लेह से पांगोंग त्सो की यात्रा की तुलना मे लेह से श्योक या नुब्रा घाटी का मार्ग ना केवल छोटा है बल्कि शरीर को भी कम ही परेशान करता है। लेह से हुंडर तक की दूरी सवा सौ किमी की है जबकि पांगोंग जाने में लगभग सवा दो सौ किमी का सफ़र तय करना पड़ता है। इस सफ़र में आप लद्दाख के खारदोंग ला से रूबरू होते हैं जिसका परिचय गलत ही सही पर विश्व के सबसे ऊँचे दर्रे के रूप में कराया जाता था। हालांकि अब ये स्पष्ट है कि इसकी ऊँचाई बोर्ड पर लिखे 18380 फीट ना हो कर मात्र 17582 फीट है जो कि चांग ला के समकक्ष है। स्थानीय भाषा में खारदोंग ला पुकारे जाने वाले इस दर्रे को कई जगह रोमन में खारदुंग ला भी लिखा दिखाई देता है। यहाँ तक कि दर्रे पर ही आप दोनों तरह के बोर्ड देख सकते हैं।
बहरहाल आज की इस पोस्ट में मेरा इरादा आपको लेह से दिस्कित तक के इस खूबसूरत रास्ते की कुछ झलकियाँ दिखाने का है। चित्रों का सही आनंद लेने के लिए उस पर क्लिक कर उनको अपने बड़े रूप में देखें।
लेह के दो छोरों पर बाँयी ओर दिखता लेह पैलेस और दाहिनी तरफ शांति स्तूप |
दरअसल अगर लेह शहर को संपूर्णता से देखना है तो इसकी उत्तर दिशा में खारदोंग ला या खारदुंग ला की सड़क की ओर बढ़ना चाहिए। लेह से खारदुंग ला जाने वाली सड़क तेजी से ऊँचाई की ओर उठती है। इसके हर घुमाव पर आप हरे भरे पेड़ों के बीच बसे लेह शहर को अलग अलग कोणों से देख सकते हैं। सबसे बेहतर कोण वो होता है जब आप एक ही फ्रेम में इसके दो पहचान चिन्हों शांति स्तूप और लेह पैलेस को एक साथ देख पाते हैं।
पर्वत की रंगत को बदलते बादल |