पिछले हफ्ते मुसाफ़िर हूँ यारों का इंटरनेट पर चार साल का सफ़र पूरा हुआ। जब मैंने यात्रा को विषय बनाकर एक अलग ब्लॉग की शुरुआत की थी तब हिंदी के ब्लॉगिंग परिदृश्य में पूरी तरह यात्रा पर आधारित ब्लॉग नहीं के बराबर थे। यात्रा वृत्तांत तब भी लिखे जाते थे पर वो ब्लॉग पर अन्य सामग्रियों के साथ परोसे जाते रहे। पर खुशी की बात ये है कि पिछले चार सालों में यात्रा वृत्तांत संबंधी चिट्ठों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
अगर आप ब्लागिंग पर विगत वर्षों में यात्रा लेखन पर नज़र डालना चाहें तो पिछले वर्ष शालिनी पांडे द्वारा इस सिलसिले में किया गया शोध इसकी एक झलक जरूर देगा। प्रश्न ये उठता है कि आख़िर इन यात्रा संस्मरणों को लिखने का क्या औचित्य है जबकि किसी स्थान के बारे में जानकारी तमाम ट्रैवेल वेबसाइट्स से मिल जाती हैं?
यूँ तो किसी भी जगह जाने के पहले आज भी एक सामान्य यात्री या तो पत्र पत्रिकाओं के पर्यटन विशेषांकों की मदद लेता है या फिर इंटरनेट की उपलब्धता रही तो यात्रा संबंधी जालपृष्ठों से मिली जानकारी से होटल और घूमने वाली जगहों का निर्धारण करता है। पर ये व्यवसायिक वेब साइट्स पर्यटकों को कई बार तो सतही जानकारी मुहैया कराती हैं और साथ ही उन स्थानों से जुड़े कुछ नकरात्मक पहलुओं को बिल्कुल दरकिनार कर जाती हैं जिसे जानना किसी मुसाफ़िर के लिए बेहद जरूरी होता है। यात्रा ब्लॉग आम यात्री की इसी जरूरत को पूरा करते हैं।
घूमने फिरने की तमन्ना तो शायद सब के दिल में कभी ना कभी उठती होगी। पर रोजमर्रा की ज़द्दोज़हद में अन्य प्राथमिकताओं के नीचे कई बार ऐसी भावनाएँ दबी रह जाती हैं। पर कई दफ़े ऍसा भी होता है जब आप एक यात्री के माध्यम से किसी स्थान पर बिताए गए अनुभवों को पढ़ते हैं तो एकदम से उस स्थान पर जाने की उत्कंठा तीव्र हो जाती है। ऍसे संस्मरण कई बार आपको अपने जड़त्व (Inertia) से मुक्त करते हैं। ये तो हुई यात्रा ब्लागिंग से फ़ायदे की बात ।
अब सवाल है कि यात्रा लेखन हिंदी में क्यूँ किया जाए? सीधे सीधे आकलन किया जाए तो एक ब्लॉगर के लिए अंग्रेजी में यात्रा लेखन करना ज्यादा फ़ायदेमंद है। अगर आप अंग्रेजी में स्तरीय यात्रा लेखन करते हैं तो ना केवल देश बल्कि विदेशों के पाठक भी आप के ब्लॉग तक पहुँचते हैं। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात ये है कि अंग्रेजी आभिजात्य वर्ग की भाषा है। इस भाषा को जानने वाले पाठकों की क्रय शक्ति हिंदी के आम पाठकों की तुलना में ज्यादा है। लाज़िमी है कि यात्रा से जुड़ी सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियाँ ऐसे ब्लॉगों पर अपने विज्ञापन करने में ज्यादा रुचि दिखाएँगी। अगर आपका यात्रा ब्लॉग लिखने का उद्देश्य व्यावसायिक है तो हिंदी लेखन से वो उद्देश्य निकट भविष्य में पूरा होने से रहा।
अगर आप ब्लागिंग पर विगत वर्षों में यात्रा लेखन पर नज़र डालना चाहें तो पिछले वर्ष शालिनी पांडे द्वारा इस सिलसिले में किया गया शोध इसकी एक झलक जरूर देगा। प्रश्न ये उठता है कि आख़िर इन यात्रा संस्मरणों को लिखने का क्या औचित्य है जबकि किसी स्थान के बारे में जानकारी तमाम ट्रैवेल वेबसाइट्स से मिल जाती हैं?
