पिछली प्रविष्टि में मेहरानगढ़ का किला तो बाहर से आपने देख लिया। आइए आज आपको ले चलते हैं इसके दौलतखाने में। वैसे इस नाम से 'कन्फ्यूजिया' मत जाइएगा। हुजूर अब स्वर्ण मुद्राओं वाली दौलत कहाँ इन पुराने किलों को नसीब होनी है वो तो आज किसी बैंक की शोभा बढ़ा रही होगी। एक ज़माना था जब यहाँ खजाना रखा जाता था और उसके बाद इसका उपयोग शाही आभूषणों को रखने में किया जाने लगा। आज की तारीख में मेहरानगढ़ का दौलतखाना राठौड़ शासकों के शौर्य, रहन सहन,राजपूत संस्कृति से जुड़ी श्रेष्ठ कलात्मक वस्तुओं का एक संग्रहालय है।
पर इससे पहले कि मैं आपको दौलतखाने की ओर ले चलूँ , एक नज़र मेहरानगढ़ के श्रृंगार चौक के संगमरमर के बने इस राजसिंहासन की ओर। श्रृंगार चौक तीन तरफ़ से लाल पत्थरों से नक़्काशीयुक्त झरोखों वाले महल से घिरा हुआ है। इसीलिए इसे झाँकी महल भी कहा जाता था। यहीं से राजमहल की स्त्रियाँ श्रृंगार चौक पर हो रहे राठौड़ राजकुमारों का राज्याभिषेक को देख पाती थीं।