नियाग्रा जलप्रपात से जुड़ी पिछली कड़ी में आपसे वादा किया था कि आपको जलप्रपात के उस हिस्से में ले चलूँगा जहाँ बस कुछ हाथों की दूरी से नियाग्रा नदी की प्रचंड धारा भयंकर गर्जन के साथ सत्तर मीटर नीचे गिरती है यानि मौत और आपके बीच का फासला बस कुछ मीटर का होता है। मनुष्य सदा से रोमांच प्रेमी रहा है और उसकी इसी फितरत ने उसे ऐसे हैरतअंगेज करतब करने को प्रेरित किया है जिसकी आप और हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
नियाग्रा फॉल के पास ही एक म्यूजियम भी है जहाँ इस बात की जानकारी दी जाती है कि किस तरह जलप्रपात पर विजय पाने की कोशिश में या फिर अप्रत्याशित हादसों में लोगों को यहाँ अपनी जान गवानी पड़ी । नियाग्रा जलप्रपात से जुड़े वाकये मानव की असंभव को संभव करने की प्रवृति पर अचंभित भी करते हैं तो कुछ प्रसंग प्रकृति के रौद्र रूप के आगे लाचार मनुष्य के दुखद अंत से आँखों को नम कर देते हैं। आज इन्हीं अमर कहानियों में से कुछ की दास्तान सुनाते हुए आपको ले चलूँगा जलप्रपात के मुहाने तक के सफ़र में।
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Skylon Tower से हार्स शू फॉल और नियाग्रा नदी का नज़ारा |
ऊपर के चित्र में आप देख सकते हैं कि नियाग्रा नदी किस तरह भँवरों के बीच बहती नीचे जलप्रपात तक आती है। नदी के उस इलाक़े तक पहुँचने के लिए हमने होटल से दूसरी राह पकड़ी और नदी के ऊपरी हिस्से की ओर चलकर दो किमी की दूरी तक जा पहुँचे ।
उबड़ खाबड़ राह पर चलने की वजह से नदी के प्रवाह में गजब की तेजी आ गयी थी। जहाँ जहाँ पानी पत्थरों से टकराता हुए ढलान की और बहता वहां लहरें सफ़ेद फेन का मुखौटा अपने चेहरे पे लगा लेतीं । इसी जगह के आस पास आज से बारह साल पहले यानि वर्ष 2003 में तीस वर्षीय
कनाडियन नवयुवक किर्क जोन्स ने नियाग्रा नदी में
छलाँग लगा दी थी। किर्क उस समय अवसादग्रस्त था। वो अपने दोस्तों से
नियाग्रा के झरने से कूदने की बातें किया करता था। उसे लगा कि ऐसा करने से
वो प्रसिद्धि और धन कमा लेगा और अगर असफल हुआ तो उसे इस बेकार ज़िदगी से
छुटकारा मिल जाएगा। जोन्स जब गिरा तो प्रत्यक्षदर्शियों ने देखा कि वो सर
पर हाथ रखे हुए पानी की लहरों के साथ उलटता पलटता नीचे गिर रहा है । पानी की विशाल चादर ने जोन्स के चट्टान से टकराने के
पहले एक मुलायम गद्दे जैसा काम किया और फिर जलधारा के जोर से वो करीब की चट्टान तक पहुँच
गया। इस तरह बिना किसी सुरक्षा कवच के नियाग्रा जलप्रपात से कूदने वाला
किर्क जोन्स दुनिया का पहला जिंदा आदमी बन गया। भगवान के दिए हुए मौके ने उसमें
ज़िदगी जीने की नई आशा का संचार कर दिया और आज वो सामान्य ज़िन्दगी व्यतीत कर रहा है।