पहले दिन की यात्रा के बाद थकान काफी हो गई थी। अगली सुबह जल्दी उठने का मन नहीं होते हुए भी हिमालय पर्वत श्रृंखला की चोटियों पर पड़ती धूप की पहली किरणों को देखने की उत्सुकता ने हमें छः बजे ही जगा दिया था। मेरे रूम पार्टनर दीपक भी तैयार थे इस सुबह की सैर के लिए। सो करीब साढ़े छः बजे हम अपने रिसार्ट से बाहर आ गए। सड़क की दूसरी तरफ़ ही एक ट्रैकिंग मार्ग था। हम तेज कदमों से उस पर चल पड़े। थोड़ी दूर चलने के बाद ही पेड़ की झुरमुटों से हिमालय पर्वत श्रृंखला दिखने लगी।
पर ये क्या ! कैमरे को चालू करते ही उसमें मेमोरी कार्ड एरर (Memory Card Error) दिखने लगा।। रात तक अच्छा भला कैमरा सुबह जल्दी उठाने पर एक बच्चे की तरह नाराज़ हो गया था। मेरे चेहरे पर चिंता की लकीरें देख कर दीपक ने कार्ड को निकाल कर फिर से कैमरा चालू करने की सलाह दी। पर कार्ड किसी भी तरह मानने को तैयार ही नहीं था। नतीजन जॉली ग्रांट से लेकर शाम और फिर रात के कानाताल की तसवीरें कार्ड में ही दफ़न हो गयीं। बेवकूफी ये की थी कि अतिरिक्त कार्ड ले कर भी नहीं चला था। मायूस मन से मैं चुपचाप दीपक के साथ हो लिया। पगडंडी के एक ओर चीड़ और देवदार के वृक्षों से भरा पूरा घना जंगल था।