ही ठान लिया था कि फी फी में अपना सारा समय इधर उधर ना जा कर समुद्र स्नान में बिताना है। 

इसी जहाज पर सफ़र कर हम आए थे फी फी
फी फी की स्वच्छ एवम् सुंदर जेटी जिसने अपनी पहली झलक दिखला कर ही मन मोह लिया।


वैसे फी फी का ये द्वीप प्रशासकीय तौर पर फुकेट का नहीं बल्कि क्राबी, थाइलैंड का हिस्सा है

फी फी डॉन का अगर कोई ऊपर से लिया चित्र आप देखेंगे तो आपको  दो चंद्राकार तटों के बीच पतली सी ज़मीन की पट्टी दिखाई देगी। जिस तरफ नावों और जहाज के ठहरने के लिए जेटी है उस हिस्से की तरफ से हम वहाँ पहुँचे थे। उसके ठीक दूसरी तरफ़ समुद्री तट का वो हिस्सा है जो अपेक्षाकृत छिछला है और समुद्र स्नान के लिए सर्वथा उपयुक्त है।

कतार में लगी नावें, नारियल के वृक्ष और पहाड़ियाँ.......

.........फी फी डॉन आपका इसी दृश्य से स्वागत करता है
इन दोनों हिस्सों के बीच की पट्टी पर दुकानों की कतारें हैं और कुछ होटल भी। सात साल पहले आई सुनामी में ये द्वीप भी तबाह हुआ था। पर अब ये पूरी तरह से बस चुका है। सरकार ने होटलों और दुकानों की संक्या को सीमित रखा है और यही वज़ह है कि इस इलाके की अकूत नैसर्गिक सुंदरता पर पर्यटन का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है।

जेटी से समुद्र तट के बीच का रंग बिरंगा बाजार

लो आ गए हम इस नयनाभिराम समुद्र तट पर !
फी फी का समुद्र तट एक बेहद सुंदर समुद्र तट है। अगर भारत की बात करें तो अंडमान का राधानगर का समुद्र तट इसके आस पास ठहर सकता है। तट के पास का पानी हरे रंग का दिखता है पर थोड़ी दूर पर ये रंग बदलते बदलते गहरा नीला हो जाता है। छोटी छोटी पहाड़ियों से घिरा होने के कारण यहाँ ऊँची ऊँची लहरें भी नहीं उठती पर जैसे जैसे आप समुद्र में आगे बढ़ते हैं पानी छाती और फिर गर्दन तक पहुँच जाता है।

नीले में गर घोला जाए हरा बेहिसाब फिर नशा जो हो तैयार...........

................... वो फी फी डॉन है :)
मज़े की बात ये थी कि इतने सारे जहाजों के वहाँ होने के बाद भी समुद्र तट पर कोई भीड़ भाड़ नहीं थी। ज्यादातर विदेशी समुद्र में नहाने के बजाए सूर्य स्नान में व्यस्त थे। नीला आसमान, चमकदार धूप, हरी भरी पहाड़ियाँ और समुद्र तट से लगे नारियल के वृक्ष और फिर हरा नीला रंग लिए समुद्र का मनमोहक पारदर्शक जल.. अब इन सबके  सामने रहते कौन डुबकी लगाने में ज़रा सी भी देर करेगा। सो हम लोगों ने भी घंटे दो घंटे समुद्र में जमकर मस्ती की।

पानी में छप छपा छई..

वैसे आप क्या पसंद करेंगे सूर्य स्नान या समुद्र स्नान :)
रोमांच को और बढ़ाना हो तो तट पर पैरा सेलिंग (Para sailing) की भी व्यवस्था थी। पैरा सेलिंग में पैराशूट का एक सिरा मोटरबोट से बँधा होता है । मोटरबोट  पूरी गति से आगे बढ़ती है और दुसरे सिरे पर पैराशूट पर चढ़ा व्यक्ति आसमान से बातें करता दिखाई पड़ता है।

 ऊपर जाने की इतनी जल्दी मुझे तो नहीं थी :)
देर तक समुद्र में नहाने के बाद सब थोड़ी थकान महसूस कर रहे थे। जेटी के पास के एक होटल में भोजन की व्यवस्था थी। भोजन उसी तरह का था जैसा हमें Koh Panyee में मिला था। भोजन करने के बाद भी फी फी से वापस फुकेट की यात्रा शुरु करनी थी। सच कहूँ तो इतने रमणीक स्थान से विदा लेने का ज़रा सा भी मन नहीं कर रहा था।

अलविदा फी फी ! कैसे भूल पाएँगे तुम्हें ?
अगली सुबह हमें फुकेट से बैंकाक को कूच करना था। अगली पोस्ट में आपको दिखाऊँगा आसमान से लिए हुए फुकेट के कुछ यादगार नज़ारे...

थाइलैंड की इस श्रंखला में अब तक
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रविवार, 18 जनवरी 2015

डगर थाइलैंड कीः देखिए फी फी के सफ़र पर दिखे ये 10 खूबसूरत नज़ारे Ten enchanting views on way to Phi Phi Island !

