शनिवार, 14 जून 2008

आइए देखिए केरल के ग्राम्य जीवन की ये झांकी...

केरल के बैकवाटर (Backwaters of Kerala) भ्रमण का विस्तृत ब्योरा तो आज ही यहाँ पोस्ट किया है। बैकवाटर की प्राकृतिक सुंदरता की झलकियाँ आप वहाँ देख सकते हैं। पर नदियों, नहरों और समुद्री पार्श्व जल के बीच की गई इस यात्रा में हमें वहाँ के ग्रामीणों के रहन-सहन, रोज़ी-रोटी के साधनों और दैनिक दिनचर्या की झलक भी मिलती है। मेरी इस प्रविष्टि का उद्देश्य आपको चित्रों के माध्यम से केरल के इस परिवेश से परिचित कराना है।


यूँ तो इन गाँवों में उत्तर भारत के विपरीत सारे मकान पक्के होते हैं पर मकान की छत खपड़ैल की होती है। पूरी यात्रा में ये घर हम सबको बड़ा प्यारा लगा शायद इसके बाग में लगे लाल तने वाले पेड़ों के लिए

सामने बहता जल नहाने में भी प्रयुक्त होता है और दिन भर के कामों में भी...

स्कूटर या किसी अन्य वाहन का यहाँ कोई काम नहीं क्योंकि हर घर की पार्किंग में लगी रहती है ये नाव !


चल दिए मियाँ बीवी अपने काम धंधे पर..


एलेप्पी (Alleppy) हाउसबोट निर्माण का प्रमुख केंद्र है। देखिए कैसे जुटे हैं कारीगर इस हाउसबोट (Houseboat) को खूबसूरती से गढ़ने में..


और पूजास्थल भी तो होने चाहिए बगल में। तो ये रहा नहर के किनारे बना एक सुंदर सा गिरिजाघर (Church)


जहाँ धर्म की पैठ है वहाँ राजनीति कैसे पीछे रहेगी वो भी केरल जैसे सजग राज्य में ! केरल के इस भाग में ज्यादातर श्रमिक बहुल उद्योग हैं। चाहे वो धान की खेती हो या नारियल के रेशे का काम या फिर नाव निर्माण इन सभी में मुख्यतः मशीनों से ज्यादा कुशल हाथों की जरूरत होती है। और यही वज़ह है कि कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) इस इलाके में खासी लोकप्रिय है..




काम धाम तो होता रहेगा। दिसंबर की इस गर्मी में (जी हाँ आप सही पढ़ रहे हैं गर्मी में) बीच-बीच में गला तर करने की भी जरूरत है इसलिए नारियल के पेड़ से निकलने वाली ये टॉडी (Toddy) यहाँ के ग्रामीणों में बेहद लोकप्रिय है बहुत कुछ उत्तर भारत की ताड़ी की तरह !



और शाम हो गई तो पड़ोसन के घर का हाल-चाल लेना भी तो उतना ही जरूरी है :) !

तो बताइए कैसी लगी आपको केरल के ग्राम्य जीवन की ये झांकी ?

8 टिप्‍पणियां:

  1. कभी कभी लगता है की ब्लॉग जगत मे दो लोग वाकई कड़ी मेहनत कर रहे है एक आप ओर दूसरे रतलामी जी....फोटो हमेशा की तरह शानदार है.

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  2. बहुत बहुत खूबसूरत तस्वीरें हैं, सच दिल खुश हो गया, हरयाली ने मन मोह लिया ..thanks

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  3. manishji yaatra vritant likh dena ek baat hai par aap jaisa vistrit likhne ki baat hi kuchh aur hai... itni jaankari kaise bator lete hain? arrey kuchh jaankaari chhod bhi diya kijiye :-)

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  4. कभी हमे भी साथ ले चलिए जी.. अब तो मुँह में पानी आ रहा है..

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  5. ये यात्रा तो बहुत ही दिलचस्प रही। तस्वीर और विवरण दोनों ही।

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  6. briya hai.mai abhi internet pr nya hu is liye hindi kaise type kru yeh nhi janta. mai punjabi mai travlouge likhta hu. aap achha paish krtay hai.

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  7. बहुत बढ़िया लगी केरल के ग्रमीण जीवन की झांकी. मैं तो टॉड़ी को ताड़ के पेड़ से निकलने वाला ही समझता था. शायद फरमेन्टेशन के बाद नशा भी देता है.

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  8. चित्रों और विवरण पसंद करने के लिए आप सब का शुक्रिया !


    हरजिंदर जी आप पंजाबी में यात्रा वृत्तांत लिखते हैं जानकर अच्छा लगा। हिंदी में लेखन अब बेहद सरल है। इसके लिए Takhti, Indic IME और Baraha जैसे software आ गए हैं। आप नेट से उन्हें download कर सकते हैं।

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