कौसानी, बिनसर और अपनी नैनीताल यात्रा को आगे बढ़ाते हुए आज चलते हैं नैनीताल के सबसे खूबसूरत ताल नौकुचियाताल की ओर। वैसे प्राकृतिक सुंदरता की बात करें तो सात ताल और खुरपा ताल भी ज्यादा पीछे नहीं रहेंगे पर अपने नौ किनारों के विस्तार और उनके पार्श्व में ओक के जंगलों को समेटे इस ताल के किनारे किनारे चलना या फिर इसमें नौका विहार करना कम से कम मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।
पेड़ों की इस धानी छाँव का सुख कोई इस झील से पूछे ! |
अक्टूबर के महीने में जब हम नैनीताल से चौबीस किमी की दूरी पर स्थित इस झील के पास पहुँचे तो आसमान में बदली छाई थी। इस झील की सबसे बड़ा आकर्षण इसके किनारे लगे वृक्षों की कतारें और उन पर पास की पहाड़ियों से नज़र रखते घने जंगल थे। बादलों ने सूरज की रोशनी पर ऐसा पहरा लगाया था कि गहरे हरे रंग के पत्तों और धानी पत्तों के पेड़ एक दूसरे से बिल्कुल पृथक नज़र आ रहे थे। रंगों का ये विभेद हमारे सामने जो दृश्य उपस्थित कर रहा था वो मेरी स्मृतियों से ना निकला है ना निकल सकेगा।
बोलो कैसे अपनी प्रीत दिखाऊँ.. धानी चुनरिया ओढ़ मैं साजन पे झुक जाऊँ ! |
ऐसा लगता था मानो पानी में खड़े ये खिले खिले से पेड़ झील के जल से अपना ममत्व दर्शा रहे हों। पेड़ों की झुरमुट में खड़ी बत्तखनुमा नौकाएँ और उनके बीच से निकलकर किनारे आते इस बत्तख के समूह को कैमरे में क़ैद करने का आनंद को बस महसूस ही किया जा सकता है।
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देखो मैंने देखा है ये इक सपना झीलों के शहर में हो घर अपना.. |
चालीस मीटर तक गहरी इस झील को जमीन के अंदर से निकलते झरने के जल स्रोत से सालों भर जल मिलता है। नैनी झील और भीमताल के विपरीत यहाँ आप अपेक्षाकृत शांति से प्रकृति के इन अद्भुत नज़ारों को देखते हुए अपना वक़्त बिता सकते हैं।
नौकुचियाताल पहुँचते ही इसकी नैसर्गिक सुंदरता को देख हमने निश्चय कर लिया था कि यहाँ नौका यात्रा करने से पहले इसके किनारे चलती सर्पीलाकार सड़क पर चहलकदमी न की जाए तो इस झील के पूर्ण सौंदर्य का स्वाद चखने से हम वंचित रह जाएँगे।
भीड़ में आता हुआ मैंने वो चेहरा देखा..जैसे जंगल की हरी वादियों में इक पेड़ सुनहरा देखा |
तुममें है मेरी छवि..तुमको पाकर मैं हुआ कवि |
वैसे अगर रोमांच आपकी यात्रा का मुख्य मकसद है तो फिर रोइंग, पैरा ग्लाइडिंग औरट्रैकिंग जैसे विकल्प भी यहाँ उपलब्ध हैं। किवदंती है कि इस ताल के नौ किनारों को कोई एक साथ देख ले तो वो अमरत्व की प्राप्ति कर लेता है। ऐसी धारणा बनाते समय किसी ने थोड़ी सोचा होगा कि हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टर जैसे वाहन भी कभी मानव जाति के लिए सुलभ होंगे। अगर आप चाहें तो इंटरनेट पर ऊँचाई से खींची संपूर्ण ताल की तसवीर देख सकते हैं।
हमने भी पौन घंटे तक झील में नौका विहार किया। पूरी यात्रा के दौरान झील के बीच की निस्तब्धता को चप्पू की पानी को चीरती कलकलाहट ही तोड़ती रही। हम प्रकृति के स्वरों को बीनते और उसकी खामोशी में अपने को विलीन करते कब किनारे पहुँचे ये पता ही ना चला।
पानी पानी इन पहाड़ों के घरानों से उतर आना..धुआँ धुआँ कुछ वादियाँ भी आएँगी गुजर जाना
हमारा अगला पड़ाव था सात ताल। कैसी रही हमारी सात ताल की यात्रा जानिएगा इस श्रंखला की अगली कड़ी में..अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो फेसबुक पर मुसाफ़िर हूँ यारों के ब्लॉग पेज पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें। मेरे यात्रा वृत्तांतों से जुड़े स्थानों से संबंधित जानकारी या सवाल आप वहाँ रख सकते हैं।
bhut khubsurat vivran manish sir.hum bhi abhi nainital ghumkar aaye hain.soch se bhi kahin jyada sunder jagha hai.
