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रविवार, 22 जून 2014

नौकुचियाताल : शांति और सुंदरता का अद्भुत समन्वय Naukuchiatal : Beauty in tranquility !

कौसानी, बिनसर और अपनी नैनीताल यात्रा को आगे बढ़ाते हुए आज चलते हैं नैनीताल के सबसे खूबसूरत ताल नौकुचियाताल की ओर। वैसे प्राकृतिक सुंदरता की बात करें तो सात ताल और खुरपा ताल भी ज्यादा पीछे नहीं रहेंगे पर अपने नौ किनारों के विस्तार और उनके पार्श्व में ओक के जंगलों को समेटे इस ताल के किनारे किनारे चलना या फिर इसमें नौका विहार करना कम से कम मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। 

पेड़ों की इस धानी छाँव का सुख कोई इस झील से पूछे !
अक्टूबर के महीने में जब हम नैनीताल से चौबीस किमी की दूरी पर स्थित इस झील के पास पहुँचे तो आसमान में बदली छाई थी। इस झील की सबसे बड़ा आकर्षण इसके किनारे लगे वृक्षों की कतारें और उन पर पास की पहाड़ियों से नज़र रखते घने जंगल थे। बादलों ने सूरज की रोशनी पर ऐसा पहरा लगाया था कि गहरे हरे रंग के पत्तों और धानी पत्तों के पेड़ एक दूसरे से बिल्कुल पृथक नज़र आ रहे थे। रंगों का ये विभेद हमारे सामने जो दृश्य उपस्थित कर रहा था वो मेरी स्मृतियों से ना निकला है ना निकल सकेगा। 

बोलो कैसे अपनी प्रीत दिखाऊँ.. धानी चुनरिया ओढ़ मैं साजन पे झुक जाऊँ !

ऐसा लगता था मानो पानी में खड़े ये खिले खिले से पेड़ झील के जल से अपना ममत्व दर्शा रहे हों। पेड़ों की झुरमुट में खड़ी बत्तखनुमा नौकाएँ और उनके बीच से निकलकर किनारे आते इस बत्तख के समूह को कैमरे में क़ैद करने का आनंद को बस महसूस ही किया जा सकता है।

देखो मैंने देखा है ये इक सपना झीलों के शहर में हो घर अपना..