आँखें बंद कर अनुभव कीजिए..
प्रातःकालीन बेला में पर्वत के शिखर के पास आप खड़े हों...
दिन में हरे भरे दिखते चाय के बागान गहरी कालिमा लपेटे हों..
घाटी के नीचे सूर्य के आगमन से बेखबर सोती झील को अपलक देखता हुआ बादलों का सफेद झुंड दिखाई पड़ रहा हो ....
और इतने में दस्तक देती पहुँच जाए आसमानी महल पर सूर्य किरणों की सेना !
फिर तो आकाश में समय के साथ साथ बदलती नीले लाल नारंगी रंगों की मिश्रित आभा अपना जो रूप हमें दिखाया हम सब नतमस्तक और मुग्ध हो गए प्रकृति की इस मनोहारी लीला पर..
आप भी देखिए और आनंद लीजिए आसमान के बदलते रंगों की इस छटा का.....

(सभी चित्र मेरे और सहयात्री पी. एस. खेतवाल के कैमरे से)
अद्भुत....जो आनंद आया है उसे शब्द देना संभव नहीं...वाह..बेजोड़ चित्र...
ReplyDeleteनीरज
अद्भुत। मुन्नार जाने का मन था, किसी कारणवश जा नहीं पाया।
ReplyDeleteAapke sis yatra mai vakai bahut maza aaya...
ReplyDeleteagli yatra ka intzaar rahega...
वाह !
ReplyDeleteमुन्नार की वो नयनाभिराम प्रातःकालीन बेला सचमुच मै बहुत सुंदर लगी आप के चित्र मै, ओर वहां सजीव रुप मे तो ओर भी सुंदर होगी.
ReplyDeleteधन्यवाद
आँखें बंद कर अनुभव कीजिए..
ReplyDelete...
सॉरी साहब,
हमने आँखें बंद नहीं की. चित्रों को देखने के कारण बंद करने का आभास ही नहीं रहा.
bahut sunder chitra.Aanand aa gaya.
ReplyDeleteमुन्नार वैसे तो केरल का इकलौता हिल स्टेशन है. खूबसूरत भी है. चित्र भी बहुत सुन्दर हैं. वैसे एक बात कहूँ? सूर्योदय के पहले और सूर्योदय के दौरान सृष्टि में कोई जगह नहीं है जो खूबसूरत न लगे
ReplyDeleteवाह अद्भुत चित्र !!
ReplyDeleteगोया के .क्या कहे.....बस दो ही तलब उठी..की ये समय रुक जाये ...
ReplyDeleteLa javaab! kya baat hai! ye hui na baat.
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