पिछले साल की तरह इस साल भी राँची में अप्रैल का मौसम बेहद खुशगवार रहा है और मेरे ख़्याल से पूरे देश में कमोबेश यही हालात होंगे। हवा के थपेड़ों के साथ गिरती बारिश की सोंधी बूँदों के बीच पिछले सप्ताहांतों में घर की बगिया और अपने आस पास कुछ बेहद प्यारे दृश्य देखने को मिले। इनमें से कुछ को अपने कैमरे में क़ैद कर सका। तो आइए देखते हैं कि हमारी राँची इस महीने कितनी निखरी निखरी सी है...
- जब पंछी रूपी पत्ते हों और तिनके रूपी कलियाँ तो कह सकते हैं ना दो पत्ते, दो कलियाँ, देखो खिल के चले हैं कहाँ.... ये बनायेंगे इक आशियाँ
- और ये जनाब तो अपनी बालकोनी के सामने हवा के साथ यूँ हिलोरे मारते हैं कि दिल गा उठता है झूमता मौसम मस्त महिना, कोयले से काली एक हसीना, शाखों से जिसके टपका पसीना या अल्लाह या अल्लाह दिल ले गई...
- नन्हे ही सही पर ये नारंगी गुलाबी फूल दिल के अरमानों को कुछ यूँ जगाते हैं कि काग़ज़ के पन्नों पर ये कलम चल ही पड़ती है..फूलों के रंग से, दिल की कलम से तुझको लिखी रोज़ पाती कैसे बताऊँ, किस किस तरह से पल पल मुझे तू सताती..
- मैं कोई कवि तो नहीं पर इन हरे भरे पत्तों को देख बरबस मन में ये पंक्तियाँ आ गई
हरा है मन हरा है तन
इन्हें देखा
हुई आँखें मगन
क्या रूप है.... क्या चितवन
हरा है मन हरा है तन...
- और ये नज़ारा है हाल ही में बने राँची के झारखंड स्टेट क्रिकेट स्टेडियम (JSCA) का
- वैसे सच तो है कि फूल खिले हैं गुलशन गुलशन....
- और यै Bougainvillea तो लगता है इन सफेद फूलों के भार से झुका जा रहा है...
आमची कह कर आप राज ठाकरे का समर्थन कर रहे हैं :). तस्वीरें मस्त हैं इसमें कोई दो राय नहीं ।
ReplyDeleteहा हा मुनीश Munish ! नहीं भाई बस राँची के साथ "आमची" राइम हो गया तो डाल दिया वर्ना अपन तो उनकी राजनीति के कट्टर विरोधी हैं। तसवीरें पसंद करने के लिए शुक्रिया। सचमुच अभी खिल रही है राँची :)
Deleteजी जी ! हरियाया मन...! कुछ टिप्स ढूँढ़ रही हूँ, अपनी क्यारी के लिये ।
ReplyDeleteसारे पौधे अच्छे हैं, लेकिन इन सब में सबसे अच्छा पौधा बोगनबेलिया का है।
ReplyDeleteपोस्ट पढकर दिल हरियरा गया . रांची मे तो आई पी एल के मैच भी होने वाले है
ReplyDeletecongrats for such beautiful photos and blog too
ReplyDeleteावाह भांति भांति के फूल देख कर मन प्रसन्न हो गया
ReplyDeleteसुन्दर सुन्दर.....बेहद सुन्दर...
ReplyDeleteपुदीने की खुशबु भी आ गयी हमें तो...
और पहली तस्वीर किस फूल की है ज़रूर बताये....बाकी तो जानते हैं...
अनु
वाह.. बहुत ही सुन्दर हैं..
ReplyDeleteऔर आपनें सही कहा.. इस बीच हम पुरी में थे.. मौसम नें साथ दिया.. गर्मी का अनुभव ही नहीं हुआ, लगा जैसे अक्टूबर या नवम्बर हो......
:)
sirf ek sabd khoobsoorat
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