शुक्रवार, 18 मई 2018

लद्दाख का प्रवेश द्वार : द्रास घाटी Gateway to Ladakh : Dras Valley

जोजिला से आगे बढ़ने का मतलब है कश्मीर घाटी को विदा कहते हुए लद्दाख के पर्वतीय इलाके में प्रवेश कर जाना। जोजिला के बाद द्रास की घाटी शुरु हो जाती है। कहते हैं कि द्रास का इलाका भारत ही क्या साइबेरिया के बाद विश्व के सबसे ठंडे इलाकों में शुमार होता है। करीब ग्यारह हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित इस इलाके में जनवरी फरवरी के वक़्त पारा शून्य से चालीस डिग्री और कभी तो उससे भी अधिक नीचे चला जाता है। जून के महीने में जब हम वहाँ पिछले साल पहुँचे थे तो वहाँ के हरे भरे चारागाहों और खेतों को देख कर यकीन ही नहीं हुआ था कि ये इलाका कभी इतना सर्द हो जाता होगा।


द्रास नदी के साथ द्रास घाटी में सफ़र करना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव था जिसे शब्दों में बयाँ करना मुश्किल है। लद्दाख की ये प्रथम झलक कितनी खूबसूरत थी आप भी इसका अनुभव कीजिए इस फोटो फीचर में।
संकरी सड़क के दोनों ओर बर्फ का जमाव गर गर्मियों तक बना रहे तो समझिए कि पानी की मार से सड़क के हालात बदतर ही रहेंगे। 

कश्मीर घाटी से द्रास के कुछ दूर पहले तक खड़ी ढाल वाले नंगे पहाड़ नज़र आते हैं जिनकी चट्टानें सख्त दिखती हैं पर कारगिल तक पहुँचते पहुँचते इनकी कठोरता घटती चली जाती है। ऐसा लगता है कि ये भुरभुरी मिट्टी से बने हों।

ये है जून के मौसम में भी जमी हुई द्रास नदी। सिन्ध नदी की तरह ही द्रास नदी भी सोनमर्ग के पास मचोई ग्लेशियर से निकलती है। पर सिन्ध से पलट ये उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई कारगिल तक पहुँच जाती है जबकि सिन्ध उलटी दिशा में बहती हुई कश्मीर घाटी का रुख करती है।

दूर से तो कुछ हिस्से में नदी का रास्ता एक बर्फीले मैदान सा दिखता है लेकिन बीच बीच में बर्फ के अंदर के सुराख इस बात की गवाही देते हैं कि इनके अंदर कलकल बहती धारा एक नदी की है जो सिर्फ गर्मियों में ही बर्फ के हिजाब के बीच से अपना खूबसूरत चेहरा दिखाती है।

पिछली पोस्ट में मैंने आपको बताया था कि कैसे गुर्जर बकरवाल अपनी भेड़ों को बर्फ के मैदानों से  पार करा कर गर्मियों में ऊँचाई पर स्थित हरे भरे चारागाहों तक लाते हैं।

जीरो प्वाइंट से द्रास तक पहुँचते हुए इन बंजारों की ये यात्रा मैंने खुद अपनी आँखों से देख ली।

द्रास की इन हरी भरी बैरन घाटियों में ऐसे समतल इलाके भी हैं जहाँ गर्मियों में थोड़ी बहुत खेती हो जाती है।
वैसे अगर आपकी चिंता इस बात की है कि इतने दुर्गम इलाके में खेती कौन करता होगा तो आप ठीक ही सोच रहे हैं। पूरे रास्ते में बेहद छोटे गाँव है जिनकी जनसंख्या दो अंकों से ज्यादा की नहीं है। वैसे जानते हैं पूरे द्रास कस्बे की आबादी कितनी है? मात्र बारह सौ।



जोजिला से द्रास के बीच एक चेक प्वाइंट आता है। दुख सिर्फ इस बात का लगा कि इतनी सुरम्य वादियों के बीच चेकपोस्ट तक में ढंग के शौचालय नहीं थे। जो थे भी वो इतने गंदे कि वहाँ तक जाने का मन ही ना करे।

द्रास घाटी का वो सिरा जो द्रास शहर के करीब ले आता है। इस इलाके के बाद से ही द्रास का वो मशहूर इलाका शुरु होता है जहाँ कारगिल युद्ध के समय सबसे कठिन लड़ाइयाँ लड़ी गयी थीं।


इस श्रंखला की अगली कड़ी में ले चलेंगे आप उस टाइगर हिल के पास जहाँ भारतीय सेना ने अत्यंत विकट परिस्थितियों में दुश्मन के दाँत खट्टे किए थे।

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16 टिप्‍पणियां:

  1. हरी घास कितने शेड हैं ����बहुत ही खूबसूरत वादियां

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    1. हाँ, ये इलाका बेहद खूबसूरत था।

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  2. Nice travelogue...Keep it up. You have helped ppl to travel along with with the help of not only pics but also with the description as well.

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    1. Thanks for your appreciation. Hope you will be virtually together in this journey to Ladakh.

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  3. This is the place where I can go again and again.

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  4. very good side seeing and inscribing, thank manish my Nature same to you But have no time so you will continuous............ if you map with picture and fare how we can reach there

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    1. Drass valley is about 141 km from Srinagar on Srinagar Leh highway.You can go there by Bus or hired taxi. We stopped at Drass while going to Kargil in a hired Taxi. And one request please comment in Hindi if you are not so comfortable in writing English.

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  5. badhiya jankari. share krne ke liy shukriya

    sushmita kapoor
    https://theindiantourist.com/

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  6. Beaut hi sundar najara hai. Man mohit ho gya. Me beaut din se jane ki soch rha hu lekin jaa nahi paya hu. Agar moka mila to bike se jana chaunga..

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    1. हाँ बाइक से लद्दाख तो आजकल बहुत सारे लोग जाते हैं। सिर्फ बर्फबारी और बारिश में थोड़ी तकलीफ़ बढ़ जातीहै। बाकी अगर आप रोमांच के साथ प्रकृति को करीब से देखना चाहते हैं तो ये एक अच्छा विकल्प है। मुझे यात्रा करते समय बस खिड़की से बाहर दृश्यों को आत्मसात करने से अच्छा कुछ नहीं लगता इसलिए इस विकल्प को नहीं चुना।

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  7. एक जीवंत यात्रा वृतांत प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद ।आपके दूसरे लेख की प्रतीक्षा है ।

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    1. इस ब्लाग पर आगे की दो कड़ियाँ लिखी जा चुकी हैं। आपसे आग्रह है कि कमेंट करते वक़्त अपना नाम अवश्य लिखें।

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