यूँ तो किसी भी जगह जाने के पहले आज भी एक सामान्य यात्री या तो पत्र पत्रिकाओं के पर्यटन विशेषांकों की मदद लेता है या फिर इंटरनेट की उपलब्धता रही तो यात्रा संबंधी जालपृष्ठों से मिली जानकारी से होटल और घूमने वाली जगहों का निर्धारण करता है। पर ये व्यवसायिक वेब साइट्स पर्यटकों को कई बार तो सतही जानकारी मुहैया कराती हैं और साथ ही उन स्थानों से जुड़े कुछ नकरात्मक पहलुओं को बिल्कुल दरकिनार कर जाती हैं जिसे जानना किसी मुसाफ़िर के लिए बेहद जरूरी होता है। यात्रा ब्लॉग आम यात्री की इसी जरूरत को पूरा करते हैं।
घूमने फिरने की तमन्ना तो शायद सब के दिल में कभी ना कभी उठती होगी। पर रोजमर्रा की ज़द्दोज़हद में अन्य प्राथमिकताओं के नीचे कई बार ऐसी भावनाएँ दबी रह जाती हैं। पर कई दफ़े ऍसा भी होता है जब आप एक यात्री के माध्यम से किसी स्थान पर बिताए गए अनुभवों को पढ़ते हैं तो एकदम से उस स्थान पर जाने की उत्कंठा तीव्र हो जाती है। ऍसे संस्मरण कई बार आपको अपने जड़त्व (Inertia) से मुक्त करते हैं। ये तो हुई यात्रा ब्लागिंग से फ़ायदे की बात ।
अब सवाल है कि यात्रा लेखन हिंदी में क्यूँ किया जाए? सीधे सीधे आकलन किया जाए तो एक ब्लॉगर के लिए अंग्रेजी में यात्रा लेखन करना ज्यादा फ़ायदेमंद है। अगर आप अंग्रेजी में स्तरीय यात्रा लेखन करते हैं तो ना केवल देश बल्कि विदेशों के पाठक भी आप के ब्लॉग तक पहुँचते हैं। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात ये है कि अंग्रेजी आभिजात्य वर्ग की भाषा है। इस भाषा को जानने वाले पाठकों की क्रय शक्ति हिंदी के आम पाठकों की तुलना में ज्यादा है। लाज़िमी है कि यात्रा से जुड़ी सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियाँ ऐसे ब्लॉगों पर अपने विज्ञापन करने में ज्यादा रुचि दिखाएँगी। अगर आपका यात्रा ब्लॉग लिखने का उद्देश्य व्यावसायिक है तो हिंदी लेखन से वो उद्देश्य निकट भविष्य में पूरा होने से रहा।
पर क्या हम सब यहाँ पैसों ले लिए अपना समय ख़पा रहे हैं? नहीं, कम से कम मेरा तो ये प्राथमिक उद्देश्य कभी नहीं रहा। आज भी इस देश में हिंदी पढ़ने और बोलने वालों की तादाद अंग्रेजी की तुलना में कहीं अधिक है। जैसे जैसे समाज के आम वर्ग तक इंटरनेट की पहुँच बढ़ रही है हिंदी में सामग्री ढूँढने वालों की संख्या भी बढ़ेगी। क्या हमारा दायित्व ये नहीं कि ऐसे लोगों को हिंदी में स्तरीय जानकारी उपलब्ध कराएँ जैसी कि अंग्रेजी में आसानी से सुलभ है।
यात्रा लेखन हिंदी साहित्य की पुरानी परंपरा रही है। अगर आप हिंदी में यात्रा लेखन में रुचि रखते हैं तो अपने संस्मरणों को जरूर सबसे बाँटें। हाँ कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आपकी लेखन शैली जो भी हो , जो कुछ लिखें शुद्ध लिखने की कोशिश करें। पर शुद्धता से भी ज्यादा एक अच्छे यात्रा लेखक का कर्तव्य है कि अपने पाठकों से अपने अनुभव इस तरह साझा करें कि पढ़ने वाले को लगे कि वो भी साथ साथ घूम रहा है। इस बात का ध्यान रखें कि एक आम पाठक की रुचि आपसे ज्यादा उस स्थान के बारे में है जिसके बारे में आप लिख रहे हैं।
चार सालों में मैंने इस चिट्ठे पर आपको भारत के विभिन्न हिस्सों की सैर कराई है और आपका प्रेम मुझे मिला है। आपको जानकर खुशी होगी कि पिछले हफ्ते राजस्थान पत्रिका और उसके पहले जनसत्ता में भी इस चिट्ठे को स्थान मिला है।
मेरी ये कोशिश रहेगी कि अपनी यात्राओं से जो आनंद मुझे मिलता रहा है उसे आप तक पहुँचाता रहूँ। आशा है भविष्य में भी आपका साथ इस चिट्ठे को मिलता रहेगा। मुसाफिर हूँ यारों ने पूरे किए चार साल !
