शनिवार, 31 जनवरी 2015

अलविदा फुकेट ! : चलते चलते देखिए फुकेट के कुछ आकाशीय नजारे Aerial View of Phuket

तो फुकेट फैंटा सी से शुरु हुआ हमारा सफ़र फुकेट के प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर वाट चलौंग और जेम्स बांड द्वीप से होता हुआ फी फी द्वीप पर समाप्त हुआ। फी फी और जेम्स बांड द्वीप की सुंदरता तो अपनी जगह थी पर फीफी और फान्ग नगा खाड़ी के रास्तों ने भी अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य से मन मोह लिया।

इस दौरान जहाँ हमें थाई पूजा पद्धति को भी करीब से देखने का मौका मिला वहीं फुकेट की रात की चकाचौंध ने हमें असमंजस में डाल दिया कि क्या ये वही शहर है। बहरहाल चार दिन फुकेट रहने के बाद जब हम वापस बैंकाक की ओर चले तो फुकेट के ऊपर से उड़ते हुए कुछ शानदार नज़ारे देखने को मिले। 

हरे भरे घने जंगल और साथ बहती जलराशि फुकेट का एक तरह से ट्रेडमार्क हैं।

ऊपर से दिखते घने जंगल के बीच की ये झीलें अंग्रेजी के आठ की संख्या बनाती नज़र आती हैं

अगर ऍसे किसी द्वीप पर आपको अकेला छोड़ दिया जाए तो ? :)

समुद्र के पार्श्वजल के साथ उड़ता एयर एशिया का हमारा विमान

सागर के इस किनारे और पहाड़ी के इस मिलन का गवाह था ये बादल का छोटा सा टुकड़ा

उत्तर की ओर बढ़्ते बढ़्ते समन्दर दूर जाता गया और ये हरी भरी पहाड़ियाँ पास आती गयीं।

हरियाली के इस मंज़र को बादलों का सफ़ेद टीका..... आंखें तृप्त हो गयीं थी इस दृश्य को देख कर

ये नदी अपनी इन शिराओं के साथ ऐसी लग रही थी जैसे कोई आक्टोपस हरे भरे मैदान में अपनी टाँगे पसारे बैठा हो
आशा है फुकेट पर की गई ये लंबी श्रंखला आपको पसंद आई होगी। फुकेट के बाद के अगले तीन दिन हमने बैंकाक में बिताए थे। पर फिलहाल अपनी थाइलैंड की यात्रा को यही विराम देते हुए आपको ले चलेंगे पश्चिमी भारत की कुछ जानी अनजानी जगहों पर..

थाइलैंड की इस श्रंखला में अब तक
अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो फेसबुक पर मुसाफ़िर हूँ यारों के ब्लॉग पेज पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें। मेरे यात्रा वृत्तांतों से जुड़े स्थानों से संबंधित जानकारी या सवाल आप वहाँ रख सकते हैं।

शनिवार, 24 जनवरी 2015

अहा कितना सुंदर है फी फी का ये समुद्र तट ! The beauty that is Phi Phi

फुकेट से चलकर हम लोग फी फी द्वीप पर दोपहर बारह बजे के आस पास पहुँच चुके थे। अगले चार घंटे हमें इस द्वीप में ही गुजारने थे़। फी फी समूह के द्वीपों में दो द्वीप प्रमुख हैं। जिस द्वीप पर हम पहुँचे उसका नाम है फी फी डॉन (Phi Phi Don)  जो कि यहाँ का सबसे बड़ा द्वीप है। इसी से सटे एक छोटा सा द्वीप और है जिसे फी फी ले कहा जाता है। दोनों द्वीपों के समुद्र तट बेहद सुंदर हैं और साथ ही कुछ जगहों पर Snorkelling भी करवाई जाती है। पर हमारे समूह ने पहले से ही ठान लिया था कि फी फी में अपना सारा समय इधर उधर ना जा कर समुद्र स्नान में बिताना है। 

इसी जहाज पर सफ़र कर हम आए थे फी फी
फी फी की स्वच्छ एवम् सुंदर जेटी जिसने अपनी पहली झलक दिखला कर ही मन मोह लिया।


वैसे फी फी का ये द्वीप प्रशासकीय तौर पर फुकेट का नहीं बल्कि क्राबी, थाइलैंड का हिस्सा है

