बैंकाक मंदिरों का शहर है ये तो हमें पता था पर फुकेट ( फुकेत) को जब हमने अपने यात्रा के कार्यक्रम में डाला था तो बस ये सोचकर कि वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और लुभावने समुद्री तटों का खूब आनंद उठाएँगे। फुकेट जाने पर पता चला कि वहाँ भी करीब 29 बौद्ध मंदिर हैं जो द्वीप के विभिन्न हिस्सों में बिखरे हैं। इन उनतीस मंदिरों में सबसे बड़ा, भव्य और श्रद्धेय मंदिर है वाट चलौंग (Wat Chalong)। थाई भाषा में वाट का अर्थ है मंदिर। चूंकि ये मंदिर चलौंग इलाके में स्थित है इसलिए इसका नाम वाट चलौंग पड़ गया। पर अगर इतिहास के पन्नों में झाँके तो पता चलता है कि इस मंदिर का असली नाम Wat Chaitararam था। मंदिर के पास मिले भग्नावशेषों से ये अनुमान लगाया जाता है कि 1837 में इसी जगह पर एक प्राचीन मंदिर अवश्य था। इस मंदिर में जिन धर्मगुरुओं की पूजा की जाती है उनका संबंध 1876 के चीनी श्रमिकों के विद्रोह से जोड़ा जाता है।
वाट चलौंग का बौद्ध स्तूप या चेदी Three storied Chedi of Wat Chalong |
उस कालखंड में फुकेट की मजबूत आर्थिक स्थिति का प्रमुख कारण इस इलाके में फल फूल रहा टिन का खनन उद्योग था। इस उद्योग में ज्यादातर मजदूर चीन के थे। अपनी खराब हालत के कारण 1876 में उन्होंने अपने थाई मालिकों के खिलाफ़ विद्रोह कर दिया। जबरदस्त खून खराबा हुआ। थाई लोग इस विद्रोह को काबू में करने के लिए मंदिर के पुरोहित के पास मार्गदर्शन माँगने आए। उनके मशविरे का पालन कर उन्होंने इस विद्रोह को दबा भी दिया। जब इनका यश राजा राम पंचम तक पहुंचा तो उन्होंने पुरोहित Luang Phor Cham, को बैंकाक में बुलाकर सम्मानित किया। आज भी इस मंदिर में धर्मगुरु लुआंग फोर चाम की प्रतिमा लगी है जहाँ भक्तगण दूर दूर से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं।
जब हम वाट चलौंग के विशाल प्रांगण में पहुँचे तो बीच बीच में होने वाली बारिश एक बार फिर थम चुकी थी। सामने ही वाट चलौंग की तिमंजिला इमारत नज़र आ रही थी। इमारत के ऊपर साठ मीटर ऊँचा बौद्ध स्तूप है जिसे स्थानीय भाषा में ''चेदी'' कहा जाता है। इस स्तूप में श्रीलंका से लाया गया बुद्ध की अस्थि का एक क़तरा मौजूद है। मंदिर की दीवारों पर परंपरागत थाई कारीगिरी तो है, साथ ही भगवान बुद्ध की सुनहरी प्रतिमा भी बनी है। मंदिर के अंदर भी भगवान बुद्ध की अलग अलग भंगिमाओं में मूर्तियाँ हैं। भारत की तुलना में फर्क सिर्फ इतना है कि यहाँ बुद्ध की मूर्तियों को फूलों के बीच रखा गया है।
मंदिर की दीवारों पर जातक कथा की कहानियों से संबंधित दृश्य चित्रकला के माध्यम से उकेरे गए हैं। इस पूरे प्रांगण में स्तूप के आलावा कुछ और छोटे बड़े मंदिर भी हैं। स्तूप की तिमंजिली इमारत पर चढ़कर पूरे परिसर का भव्य नज़ारा आँखों के समक्ष आ जाता है।
है ना कितना सुंदर ? Isn't this beautiful ? |