यात्रा लेखन हिंदी साहित्य की पुरानी परंपरा रही है। अगर आप हिंदी में यात्रा लेखन में रुचि रखते हैं तो अपने संस्मरणों को जरूर सबसे बाँटें। हाँ कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आपकी लेखन शैली जो भी हो , जो कुछ लिखें शुद्ध लिखने की कोशिश करें। पर शुद्धता से भी ज्यादा एक अच्छे यात्रा लेखक का कर्तव्य है कि अपने पाठकों से अपने अनुभव इस तरह साझा करें कि पढ़ने वाले को लगे कि वो भी साथ साथ घूम रहा है। इस बात का ध्यान रखें कि एक आम पाठक की रुचि आपसे ज्यादा उस स्थान के बारे में है जिसके बारे में आप लिख रहे हैं।
चार सालों में मैंने इस चिट्ठे पर आपको भारत के विभिन्न हिस्सों की सैर कराई है और आपका प्रेम मुझे मिला है। आपको जानकर खुशी होगी कि पिछले हफ्ते राजस्थान पत्रिका और उसके पहले जनसत्ता में भी इस चिट्ठे को स्थान मिला है।
मेरी ये कोशिश रहेगी कि अपनी यात्राओं से जो आनंद मुझे मिलता रहा है उसे आप तक पहुँचाता रहूँ। आशा है भविष्य में भी आपका साथ इस चिट्ठे को मिलता रहेगा। मुसाफिर हूँ यारों ने पूरे किए चार साल !
Manish ji , aapke blog "Musafir hun Yaron" ke char varsh purn hone par aapko hardik badhai !!! Aapke yatra vratant main har jagah ka itna jivant chitran hota he ki padhne main mazaa aa jata he. Jin jagaho par me jaa aayee hun unki yaade bhi taza ho jati he. Abhi main May me Kerala jaa rahi hun aur tour plan final karne main aapke blog se bahut madad mili. Itne acche blog hetu me tahe-dil se aapka shukriya ada karti hun. Aap salo sal isi tarah apne sansmaran hamare saath share karte rahe....isi umeed ke saath...
ReplyDeleteतारीफ़ के लिए शुक्रिया दीपका जी। आपके जैसे पाठकों की वज़ह से ये सिलसिला चल रहा है।
Deleteहमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..
ReplyDelete'मुसाफिर हूँ यारो' और 'एक शाम मेरे नाम' ही वो ब्लाग्स हैं जिन्होंने ब्लागिंग की दुनियां से मेरा परिचय कराया.. और तब से अब तक ये मेरे पसंदीदा ब्लाग्स की सुची मे सबसे उपर रहे हैं..
शानदार पोस्ट और बेहतरीन जानकारी हमारे साथ बांटने के लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया, और भविष्य के लिए शुभकामनाएं...
शु्क्रिया प्रशांत साथ बने रहने के लिए...
Deleteअपनी भाषा में यात्रा वृत्तांत पढ़ने का सुख ही कुछ और है...
ReplyDeleteपत्र पत्रिकाओं के पर्यटन विशेषांक..बस जरूरी जानकारियाँ देते हैं...और वह नीरस होता है...जबकि किसी का लिखा यात्रा वृत्तांत खट्टे -मीठे अनुभवों का ज़खीरा होता है.
चार साल पूरा करने की बहुत बहुत बधाई और अनेकों शुभकामनाएं
सही कह रही हैं रश्मि जी। शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया !
DeleteMANISH JI RAM RAM, ISI TARAH LAGE RAHO MERE BHAI, GOD BLESS YOU.
ReplyDeleteThx Praveen for your wishes.
DeleteBahut bahut badhai ..Pune ko abhi abhi Upar se dekha ....is baar Patna bhi jana hoga ..to kuchh jaankaari usaki bhi le li hai aapse...aap aise hi safar karawate rahe ..aur Hindi me aaj nahi likh pane ke lie kshama prarthi hu par Hindi yaatra blog par sair ka apna hi aanand hai....
ReplyDeleteअर्चना जी पटना जा रही हैं तो हिम्मत कर के गोलघर पर अवश्य चढ़ियेगा। बचपन में वो मेरी सबसे पसंदीदा जगह होती थी पटना में।
Deleteblog ke 4 varsh pure hone ki bahut bahut badhai...
ReplyDeleteThx Shubham !