फी फी डॉन का अगर कोई ऊपर से लिया चित्र आप देखेंगे तो आपको  दो चंद्राकार तटों के बीच पतली सी ज़मीन की पट्टी दिखाई देगी। जिस तरफ नावों और जहाज के ठहरने के लिए जेटी है उस हिस्से की तरफ से हम वहाँ पहुँचे थे। उसके ठीक दूसरी तरफ़ समुद्री तट का वो हिस्सा है जो अपेक्षाकृत छिछला है और समुद्र स्नान के लिए सर्वथा उपयुक्त है।

कतार में लगी नावें, नारियल के वृक्ष और पहाड़ियाँ.......

.........फी फी डॉन आपका इसी दृश्य से स्वागत करता है
इन दोनों हिस्सों के बीच की पट्टी पर दुकानों की कतारें हैं और कुछ होटल भी। सात साल पहले आई सुनामी में ये द्वीप भी तबाह हुआ था। पर अब ये पूरी तरह से बस चुका है। सरकार ने होटलों और दुकानों की संक्या को सीमित रखा है और यही वज़ह है कि इस इलाके की अकूत नैसर्गिक सुंदरता पर पर्यटन का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है।

जेटी से समुद्र तट के बीच का रंग बिरंगा बाजार

लो आ गए हम इस नयनाभिराम समुद्र तट पर !
फी फी का समुद्र तट एक बेहद सुंदर समुद्र तट है। अगर भारत की बात करें तो अंडमान का राधानगर का समुद्र तट इसके आस पास ठहर सकता है। तट के पास का पानी हरे रंग का दिखता है पर थोड़ी दूर पर ये रंग बदलते बदलते गहरा नीला हो जाता है। छोटी छोटी पहाड़ियों से घिरा होने के कारण यहाँ ऊँची ऊँची लहरें भी नहीं उठती पर जैसे जैसे आप समुद्र में आगे बढ़ते हैं पानी छाती और फिर गर्दन तक पहुँच जाता है।

नीले में गर घोला जाए हरा बेहिसाब फिर नशा जो हो तैयार...........

................... वो फी फी डॉन है :)
मज़े की बात ये थी कि इतने सारे जहाजों के वहाँ होने के बाद भी समुद्र तट पर कोई भीड़ भाड़ नहीं थी। ज्यादातर विदेशी समुद्र में नहाने के बजाए सूर्य स्नान में व्यस्त थे। नीला आसमान, चमकदार धूप, हरी भरी पहाड़ियाँ और समुद्र तट से लगे नारियल के वृक्ष और फिर हरा नीला रंग लिए समुद्र का मनमोहक पारदर्शक जल.. अब इन सबके  सामने रहते कौन डुबकी लगाने में ज़रा सी भी देर करेगा। सो हम लोगों ने भी घंटे दो घंटे समुद्र में जमकर मस्ती की।

पानी में छप छपा छई..

वैसे आप क्या पसंद करेंगे सूर्य स्नान या समुद्र स्नान :)
रोमांच को और बढ़ाना हो तो तट पर पैरा सेलिंग (Para sailing) की भी व्यवस्था थी। पैरा सेलिंग में पैराशूट का एक सिरा मोटरबोट से बँधा होता है । मोटरबोट  पूरी गति से आगे बढ़ती है और दुसरे सिरे पर पैराशूट पर चढ़ा व्यक्ति आसमान से बातें करता दिखाई पड़ता है।

 ऊपर जाने की इतनी जल्दी मुझे तो नहीं थी :)
देर तक समुद्र में नहाने के बाद सब थोड़ी थकान महसूस कर रहे थे। जेटी के पास के एक होटल में भोजन की व्यवस्था थी। भोजन उसी तरह का था जैसा हमें Koh Panyee में मिला था। भोजन करने के बाद भी फी फी से वापस फुकेट की यात्रा शुरु करनी थी। सच कहूँ तो इतने रमणीक स्थान से विदा लेने का ज़रा सा भी मन नहीं कर रहा था।

अलविदा फी फी ! कैसे भूल पाएँगे तुम्हें ?
अगली सुबह हमें फुकेट से बैंकाक को कूच करना था। अगली पोस्ट में आपको दिखाऊँगा आसमान से लिए हुए फुकेट के कुछ यादगार नज़ारे...

