रविवार, 27 सितंबर 2020

विश्व पर्यटन दिवस : कितनी प्रकृतिक सुंदरता समेटे है हमारा देश ? World Tourism Day : Incredible India !

भारत एक बेहद सुंदर देश है। इसकी सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के इतने अलग अलग रूप हैं कि आप चाहें भी तो एक जन्म में उन्हें कभी नहीं देख पाएँगे। फिर भी मैंने कोशिश की है कि आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भारत के उत्तर से लेकर दक्खिन और पूरब से लेकर पश्चिम तक की एक छोटी सी झाँकी आपको उन जगहों की दिखाऊँ जहाँ जाकर मुझे बेहद खुशी मिली।

पर्वत, समुद्र, जंगल, मैदान व नादियों से परिपूर्ण है ये देश। अगर आप यहाँ न भी गए हों तो  स्थितियां सामान्य होने पर  अवश्य जाइए और इस बात को महसूस कीजिए कि ऊपरवाले ने इस धरती को कितनी खूबसूरती नवाज़ी है

विश्व इसे एक युद्ध स्थल के रूप में जानता है। सोच कर बड़ा अजीब लगता है कि जिस जगह आ कर मन खुद ब खुद शांत हो जाता है उसे भी पड़ोसियों ने युद्ध का अखाड़ा बनाने में ज़रा भी परहेज नहीं किया।

द्रास , लद्दाख 

हरी भरी वादियां, नीला आसमान, पहाड़ की ढलान पर दूर दूर तक फैले चाय के बागान। मेरा मन तो यहां बार बार जाने को करता है।


मुन्नार, केरल 

ऐसी जगह तो देश में सिर्फ इकलौती है जहाँ नमक का नमक और पानी का पानी हो जाता है। 

कच्छ का रण , गुजरात 

अब चलिए एक ऐसी जगह जहाँ रेत के ऊंचे नीचे पहाड़ों की निस्तब्धता आपको अपने में मगन कर देगी।


जैसलमेर , राजस्थान 

इस झील का  सबसे बड़ा आकर्षण इसके किनारे लगे वृक्षों की कतारें और उन पर पास की पहाड़ियों से नज़र रखते घने जंगल थे। बादलों ने सूरज की रोशनी पर ऐसा पहरा लगाया था कि गहरे हरे रंग के पत्तों और धानी पत्तों के पेड़ एक दूसरे से बिल्कुल पृथक नज़र आ रहे थे। रंगों का ये विभेद हमारे सामने जो दृश्य उपस्थित कर रहा था वो मेरी स्मृतियों से ना निकला है ना निकल सकेगा। 

नौकुचिया ताल , नैनीताल , उत्तराखंड 

इस झील तक पहुंचने के लिए रास्ते भर कितनी धूल फांकी थी हमने। क्या जानते थे कि उन पहाड़ों के पार प्रकृति गहरी नीली साड़ी में हमारा ऐसा स्वागत करेगी।

चंद्र ताल , हिमाचल प्रदेश 

सत्रह हजार फीट से भी ऊपर हिमालय की गोद में बसी इस झील तक की यात्रा मेरे जीवन की सबसे कठिन और रोमांचक यात्रा रही है।

गुरुदोंगमर झील , सिक्किम 

जंगलों के बेहद अंदर दूर से गरजती इस जलप्रपात की आवाज़ भले ही मन में एक डर पैदा करती हो पर पास जा कर इसकी फुहारों का स्पर्श इतना स्नेहिल होता है कि आप इसके पानी में डुबकी लगाए बिना वापस नहीं आ पाते।

लोध जलप्रपात , झारखण्ड 

जंगल, पहाड़, समुद्र,ज्वालामुखी क्या नहीं है ज़मीन के इस छोटे से टुकड़े में। यहां आकर लगता है कि अगर इसे नहीं देखा तो भारत नहीं देखा।

रॉस द्वीप , अंडमान 

पूर्वी भारत धान की खेती के लिए जाना जाता है। मानसून में जब धान की बुआई चालू होती है तो यहाँ के खेत खलिहानों को देख मन हरा भरा हो जाता है।

अयोध्या पहाड़ , पश्चिम बंगाल 

कितने तूफानों को झेल चुका ये समुद्र तट। पर सूर्योदय की लाली को अपने आलिंगन में बांध कर सुबह की बेला में कितना शांत, कितना मासूम नज़र आ रहा है ...


गोपालपुर समुद्र तट , ओडिशा 

पश्चिमी घाट हों या पूर्वी घाटमानसून में इनकी छटा निराली हो जाती है। कब बादल आ जाएँ और आपके आँखों के सामने का दृश्य ओझल हो जाए इसका पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है। ऐसा ही एक लमहा जब पहाड़ के एक ओर निखरी धूप थी तो दूसरी ओर बादल


महाबलेश्वर , महाराष्ट्र