फुकेट प्रवास का आख़िरी दिन था फी फी या स्थानीय भाषा में उच्चारित करें तो पी पी द्वीप की यात्रा का। सच बताऊँ तो हमारा समूह फुकेट में सबसे ज्यादा उत्साहित इसी द्वीप को देखने के लिए था। हम ऊपरवाले से यही दुआ कर रहे थे कि भगवन फी फी जाते वक़्त बादलों के साथ आँख मिचौली मत खिलवाना। क्यूँकि फी फी की असली खूबसूरती निखरती धूप में ही प्रकट होती है। दस अक्टूबर की उस सुबह को जब हम उठे तो बाहर का दृश्य देख हमारी खुशी  का ठिकाना नहीं रहा। परवरदिगार ने हमारी सुन ली थी। गहरा नीला आकाश जगमगाती धूप के साथ हमारा स्वागत कर रहा था। 

फी फी द्वीपसमूह फुकेट से करीब 45 किमी की दूरी पर है। फांग नगा की खाड़ी जहाँ फुकेट के उत्तर पूर्व में हैं वहीं फी फी जाने के लिए आपको जेटी से दक्षिण पूर्व दिशा में जाना पड़ता है। सुबह के दस बजे जब हम जेटी पर पहुँचे तो देशी विदेशी पर्यटकों की भीड़ पहले से ही जहाज में मौज़ूद थी। फी फी द्वीप में जाने के लिए यूँ तो स्पीड बोट भी मिलती है पर मँहगी होने के कारण ज्यादातर लोग इस दुमंजिले जहाज में ही सफ़र करते हैं। इस जहाज से फी फी द्वीप तक पहुँचने में करीब दो घंटों का समय लगता है।


जहाज के निचले हिस्से में वातानुकूल कक्ष होते हैं जबकि डेक के आलावा इसकी खुली छत पर भी आप धूप सेंकने का काम कर सकते हैं। भारतीय तो नहीं पर कई विदेशी पर्यटक ऐसा ही करते नज़र आए। सबसे ज्यादा चहल पहल बीच वाले डेक पर ही दिखती है। जलपान के लिए फ्रूट सलाद मिलता है। वहाँ खाए अनानास का स्वाद तो मुझे आज तक याद है।

फांग नगा खाड़ी की तरह ही फीफी तक के सफर की खूबसूरती इसमें उग आई हरी भरी चूनापत्थर की पहाड़ियों से है। हर बार एक अलग शक्ल और रूप में सामने आकर ये आपको ना केवल चोंका देती है पर साथ ही आप उनके इन अद्भुत रूपों को निहार कर तृप्त हो जाते हैं। आइए आज के इस फोटो फीचर में रूबरू होते हैं फी फी द्वीप के इस सफ़र के दस खूबसूरत नज़ारों से.. 

सफ़र की शुरुआत में तट से लगे समुद्र में पानी का रंग हरा होता है...

जो कुछ ही समय बाद गहरे नीले रंग में बदल जाता है

फिर दिखने लगते हैं सागर की अथाह जलराशि के बीच ये सिकुड़े सिमटे द्वीप

एक ओर तो लहरों की चोट से घायल तो दूसरी ओर...

दूसरी ओर इतने हरे भरे कि मन करे कि इनके छोटे से शिखर पर ही अपना भी कोई नीड़ हो..
याद है ना फिल्म कहो ना प्यार है जिसमें अमीषा पटेल और ॠतिक रोशन एक नजाने से द्वीप में खो गए थे। फिल्म में वो दृश्य माया बे के इसी तट पर शूट किया गया है। वैसे इससे पहले यहाँ अंग्रेजी फिल्म The Beach की भी शूटिंग हुई है। पर इस तट तक पहुँचने के लिए आपको बड़े जहाज से उतर कर छोटी नौका या स्पीड बोट का सहारा लेना पड़ता है।

कहो ना प्यार है... कहा ना प्यार है :)

अद्भुत आकारों में खड़ी छोटी छोटी पहाड़ियाँ

पहाड़ों के बीच पतले रास्तों से छोटी नौकाओं में इन इलाकों को करीब से महसूस करने का अलग ही आनंद है।

क्या आपको नहीं लगता कि आसमान की चादर पर किसी ने त्रिशूल खड़ा कर दिया है ?

और इन त्रिभुजाकार चोटियों का तो कहना ही क्या !

तो ये थे फी फी द्वीप तक पहुँचने के रास्ते में मेरे कैमरे में क़ैद नज़ारे। दो घंटों की इस यात्रा में मुझे जो खुशी मिली थी उसका अंदाजा आप मेरी इस छवि से सहज ही लगा सकते हैं।


 फी फी पहुँचने के बाद वहाँ कैसे बिताया वो दिन वो जानियेगा फुकेट से जुड़ी इस श्रंखला की अगली कड़ी में..

थाइलैंड की इस श्रंखला में अब तक
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