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रविवार, 10 मार्च 2013

आइए डूबें झारखंड के दहकते पलाश के सौंदर्य में ! ( Palash : The flame of the forests of Jharkhand ! )

वसंत का पदार्पण वैसे तो पूरे देश में ही हो गया है पर झारखंड यानि जंगलों के इस भूखंड में इस मौसम का आगमन एक रंग विशेष से जुड़ा है और ये रंग है सिंदूरी। सच मानिए आज कल पूरा झारखंड उस फिल्मी गीत की पंक्तियों को चरितार्थ करता प्रतीत हो रहा है जिसके बोल थे..आ के तेरी बाहों में हर शाम लगे सिंदूरी। अगर जंगल की इस दहकती लाली को देखना हो तो यही वक़्त है झारखंड आने का। यकीन नहीं आता तो चलिए मेरे साथ धनबाद से राँची तक के सफ़र पर और देखिए कि कैसे झारखंड का राजकीय पुष्प अपनी लाल सिंदूरी आभा से पूरे जंगल का दृश्य अलौकिक कर दे रहा है।

कल यानि शनिवार को कार्यालय के काम से दुर्गापुर से लौट रहा था। जैसे ही बराकर से ट्रेन ने झारखंड के धनबाद में  प्रवेश किया पलाश के पेड़ों के झुंड लगातार अलग अलग रूपों में आकर मन को सम्मोहित करते रहे। पलाश के ये जंगल धनबाद, चंद्रपुरा, बोकारो, मूरी और टाटीसिलवे तक लुभाते रहे। तो आइए आपको दिखाते हैं पूरी यात्रा में अपने मोबाइल कैमरे में क़ैद किए गए कुछ मनमोहक नज़ारे..
 
गंगाघाट, झारखंड (Near Gangaghat, Jharkhand)

झारखंड में पलाश और सेमल के पेड़ों में फूल फरवरी महिने से ही आने लगते हैं। ये प्रक्रिया अप्रैल महिने तक चलती रहती है। पलाश के फूलों की विशेषता ये है कि ये सारे पत्तों के झड़ने के बाद फूलना शुरु होते हैं लिहाज़ा जब ये पूरी तरह खिलते हैं तो ऍसा लगता है कि पूरा जंगल सुर्ख लाल सिंदूरी रंग से दहक रहा है।

धनबाद, झारखंड (Near Dhanbad, Jharkhand)