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सोमवार, 26 अक्टूबर 2009

भितरकनिका का हमारा आखिरी पड़ाव: इकाकुला का खूबसूरत समुद्र तट

भितरकनिका में हमारा आखिरी पड़ाव था इकाकुला (Ekakula Sea Beach) का समुद्र तट। सुबह करीब साढ़े दस बजे हम डांगमाल से मोटरबोट के ज़रिए इकाकुला की ओर बढ़ गए। धूप तेज थी इसलिए नौका के ऊपरी सिरे पर बैठना उतना प्रीतिकर नहीं रह गया था। आकाश में हल्के हल्के बादल थे उनमें से कोई बड़ा बादल जब हमारी नौका के पास आता तो हम ऊपर चले जाते और बादल की छाँव के नीचे मंद मंद बहती बयार का आनंद लेते। पर ऍसे सुखद अंतराल प्रायः कुछ मिनटों में खत्म हो जाते और हमें वापस नौका के अंदर लौट आना पड़ता।

करीब डेढ़ घंटे सफ़र तय करने के बाद हम समुद्र के बिल्कुल सामने चुके थे। पर इकाकुला के तट तक पहुँचने के लिए छोटी नौका की जरूरत होती है क्यूँकि कम गहरे पानी में मोटरबोट तो चलने से रही। इकाकुला तट से डेढ किमी दूर आकर हमारी मोटरबोट रुक गई। पर छोटी नौका के आने में एक घंटे का विलंब हो गया वैसे छोटी नौका से की गई यात्रा कम रोमांचकारी नहीं रही। वैसे भी पानी के बहाव को हाथ से छूते हुए महसूस करना हो तो इससे बढ़िया विकल्प दूसरा नहीं। फिर हम सब तो पूरे पानी में ही गोता लगा लेते। बड़ी नौका से छोटी नौका में उतरते समय ध्यान नहीं रहा और भारी लोग एक किनारे जा बैठे। नौका को ये बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने बाँयी ओर बीस डिग्री का टिल्ट क्या लिया हम लोगों को लगा कि गए पानी मेंपर नाव खेने वालों ने तत्परता से अपना स्थान बदलकर नाव को संतुलित किया और हमारी जान में जान आईइकाकुला के समुद्र तट के दूसरी तरफ मैनग्रोव के जंगल हैं। पर डांगमाल के विपरीत यहाँ इनकी सघनता कम है और ये अपेक्षाकृत और हरे भरे दिखते हैं। किनारे तक तो पहुँच गए पर अगली मुश्किल लकड़ी के बने पुल तक पहुँचने की थी। लो टाईड (low tide) होने की वज़ह से पुल और पानी के स्तर में काफी अंतर गया था। ख़ैर वो बाधा भी नाविकों की मदद से पार की गई. पुल पार करते ही इकाकुला का फॉरेस्ट गेस्ट हाउस दिखता है। पर्यटक या तो इसकी डारमेट्री में रुक सकते हैं या बाहर बनाए गए टेंट में। हम एक टेंट में अंदर घुसे तो देखा कि अंदर दो सिंगल बेड और शौच की व्यवस्था है। सामने इकाकुला का साफ सु्थरा और बेहद खूबसूरत समुद्र तट हमारा स्वागत कर रहा था। रेत की विशाल चादर को पहले भिगोने की होड़ में लहरें लगी हुई थी। हम पहले तो समुद्र तट के समानांतर झोपड़ीनुमा शेड में जा बैठे और कुछ देर तक शांत मन से समुद्र की लीलाओं को निहारते रहे।

नहाने का मन तो बहुत हो रहा था पर दिन के दो बजे की धूप और वापस तुरंत लौटने की बंदिश की वजह से हम समुद्री लहरों में ज्यादा दूर आगे नहीं बढ़े। कहते हैं शाम के समय नदी के मुहाने से सूर्यास्त देखने का आनंद ही कुछ और है। इकाकुला के समुद्र तट का फैलाव दूर दूर तक दिखता है। पहले यहाँ समुद्र के किनारे काफी जंगल थे जो समुद्री कटाव के कारण अब कम हो गए हैं। वैसे अगर आप यहाँ एक दिन रुका जाए तो सुबह उठकर घंटे भर पैदल चलने के बाद एक और समुद्र तट मिलता है। पर उसकी बातें फिर कभी...

