बांग्ला में पुकुर का मतलब होता है पोखरा और आप तो जानते ही हैं कि बंगाल में आदि काल से हर गाँव और कस्बे में पोखर का होना अनिवार्य सा रहा है। यही वज़ह है कि वहाँ कस्बे और मोहल्लों के नाम तालाबों पर रखे गए हैं। दक्षिणी कोलकाता में गरियाहाट से सटा इलाका है कस्बा का और यहीं से बोस पुकुर सड़क होकर गुजरती है। इस इलाके की दुर्गा पूजा अपनी नई सोच और कलात्मकता के लिए पूरे कोलकाता में प्रसिद्ध है। आज आपको उत्तरी कोलकाता में ले जाने के पहले इसी इलाके के दो खूबसूरत पंडालों से रूबरू करवाना चाहता हूँ। पहले चलते हैं तालबागान जहाँ पिछले साल दुर्गा माँ तक पहुँचने के लिए आपको कमल के फूलों की पंखुडियों के बीच से जाना था.
रंग बिरंगी पंखुडियों के बीच आसीन माँ दुर्गा...