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सोमवार, 4 अप्रैल 2016

शिलांग से चेरापूंजी की वो खूबसूरत डगर ... Road trip from Shillong to Cherrapunji (Sohra)

शिलांग प्रवास के दूसरे दिन हमने चेरापूंजी की राह पकड़ी । अब यूँ तो चेरापूँजी बारिश के लिए जाना जाता है पर उस दिन आसमान लगभग साफ था। काले बादलों का  दूर दूर तक कोई नामो निशान नहीं था। शिलांग से चेरापूंजी की दूरी साठ किमी की है, जिसे रुकते रुकते भी आराम  से दो घंटे के अंदर पूरा किया जा सकता है। रुकते रुकते इसलिए कि शिलांग से वहाँ तक की डगर इतनी रमणीक है कि आपका दिल बार बार गाड़ी पर ब्रेक लगाना चाहेगा। वो कहते हैं ना कि गन्तव्य जितना महत्त्वपूर्ण रास्ता भी होता है तो वो बात इस सफ़र के लिए सोलह आने सच साबित होती है। तो चलिए मेघालय यात्रा की इस कड़ी में आज आपको दिखाता हूँ शिलांग से चेरापूंजी तक के सफ़र को अपने कैमरे की नज़र से.. 

Shillong Cherrapunji Highway
पर इससे पहले कि मेघालय के इस राज्य राजमार्ग 5 पर आगे बढ़ें चेरापूँजी और सोहरा के नामों से आपके दिल में जो संशय पैदा हो गया होगा उसे दूर कर देते हैं। दरअसल इस स्थान का वास्तविक नाम सोहरा ही है जो किसी ज़माने में खासी जनजाति प्रमुख द्वारा शासित इलाका हुआ करता था। अब अंग्रेजों ने सोहरा नाम को चुर्रा नाम क्यूँ बुलाना शुरु किया ये मेरी समझ से बाहर है। पर कालांतर में ये नाम चुर्रा से चेरा और फिर चेरापूंजी हो गया। वैसे अब मेघालय सरकार ने अपने साईनबोर्ड्स पर इस जगह के पुराने नाम को अपनाते हुए सोहरा को ही लिखना प्रारंभ कर दिया है।


वैसे भी  संसार का सबसे गीला स्थान होने का तमगा भी अब चेरापूंजी से छिनकर पास के गाँव मॉसिनराम को चला गया है।
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बारिश इस इलाके में पहले से कम जरूर हुई है पर शिलांग से सोहरा तक के रास्ते की हरियाली देखती ही बनती है। पूर्वी खासी की पहाड़ियों में  फैले हरे भरे घने जंगल, पतली दुबली नदियाँ और पहाड़ी ढलानों में थोड़ी भी समतल भूमि मिलने से बोई गई फसलों के नजारे इस रास्ते को अपनी अलग पहचान देते हैं। दो जगहों की तुलना मुझे कभी नहीं भाती और स्कॉटलैंड मैं गया नहीं पर यहाँ के सदाबहार जंगलों  की हरियाली की वजह से ही इसे शायद  स्काटलैंड आफ दि ईस्ट कहा जाता हो।