Deleteमनीष जी, इस सुंदर ओर लुभावने ब्लॉग के चौथी वर्षगाँठ पर आपको बहुत बहुत बधाई!!!
ReplyDeleteहिंदी में ब्लॉग लिखने के लेकर आपके विचार पढ़ कर मजा आ गया, आप जैसे लोग ही हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत्र बने है, जहाँ तक मै समझता हूँ कि हिंदी हमारी मात्री भाषा है एक माँ के समक्ष बाकी ओर सब कारण तुच्छ लगते है यही एक सबसे बड़ा कारण होना चाहिये ! जिससे एक हिंदी ब्लॉगर को हिंदी ब्लॉग लिखने में वही संतुष्टि का आभास होता है
हिंदी के प्रति आपका प्रेम देखकर अच्छा लगा।
Deleteचार वर्ष पूर्ण होने पर बधाई।
ReplyDeleteशु्क्रिया अजित गुप्ता जी !
DeleteCongratulations Manish for 4 years and the mentions in the newspapers.
ReplyDeleteThx Mridula...
Deleteआपकी सार्थकता को नमन .....आपकी भाषा आनंदित करती है व्यावसायिक भाषा में वो रस कहाँ .............बहुत बहुत बधाई इस सार्थक यात्रा के लिए !
ReplyDeleteशु्क्रिया आपके प्यारे शब्दों के लिए...
Deletebilkul sahi ... such me mai apka blog 5 sal se pad raha hu... aur mai dil se apki is pawan उद्देश्य ko naman karta hu.. apni matra bhasa to bus apni hoti hai.. apni maa chahe jaisi bhi ho apni hoti hai aur pyari hoti hai.. apke blogs ke peeche apki mehnat bhi jhalakti hai..
ReplyDeleteदिल की बात कह गए आप वैभव ! इस सफ़र में साथ बने रहने के लिए धन्यवाद।
Deleteबधाई ..
ReplyDeleteयात्रा लेखन एक साधना तो है ही
जी सही कहा आपने..
Deleteमुद्दे चाहे जो भी हो आपसे अनुरोध हैं कि यात्रा वृत्तांत आप हिन्दी में ही लिखे. चार साल के सफलता पूर्वक सफ़र के लिए बधाई और शुभकामनाएं १
ReplyDeleteहौसला अफ़जाही के लिए शुक्रिया अन्नपूर्णा जी !
Deleteबहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteशुक्रिया दीपक जी !
DeleteBhai jaan.. is khobsoorat tahreer ko nirbadh chalne dein.. waise to hain duniya mein sukhnawar bahut achche.. par ye aap ke andaaze bayan aur hai..angrezi to bahut padhte hain hum log...
ReplyDeleteThx Alok ji for your kind words.
DeleteCongratulations on completing 4 years and mention in newspapers.
ReplyDeleteKeep it up.
Thx Nisha..
Deleteचार साल पूरे करने की बधाई!
ReplyDeleteशुक्रिया अनूप जी !
Deleteमुसाफिर हूँ यारो के चार साल पूरे होने पर बधाई . आशा है आप इसी तरह यात्रा पर ब्लोग्स लिखते रहेंगे
ReplyDeleteजी बिल्कुल बस आप सब साथ रहें..
Deleteबहुत बहुत बधाई...चार सालों में आपके साथ घूम कर आनंद आया..
ReplyDeleteनीरज
शुक्रिया नीरज जी !
Deletemanish babu,bahut bahut badhai,kabhi bokaro aana ho to jarur miliyega.
ReplyDeleteThx..mouka mila to avashya mulaqat hogi..
Deleteबधाई!
ReplyDeleteशुक्रिया अनुराग जी !
Deleteढेर सारी बधाईयाँ.
ReplyDeleteशुक्रिया सुब्रमनियन जी !
Deleteमनीष जी......
ReplyDeleteआपके ब्लॉग के ४ साल पूरे होने पर आपको बहुत बधाई......|
मैं अक्सर आपके ब्लॉग को पढ़ता रहता हूँ | और बहुत कुछ जानने को मिलता हैं यहाँ |
हम लोग से लेख के माध्यम से अपनी यात्रा जिजीविषा को कायम रखने के लिए आपका आभार ...|
साथ बने रहने के लिए धन्यवाद रीतेश !
Deletemanish ji
DeleteAPNE DESH KO JANENE KE LIYE GHUMNA JARURI HE AAP KE SATH HUM BHI GHUM LETE HE AAP KA BAHUT BAHUT DHANYABAD
ROSHAN KALYAN