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रविवार, 18 जनवरी 2015

डगर थाइलैंड कीः देखिए फी फी के सफ़र पर दिखे ये 10 खूबसूरत नज़ारे Ten enchanting views on way to Phi Phi Island !

फुकेट प्रवास का आख़िरी दिन था फी फी या स्थानीय भाषा में उच्चारित करें तो पी पी द्वीप की यात्रा का। सच बताऊँ तो हमारा समूह फुकेट में सबसे ज्यादा उत्साहित इसी द्वीप को देखने के लिए था। हम ऊपरवाले से यही दुआ कर रहे थे कि भगवन फी फी जाते वक़्त बादलों के साथ आँख मिचौली मत खिलवाना। क्यूँकि फी फी की असली खूबसूरती निखरती धूप में ही प्रकट होती है। दस अक्टूबर की उस सुबह को जब हम उठे तो बाहर का दृश्य देख हमारी खुशी  का ठिकाना नहीं रहा। परवरदिगार ने हमारी सुन ली थी। गहरा नीला आकाश जगमगाती धूप के साथ हमारा स्वागत कर रहा था। 

फी फी द्वीपसमूह फुकेट से करीब 45 किमी की दूरी पर है। फांग नगा की खाड़ी जहाँ फुकेट के उत्तर पूर्व में हैं वहीं फी फी जाने के लिए आपको जेटी से दक्षिण पूर्व दिशा में जाना पड़ता है। सुबह के दस बजे जब हम जेटी पर पहुँचे तो देशी विदेशी पर्यटकों की भीड़ पहले से ही जहाज में मौज़ूद थी। फी फी द्वीप में जाने के लिए यूँ तो स्पीड बोट भी मिलती है पर मँहगी होने के कारण ज्यादातर लोग इस दुमंजिले जहाज में ही सफ़र करते हैं। इस जहाज से फी फी द्वीप तक पहुँचने में करीब दो घंटों का समय लगता है।


जहाज के निचले हिस्से में वातानुकूल कक्ष होते हैं जबकि डेक के आलावा इसकी खुली छत पर भी आप धूप सेंकने का काम कर सकते हैं। भारतीय तो नहीं पर कई विदेशी पर्यटक ऐसा ही करते नज़र आए। सबसे ज्यादा चहल पहल बीच वाले डेक पर ही दिखती है। जलपान के लिए फ्रूट सलाद मिलता है। वहाँ खाए अनानास का स्वाद तो मुझे आज तक याद है।

फांग नगा खाड़ी की तरह ही फीफी तक के सफर की खूबसूरती इसमें उग आई हरी भरी चूनापत्थर की पहाड़ियों से है। हर बार एक अलग शक्ल और रूप में सामने आकर ये आपको ना केवल चोंका देती है पर साथ ही आप उनके इन अद्भुत रूपों को निहार कर तृप्त हो जाते हैं। आइए आज के इस फोटो फीचर में रूबरू होते हैं फी फी द्वीप के इस सफ़र के दस खूबसूरत नज़ारों से.. 

सफ़र की शुरुआत में तट से लगे समुद्र में पानी का रंग हरा होता है...

जो कुछ ही समय बाद गहरे नीले रंग में बदल जाता है

फिर दिखने लगते हैं सागर की अथाह जलराशि के बीच ये सिकुड़े सिमटे द्वीप

एक ओर तो लहरों की चोट से घायल तो दूसरी ओर...

दूसरी ओर इतने हरे भरे कि मन करे कि इनके छोटे से शिखर पर ही अपना भी कोई नीड़ हो..
याद है ना फिल्म कहो ना प्यार है जिसमें अमीषा पटेल और ॠतिक रोशन एक नजाने से द्वीप में खो गए थे। फिल्म में वो दृश्य माया बे के इसी तट पर शूट किया गया है। वैसे इससे पहले यहाँ अंग्रेजी फिल्म The Beach की भी शूटिंग हुई है। पर इस तट तक पहुँचने के लिए आपको बड़े जहाज से उतर कर छोटी नौका या स्पीड बोट का सहारा लेना पड़ता है।

कहो ना प्यार है... कहा ना प्यार है :)

अद्भुत आकारों में खड़ी छोटी छोटी पहाड़ियाँ

पहाड़ों के बीच पतले रास्तों से छोटी नौकाओं में इन इलाकों को करीब से महसूस करने का अलग ही आनंद है।

क्या आपको नहीं लगता कि आसमान की चादर पर किसी ने त्रिशूल खड़ा कर दिया है ?