दिन का भोजन करने के बाद हम लोग वापस चल पड़े। दिन की कड़ी धूप गायब हो चुकी थी और रिमझिम रिमझिम बारिश होने लगी थी। हल्की फुहारें और ठंडी हवा के बीच भीगने का आनंद भी हमने उठाया। आधे घंटे बाद आकाश से बादल छँट चुके थे और गगन इंद्रधनुषी आभा से उद्दीप्त हो उठा था। ऐसा लग रहा था कि ये नज़ारा भगवन ने मानो भितरकनिका के विदाई उपहारस्वरूप दिखाया हो। आप भी देखिए ना...

भारत सरकार ने भितरकनिका को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शुमार करने का आग्रह किया है जिसकी स्वीकृत होने की पूरी उम्मीद है। अगर आप भीड़ भाड़ से दूर मैनग्रोव के जंगलों के बीच अपना समय बिताना चाहते हैं तो ये जगह आपके लिए उपयुक्त है.. पुनःश्च राज भाटिया साहब ने कुछ प्रश्न पूछे हैं । इनमें कुछ का उत्तर तो पिछली किश्तों में दिया है फिर भी चूंकि ये जानकारी यात्रा विवरण के विभिन्न भागों में बिखरी हुई है इसलिए इसे यहाँ संकलित कर रहा हूँ
  • भितरकनिका में विदेश से पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी विमान अड्डा भुवनेश्वर है जो भारत के पूर्वी राज्य उड़ीसा की राजधानी है और भितरकनिका के गुप्ती चेक पोस्ट से मात्र १२० किमी दूरी पर है। दिल्ली और कलकत्ता से नियमित उड़ानें भुवनेश्वर के लिए हैं। सड़क मार्ग से भुवनेश्वर से भितरकनिका पहुँचने का रास्ता विस्तार से मैं यहाँ बता चुका हूँ। वैसे देशी पर्यटक भुवनेश्वर के आलावा इस जगह भद्रक के रास्ते भी आते हैं।
  • इस पूरे इलाके को देखने के लिए दो रातें, तीन दिन का समय पर्याप्त है। इसमें से पहली रात डाँगमाल और दूसरी रात आप इकाकुला में बने वन विभाग के गेस्ट हाउस में बिता सकते हैं। अगर आप उड़ीसा पहली बार आ रहे हैं तो आप अपनी इस यात्रा में भुवनेश्वर, कोणार्क, पुरी और चिलका को शामिल कर सकते हैं। निजी टूर आपरेटरों द्वारा संचालित कार्यक्रम का विवरण आप यहाँ देख सकते हैं । इनके पैकेज में एयरपोर्ट से आपको रिसीव कर आपके घूमने, खाने और रहने और राष्ट्रीय उद्यान में घुसने का परमिट की सारी सुविधाएँ रहती हैं। इनकी दरों के लिए आप इनके जाल पृष्ठ पर इनसे संपर्क कर सकते हैं।
  • सरकारी वन विभाग के गेस्ट हाउस के रेट यहाँ उपलब्ध हैं और इसके लिए राजनगर के वन विभाग के डिविजनल फॉरेस्ट आफिसर से संपर्क किया जा सकता है।
  • यहाँ के स्थानीय लोग आम भारतीयों की तरह ही हैं। हिंदी व अंग्रेजी बोल भले ना पाएँ पर आसानी से समझ लेते हैं।
इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ
  1. भुवनेश्वर से भितरकनिका की सड़क यात्रा
  2. मैनग्रोव के जंगल, पक्षियों की बस्ती और वो अद्भुत दृश्य
  3. भितरकनिका की चित्रात्मक झाँकी : हरियाली और वो रास्ता ...
  4. डाँगमाल के मैनग्रोव जंगलों के विचरण में बीती वो सुबह.....
  5. डाँगमाल मगरमच्छ प्रजनन केंद्र और कथा गौरी की...
  6. इकाकुला का खूबसूरत समुद्र तट