ReplyDeleteहाँ रूपेश अभी तक ये ताल व्यवसायीकरण की ज़द से बचा हुआ है। वैसे कुल मिलाकर नैनीताल शहर का आकर्षण आज भी मसूरी की तरह कम नहीं हुआ है।
Deleteyatra -varnan in gadya-geet ! bahut prabhavshaali aur adbhut!
ReplyDeleteप्रेमलता जी आपको मेरी ये प्रस्तुति पसंद आई जानकर खुशी हुई।
Deleteसाफ़ लग रही है झील । क्या सच में थी ।
ReplyDeleteहाँ मुनीश जैसी चित्र में दिख रही थी वैसी ही थी।
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-06-2014) को "जिन्दगी तेरी फिजूलखर्ची" (चर्चा मंच 1652) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
शुक्रिया इस प्रविष्टि को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए !
Deleteआपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन अमरीश पुरी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteधन्यवाद !
DeleteI have been there twice. It's pretty good :)
ReplyDeleteबिल्कुल अनमोल !
Deleteसुंदर ।
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteaap log hindi kaisa type karta ho blogger par
DeleteThere are software like Indic IME, Baraha, Takhti on which phonetic hindi typing is possible. You can download any of these on ur computer.
DeleteAlternatively blogger also gives u option for typing hindi in its menu bar.
नौकुचियाताल की नैसर्गिक सुंदरता और आप की लाजवाब प्रस्तुति से तो हम मंत्र मुग्ध हो गये।आभार॥
ReplyDeleteआपको मेरी ये प्रस्तुति पसंद आई जानकर खुशी हुई।
Deleteसात ताल के वर्णन का इंतज़ार है ! यहाँ जाने से मैं चूक गयी थी ! पक्षियों की बहुत वैरायटी है वहाँ ! उस पर भी कुछ लिखियेगा ! अगली बार नौकुचिया ताल भी जाउंगी !
ReplyDeleteपक्षियों के बारे में लिखने के लिए तुम्हारे जैसा जानकार चाहिए। दिन के समय (तीन बजे) तो वो वैसे भी नहीं दिख रहे थे। वैसे भी जो समय हमारे पास था वो सात ताल के तालों के किनारे भटकते भटकते हमने बिता दिया।
DeleteHum abhi khi nhi gye hai shadi k bad jayenge Insa Allah
ReplyDeleteजरूर आपकी मुराद पूरी हो :)
DeleteMaine... jindagi mein itni khubsurat.. jagh nahi dekhi hai .
ReplyDeleteThnx... manish
नौकुचियाताल की सुंदरता हर किसी को मुग्ध करती है
DeleteThank you manish ji apne jis tarah nakuchiyatal ki sundarta ka vayakhyan kia h ..meri paidaes nakuchiyatal ki hi h or me apne ko gauranvit mahsoos karta hu ki mera ghar nakuchiyatal h....agli bar jarur padhariye new year k time me aapko or achha lagega
ReplyDeleteवाह, जानकर खुशी हुई :)
DeleteSir aap to baithe baithe yisi yata karate hai mano mai.. ohi chala jata hu.. thanks..
ReplyDeleteयही कोशिश रहती है कि आप को ऐसा अनुभव कराऊँ जैसे ख़ुद आप वहाँ हों
DeleteSir aap ne sawrg ki sair kara di
ReplyDeleteचलिए आपको आनंद आया मेरी मेहनत सफल हुई।
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