और इन त्रिभुजाकार चोटियों का तो कहना ही क्या !

तो ये थे फी फी द्वीप तक पहुँचने के रास्ते में मेरे कैमरे में क़ैद नज़ारे। दो घंटों की इस यात्रा में मुझे जो खुशी मिली थी उसका अंदाजा आप मेरी इस छवि से सहज ही लगा सकते हैं।


 फी फी पहुँचने के बाद वहाँ कैसे बिताया वो दिन वो जानियेगा फुकेट से जुड़ी इस श्रंखला की अगली कड़ी में..

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मंगलवार, 6 जनवरी 2015

डगर थाइलैंड की : चूनापत्थर की गुफाएँ और ज़मीन को तरसते गाँव ने जब दी एक मजबूत फुटबॉल टीम ! Koh Panyee

जेम्स बांड द्वीप के बाद हमारी नौका का अगला पड़ाव था पानी से जुड़ी चूनापत्थर की गुफाएँ! वहाँ से करीब बीस मिनट की यात्रा के बाद हम एक ऐसी ही एक गुफा के सामने थे। जैसा कि मैंने पहले बताया था ये गुफाएँ पहाड़ी के तल में समुद्री लहरों के निरंतर अपरदन से बनी हैं। 

केनोए में चूनापत्थर गुफाओं की ओर जाते पर्यटक

इन गुफाओं तक पहुँचने के लिए केनोए Canoe का सहारा लेना पड़ता है। जब हम वहाँ पहुँचे तो गुफा के बाहर ऐसी कई नौकाएँ पानी की सतह पर तैर रही थीं।

इन गुफाओं की आकृतियाँ कभी अज़ीब तो कभी डरावनी भी लगती हैं।
एक केनोए पर नाविक के आलावा दो या तीन लोग बैठते हैं। नाविक आपको पहाड़ की तलहटी तक ले जाता है। कभी कभी तो भाले की तरह निकली चट्टानें इतनी नज़दीक आ जाती हैं कि उनसे बचने के लिए सर झुकाना पड़ता है। समुद्री लहरों ने पहाड़ को काट काट कर तरह तरह की आकृतियाँ बना डाली हैं जो कई बार मनुष्यों और जानवरों से मेल खा जाती हैं।

काला चश्मा मिल जाए तो शाही अंदाज़ ख़ुद बा ख़ुद आ जाता है :)
चूनापत्थर की इन गुफाओं से विदा लेने के बाद हमें जाना था थाइलैंड के एक तैरते हुए गाँव में भोजन करने के लिए। वापस लौटने के इस रास्ते में ऐसे  मनोहारी दृश्यों का आना जारी था।

जल, धरा, जंगल,पर्वत और आसमान और सब एक फ्रेम में ! है ना अद्भुत?
थोड़ी ही देर में हम इस गाँव के सामने से गुजर रहे थे। कल्पना कीजिए ऍसा गाँव जहाँ एक इंच जमीन ना हो और जहाँ रहने के लिए पानी के ऊपर लकड़ी के खंभों और पटरों को जोड़ते हुए घर बनाना पड़ता हो। Ko Panyee को अठारहवीं शताब्दी में मलय मछुआरों की घुमंतू टोली ने बसाया था। उस ज़माने में थाइलैंड में ज़मीन का स्वामी वही हो सकता था जो थाई नागरिक हो। मछुआरों को Phang-Nga खाड़ी में अपना ठिकाने बनाने के लिए यही युक्ति समझ आई कि पानी के उपर लकड़ी के लट्ठों की सहायता से आबादी बसाई जाए। आज भी Ko Panyee का अधिकांश हिस्सा इन पर ही गुजर बसर कर रहा है। पर पर्यटन से होने वाली आय से यहाँ पर कुछ स्थायी संरचना का भी निर्माण हो गया है जिसमें यहाँ की मस्जिद प्रमुख है।

