छ सौ रुपये प्रति टिकट के हिसाब से फिल्म सिटी को सपरिवार घूमना आसानी से आपकों हजारों रुपये की चपत लगा सकता है। पर इतनी जेब ढीली हो जाने के बाद मन ही मन सबने ये तय कर लिया था कि अब तो गर्मी की परवाह किए बिना पूरा प्रांगण देख कर ही जाना है।
मुख्य द्वार से एक बस से हमें रामोजी फिल्म सिटी के अंदर ले जाया गया। दो हजार एकड़ में फैली इस फिल्म सिटी का निर्माण फिल्म निर्माता रामाजी राव ने 1996 में कराया था। पूरी फिल्म सिटी में चलचित्र निर्माण के लिए 500 के करीब जगहें हैं। साथ ही खास तौर पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए भी फिल्म सिटी का एक हिस्सा बनाया गया है जिससे प्रति वर्ष करोड़ों की आय होती है। फिल्म सिटी इतनी विशाल है कि किसी भी नए व्यक्ति को ये भूल भुलैया से कम नहीं लगेगी। पर यहाँ के चप्पे चप्पे पर कर्मचारियों की तैनाती है जो आपको अपने मार्ग से भटकने नहीं देते।
पहली बस जहाँ उतारती है उसके पास ही फंडूस्तान (Fundustan) का इलाका है। फंडूस्तान के रेलवे स्टेशन पर आपको एक ट्रेन खड़ी दिखेगी। पर ये ट्रेन ट्रेन ना हो के एक जलपान गृह है।
इस स्टेशन के ठीक पिछवाड़े में मुगल गार्डन का प्रारूप बनाया गया है. दिखने में ऐसा कि असली गार्डन को भी मात दे दे।
बगल ही में एक तिलस्मी दरवाजा नज़र आते हैं। बच्चे हो या बड़े एक बार इसके अंदर घुसे तो फिर अंदर का डरावना सफ़र बाहर निकलने के बाद मधुर स्मृतियाँ जरूर जगा देता है। कहीं भूतों की आवाज़ तो कहीं ऐसे रास्ते जिसमें कदम रखने पर ऐसा लगेगा कि मानों अब गिरे या तब गिरे और एक इलाका ऐसा भी जहाँ एक दूसरे की आँखें ही भूत जैसी दिखने लगें।
फंडूस्तान के कुछ अन्य हिस्सों को देखने के बाद हम वहाँ के थिएटर में जा पहुँचते हैं। नृत्य का कार्यक्रम कोई खास नहीं लग रहा इसलिए मेरा सारा ध्यान कार्यक्रम से ज्यादा वहाँ लगे कुछ पेडस्टल फैन के मुँह को अपनी ओर मोड़ने में है।
थिएटर के बाद हमारा अगला पड़ाव है स्टंट शो । जिस हॉल में ये शो होता है वहाँ एक लंबा सा सेट बना है बिल्कुल पुरानी हॉलीवुड फिल्म सरीखा। कुछ देर के बाद शो शुरु होता है। दो गुटों के बीच चल रहे युद्ध में गोलियाँ चलती हैं, रस्सी से ससरते स्टंटमैन अपना ज़ौहर दिखाते हैं। हम सभी के हाथ पाँव तब फूल जाते हैं जब एक जोर का धमाका होता है और सेट पर बनी बिल्डिंग सामने की ओर गिरने लगती है। हमें लगता है कि ये दर्शक दीर्घा में न आ गिरे पर ऐसा नहीं होता और हम चैन की साँस लेते हैं। अब लगने लगा है कि हाँ हमने वाकई एक स्टंट दृश्य देखा है।
फिल्म सिटी के ऊपरी हिस्से में बने हवा महल की ओर चल पड़ते हैं रास्ते में ये ही खूबसूरत ओपन थिएटर है जहाँ शाम में आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारियाँ चल रही होती हैं।
थोड़ी आगे सीढियाँ उतरने पर हमें पहले हनुमान और फिर...
