ऊपर का चित्र तो शहर की बाहरी परिधि से लिया गया है, पर रात में ये शहर एक अलग सी तसवीर प्रस्तुत करता है। इस चकाचौंध से ये तो समझ ही गए होंगे आप कि यहाँ भी शहरीकरण तेज़ी से पाँव पसार रहा है।
रात्रि चित्र के छायाकार हैं आर सी फनाई। वैसे तो अब तक आप बूझ ही गए होंगे कि आज का सवाल क्या है ? जी हाँ आपको बताना है कि ये खूबसूरत जगह कौन सी है ? पिछली पहेली की तरह ये कठिन ना हो जाए इसलिए चार संकेत हाज़िर हैं।
संकेत 1,4 : ये जगह एक राज्य की राजधानी है। १८९५ में ये राज्य ब्रिटिश भारत का पहली बार हिस्सा बना।
जी हाँ ऍजल (Aizwal) मिज़ोरम की राजधानी है। मिज़ो पहाड़ियाँ एक आधिकारिक आदेश के तहत १८९५ में ब्रिटिश भारत का हिस्सा बनीं। १८९८ में उत्तर और दक्षिण की पहाड़ियों को लुशामिला के साथ मिला ऍजल को मुख्यालय बनाया गया।
संकेत 2 : आदमखोर बाघ, खूनी तेंदुओं और मनचले हाथियों से गाँवों की तबाही के किस्से तो आपने पहले भी सुने होंगे, पर इस राज्य के लोगों को एक बार तबाह किया था चूहों ने !
मिजोरम में १९५९ में भीषण अकाल पड़ा। इस अकाल की वज़ह थी बाँस के पेड़ों में फूलों का आना। कहते हैं इन फूलों को खाने से चूहों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि होती है। और बढ़े हुए चूहों ने अपनी भूख शांत करने के लिए लहलहाते खेतों पर आक्रमण कर उनका सफाया कर दिया। इस त्रासदी से निपटने के लिए मिजो नेशनल फैमिन फ्रंट (MNFF) का गठन हुआ जो अकाल के समय के अपने कार्यों की वज़ह से काफी प्रचलित हुआ। बाद में सरकारी उपेक्षा की शिकायत की बिना पर इस संगठन ने अलगाववाद का रास्ता चुना और यहाँ के लोकप्रिय नेता लालडेंगा नेतृत्व में इसका नाम मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) पड़ा।
संकेत 3 : यहाँ की लोककथाओं पर अगर विश्वास करें तो आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि यहाँ के लोग इस संसार में पदार्पित हुए पहाड़ की चट्टानों के अंदर से।
इतिहास भले ही मिजो लोगों के पूर्वजों को बर्मा चीन सीमा के समीपवर्ती प्रांत से विस्थापित लोगों में शुमार करता है पर प्रचलित मिज़ो लोककथाओं में इस बड़ी चट्टान का नाम छिनलुंग बताते हैं।
मेरे ख्याल से इन संकेतों की सहायता से उत्तर तक शीघ्र ही पहुँच जाएँगे तो देर किस बात की जल्दी लिखिए अपना जवाब। आपके उत्तर हमेशा की तरह माडरेशन में रखे जाएँगे।
आइए देखें किसने दिया इकलौता सही जवाब:.
आप में से बहुत लोग ऍजल (Aizwal) के रात्रि चित्र को देख कर भ्रमित हो गए। दरअसल सभी हिल स्टेशन पर ऊँचाई से लिए गए चित्र बहुत हद तक एक जैसे लगते हैं। जिस तरह के संकेत थे उससे उत्तरपूर्वी राज्यों की ओर ध्यान जाना चाहिए था और गया भी बहुत लोगों जैसे मनीषा, समीर लाल और विवेक रस्तोगी का। पर चूहे वाले संकेत से अभिषेक ओझा सही उत्तर देने में सफल हो गए क्योंकि उन्होंने पिछले साल बाँस के फूलों की वज़ह से मिजोरम में आए अकाल के बारे में लिखा था। अभिषेक ओझा को हार्दिक बधाई और साथ ही आप सब का बेहद शुक्रिया इतनी जोर शोर के साथ इस पहेली में भाग लेने का। आशा है इस पहेली के उत्तर तक पहुंचने में आपके मनोरंजन के साथ कुछ ज्ञानवर्धन भी हुआ होगा जो कि इस श्रृंखला का उद्देश्य है।