शिंटो और बौद्ध धर्म की भिन्नताओं और हिंदू व शिंटो जीवन शैली की समानताओं के बारे में तो आपने जान लिया। आज विषय थोड़ा पलटते हैं और ले चलते हैं आपको जापान की विशेष खासियत यहाँ के जापानी गार्डन में। सहज प्रश्न उठता है कि एक आम बागीचे से जापानी गार्डन या उद्यान किन अर्थों में भिन्न है? जापानी उद्यान, उस सांस्कृतिक परंपरा के वाहक हैं जो Edo काल से चीन से प्रेरित हो कर जापान तक पहुँची। जापान की प्रकृति यहाँ के ज्वालामुखीय पर्वतों, छोटे छोटे झरनों, चट्टानों से सटे समुद्र तटों, सदाबहार वनों और विविध प्रकार के फूलों जो यहाँ के चार मुख्य मौसमों में अपना रंग बदलते हैं, से अटी पड़ी है। एक अलग तरह के उद्यान की परिकल्पना करते समय जापानियों ने इन प्राकृतिक तत्त्वों का इस्तेमाल इस तरह से किया कि चारों ओर फैली प्रकृति एक छोटे रूप में एक उद्यान में समाहित हो जाए।
अपनी जापान यात्रा में हमें सिर्फ दो बार इन उद्यानों को करीब से देखने का मौका मिला एक तो क्योटो के हीयान शिंटो पूजा स्थल को देखते समय तो दूसरी बार कोकुरा के विख्यात महल की यात्रा पर। इन जापानी उद्यानों का स्वरूप भले सामान हो पर ये मुख्यतः दो कार्यों के लिए काम में लाए जाते रहे। बौद्ध मंदिरों के साथ बने उद्यान चिंतन मनन के लिए प्रयुक्त होते रहे वहीं महलों के समीप बने उद्यान राजाओं और उनके परिवारों के आरामगाह की भूमिका निभाते रहे।
तो आइए सबसे पहले चलें हीयान पूजा स्थल से सटे जापानी उद्यान में। इस उद्यान की रूपरेखा Ogawa Jeihi ने तैयार की थी। उद्यान में घुसने पर एक छोटा सा तालाब आता है जिसे पार कर मुख्य झील तक पहुंचा जा सकता है जिसके केंद्र में उद्यान बनाया गया है। मजेदार बात ये है कि इस तालाब को हरे दैत्य के तालाब के नाम से जाना जाता है।
अपनी जापान यात्रा में हमें सिर्फ दो बार इन उद्यानों को करीब से देखने का मौका मिला एक तो क्योटो के हीयान शिंटो पूजा स्थल को देखते समय तो दूसरी बार कोकुरा के विख्यात महल की यात्रा पर। इन जापानी उद्यानों का स्वरूप भले सामान हो पर ये मुख्यतः दो कार्यों के लिए काम में लाए जाते रहे। बौद्ध मंदिरों के साथ बने उद्यान चिंतन मनन के लिए प्रयुक्त होते रहे वहीं महलों के समीप बने उद्यान राजाओं और उनके परिवारों के आरामगाह की भूमिका निभाते रहे।
तो आइए सबसे पहले चलें हीयान पूजा स्थल से सटे जापानी उद्यान में। इस उद्यान की रूपरेखा Ogawa Jeihi ने तैयार की थी। उद्यान में घुसने पर एक छोटा सा तालाब आता है जिसे पार कर मुख्य झील तक पहुंचा जा सकता है जिसके केंद्र में उद्यान बनाया गया है। मजेदार बात ये है कि इस तालाब को हरे दैत्य के तालाब के नाम से जाना जाता है।
Pond of the Green Dragon..Soryu-Ike हरे दैत्य वाला बाग |
इस उद्यान की खास बात है कि सालों भर ये अपनी उस मौसम की विशिष्ट रंगत लिए होता है। वसंत में चेरी के पेड़ फूलों से लद जाते हैं, गर्मी और बरसात में वाटर लिली की चादर तालाब के ऊपर बिछ जाती है, पतझड़ में मेपल वृक्ष अपनी लाल नारंगी आभा से पूरा मंज़र बदल देते हैं तो जाड़े में तालाब के आस पास की इमारते सफेद बर्फ की चादर से ढक जाती हैं।
Dragon stepping stones or Garyu Kyo leading to Seiho lake |
इन चीनी जापानियों को अपने दैत्य यानि Dragon से
बड़ा लगाव है जहाँ तहाँ की मिल्कियत बस उसे थमा देते हैं। अब आदमी बागीचे
की फिज़ाओं का आनंद ले के लिए घुसे वो भी हरे दैत्य के तालाब में पड़े
पत्थरों पर चढ़कर :)
आइए हुज़ूर स्वागत है आपका मेरे इस हरे भरे इलाके में A lone bird welcoming us in the lake. |