पानी के ऊपर तैरता गाँव
आज  इस गाँव की जीविका पर पर्यटन हावी हो गया है। यहाँ ढेर सारे होटल और छोटे मोटे बाजार बन गए हैं। पर कुछ साल पहले तक मछली मारना ही यहाँ की आजीविका का मुख्य साधन था। अब तो बाहर के लोग भी यहाँ काम करने आ जाते हैं।

गाँव का सोंधापन इन होटलों की चमक दमक ने मिटा दिया है
अपनी नौका से उतरकर हम जब इस गाँव में पहुँचे तो भोजन तैयार था। शाकाहारियों के लिए चावल, थाई सलाद और एक करी थी जबकि मांसाहारियों के लिए मुर्गे और मछली की व्यवस्था थी। हम सबने हल्का भोजन लिया और गाँव में चहलकदमी के लिए निकल पड़े। मुझे बाद में पता चला कि पर्यटन के आलावा थाइलैंड में ये गाँव एक और बात के लिए मशहूर है और वो है फुटबाल।

थाई भोजन
सोचने में भी अजीब लगता है ना कि जिस गाँव में ज़मीन की इतनी किल्लत हो वहाँ के लोग फुटबाल कैसे खेल सकते हैं? दरअसल 1996 के फुटबाल विश्व कप को देखकर यहाँ के बच्चों में फुटबाल खेलने का जोश जगा। खेलने के लिए उन्होंने लकड़ी के लट्ठों पर बेकार पड़ी नावों और लकड़ी से एक छोटी सी पिच बनाई और उस पर खेलना शुरु कर दिया। खेलते वक़्त पटरों पर निकली हुई कीलें इन बच्चों को चुभ जाती तो कभी तेजी से प्रहार करने पर फुटबॉल अक्सर समुद्र में चली जाती। वहीं बारिश में फिसलन एक और समस्या बन कर सामने आ जाती । 

इस यात्रा में मैनग्रोव के जंगलों से ये थी आखिरी मुलाकात
पर बच्चों ने खेलना नहीं छोड़ा और एक दिन हिम्मत जुटाकर स्कूली मुकाबले में हिस्सा लिया। Koh Panyee की टीम फाइनल में 2-3 से हार गई। फाइनल में पहुँचने ने गाँव के खिलाड़ियों में ऐसा आत्मविश्वास जगाया कि Panyee FC की टीम दक्षिण थाइलैंड की एक मजबूत और चैंपियन टीम बन कर उभरी।

गाँव के बच्चों इसी जज़्बे को वहाँ के एक बैंक ने अपने प्रचार अभियान का हिस्सा बनाया। इस छोटे से वीडियो को देखने के बाद आप शायद इस गाँव को हमेशा याद रखें।


थाइलैंड में अमूमन हर पर्यटन स्थल पर एक बड़ी मज़ेदार रिवायत है। जब आप वहाँ पहुँचते हैं तो आपको पता भी नहीं चलता और फोटोग्राफर आपकी फोटो ले लेते हैं। दिन भर की यात्रा के बाद जब आप उस जगह से निकलते हैं तो बाहर निकलने से पहले फ्रेम में आपकी फोटो मढ़ी हुई नज़र आती है। आप आश्चर्यचकित से फ्रेम में अपनी तसवीर देखते हैं और फिर उसे सौ डेढ़ सौरुपये में भी खरीदने का लोभ नहीं छोड़ पाते।
 
अलविदा Phang-Nga Bay !

Phang-Nga खाड़ी की इस यात्रा के बाद हमारे समूह ने फुकेत प्रवास का चौथा दिन मुकर्रर किया था फीफी द्वीप की यात्रा के लिए। फुकेत क्या थाइलैंड मैं बिताया वो हमारा सबसे यादगार दिन था। फीफी की खूबसूरती को महसूस करेंगे इस यात्रा की अगली कड़ी में। नव वर्ष की असीम शुभकामनाओ के साथ आज मुझे दीजिए अब इजाज़त।

थाइलैंड की इस श्रंखला में अब तक
अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो फेसबुक पर मुसाफ़िर हूँ यारों के ब्लॉग पेज पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें। मेरे यात्रा वृत्तांतों से जुड़े स्थानों से संबंधित जानकारी या सवाल आप वहाँ रख सकते हैं।