....ये रावण महाराज मिलते हैं। दूसरों की तरह हमारे मन में भी रावण बनने की इच्छा बलवती हो उठती है। कैमरे में इस रावण को क़ैद कर हम बस अड्डे की ओर चल पड़ते हैं। यहाँ से एक बस हमें हवा महल की ओर ले जाती है।
रास्ते में ये शिल्प दिखता है सामने से स्त्री की एक आकृति उभरती है पर बगल से देखने पर दृश्य कुछ यूँ दिखता है।
बस हवा महल से कुछ दूर हमें उतार देती है. यहां से रास्ता चढ़ाई का है। कोल्ड ड्रिंक का एक एक घूँट अमृत तुल्य लग रहा है। कुछ ही देर में हम हवा महल पर हैं। हवा महल पर हमारे आते ही वहाँ बैठा राजस्थानी गायक वहाँ के लोकगीत गाने लगता है।
हवा महल का प्रारूप ऊँचाई पर बना है । यहाँ से फिल्म सिटी का बहुत बड़ा हिस्सा नज़र आता है। सामने ही पहाड़ पर HOLYWOOD लिखा दिखा रहा है जैसा अमेरिकी फिल्मों में दिखता है।
हवा महल से निकलते ही नीचे जापानी गार्डन है और इसके दूसरी तरफ़ सैंकच्युरी गार्डन हे जहाँ तार के खाँचों पर लतरें चढ़ाकर भिन्न भिन्न जानवरों की आकृतियाँ बनाई गई हैं।
अगर आप सोचे बैठे हैं कि एक ही बार में आपको रामोजी सिटी का चक्कर लगा देंगे तो ये आपकी खुशफ़हमी है। अभी तो आपने आधे से भी कम हिस्सा देखा है। अगली बार आपको ले चलेंगे रामोजी फिल्म सिटी के कुछ खास फिल्मी सेटों पर....
इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ
- मई की गर्मी और वो हैदराबादी शादी
- हैदराबाद की पहचान चारमीनार
- जब महामंत्रियों के शौक़ से वज़ूद में आया एक अद्भुत संग्रहालय!
- आइए चलें फंडूस्तान, मुगल गार्डन और हवा महल की सैर पर....
- आइए देखें रामोजी की एकदमे फिलमी दुनिया !
- रामोजी फिल्म सिटी के गुड्डे गुड़ियों की दुनिया !
- रामोजी मूवी मैजिक : जहाँ आप भी बन सकती हैं शोले की बसंती !
अत्यधिक रोचक यात्रा...आगे जानने की इच्छा बलवती हो गयी है...
ReplyDeleteनीरज
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ReplyDeleteagli post kab hai bhai :) very interesting - sajeev sarathie
ReplyDeleteबहुत मनभावन यात्राप्रसंग!
ReplyDeleteसब कुछ ही हैं यहाँ तो ! बढ़िया.
ReplyDeleteWaah Manishji aapne achi sair kara di..
ReplyDeleteमैं भी एक बार हैदराबाद गया था पर रामोजी से चूक गया था।
ReplyDeleteसफ़र में साथ बने रहने का शुक्रिया। आगे की पोस्टस की लिंक डाल दी गई हैं इस पोस्ट में।
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeleteमुझे तो अब तक ग़लतफ़हमी थी कि मैंने रामोजी फिल्मसिटी के टिकट के ७५० रुपये वसूल किये, पर आपने मेरी ग़लतफ़हमी इत्मीनान से दूर कर दी. शायद कई चीजें समय की कमी की वजह से छूट गयी..
ReplyDeleteवैसे आपने तो सिर्फ पहाड़ और इमारतें ही देखी. मैं ऐसी चीज देख कर आया हूँ वहां पर जिसने पूरे दिन की थकान उतार दी थी- न्यू इयर स्पेशल विंटर कार्निवाल. शाम को करीब ६ बजे से लेकर देर रात तक जो शमा बाँधा था वहां के रंग बिरंगे हजारों हजार कलाकारों ने, आज भी बस रामोजी के नाम पर वही कार्निवाल याद आता है. हम तो उसी कार्निवाल के साथ साथ नाचते गाते फंदूस्तान से लेकर बाहर मेन गेट तक पैदल आये.
जानकर खुशी हुई कि आपने विंटर कार्निवाल का बेहद लुत्फ उठाया। बाकी फिल्म सिटी इतनी बड़ी है कि कुछ ना कुछ तो छूट ही जाता है।
Deleteसर जी हमें जाना है आप ये बताये की क्या हम एक बार में यानि एक दिन में ऐसे देख सकतें है ।।इसका टिकिट1 क्या है ।और अंदर के चार्ज अलग है क्या
ReplyDeleteहाँ एक दिन में देख सकते हैं। अंदर अलग अलग हिस्सों के अलग टिकट लगते हैं पर बाहर पैकेज के तहत टिकट ले सकते हैं। जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ और हाँ प्रश्न पूछते वक़्त अपना नाम अवश्य लिखा करें।
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