गत वर्ष नैनीताल से अल्मौड़ा के घुमावदार रास्ते में जब इस जगह के
साइनबोर्ड के साथ बगल में बहती कोसी नदी का प्रवाह सुनाई दिया तो गाड़ी
रुकवाए बिना रहा नहीं गया। नाम था गरमपानी। गरम पानी भी किसी जगह का नाम हो सकता है ये मेरी सोच के परे था। बाद में पता चला कि ऐसा ही एक गरमपानी हिमाचल में भी हैजो कि गाड़ी से शिमला से दो घंटे की दूरी पर है। इस जगह का नाम वैसे तत्तापानी है। पंजाबी में तत्ता का मतलब गरम से लिया जाता है। इसके आलावा असम के कार्बी एंगलांग जिले में गोलाघाट के पास गरमपानी नाम का एक अभ्यारण्य भी है। पर मैं जिस गरमपानी की बात कर रहा हूँ वो नैनीताल से करीबन तीस किमी की दूरी पर है और नैनीताल से रानीखेत (Ranikhet) या अल्मोड़ा (Almora) के रास्ते में भोवाली (Bhowali) और कैंची धाम (Kainchi Dham) पार करने के बाद आता है।
नदी पर एक छोटा सा पुल बना था। पुल पर चढ़ते ही एक अजीब सी चट्टान नदी के ठीक बीचो बीच विराज़मान दिखाई दी। तत्काल मुझे इस छोटे से कस्बे गरमपानी की लोकप्रियता का राज समझ आ गया। दरअसल वो चट्टान एक विशालकाय मेढ़क का आकार लिए हुई थी। रही सही कसर ग्राम सभा सिल्टूनी वालों ने चट्टान में सफेद रंग की आँख बना कर, कर दी थी ताकि इस चट्टानी मेढक को ना देख पाने की भूल कोई ना कर सके।
नदी पर एक छोटा सा पुल बना था। पुल पर चढ़ते ही एक अजीब सी चट्टान नदी के ठीक बीचो बीच विराज़मान दिखाई दी। तत्काल मुझे इस छोटे से कस्बे गरमपानी की लोकप्रियता का राज समझ आ गया। दरअसल वो चट्टान एक विशालकाय मेढ़क का आकार लिए हुई थी। रही सही कसर ग्राम सभा सिल्टूनी वालों ने चट्टान में सफेद रंग की आँख बना कर, कर दी थी ताकि इस चट्टानी मेढक को ना देख पाने की भूल कोई ना कर सके।