राजस्थान के किलों में अब तक आपको उदयपुर के सिटी पैलेस, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, मेहरानगढ़ और सोनार किले की सैर करा चुका हूँ। बीकानेर में स्थित जूनागढ़ का किला भी भव्यता की दृष्टि से इन किलों को कड़ी टक्कर दे सकता है पर फर्क सिर्फ इतना है कि जहाँ राजस्थान के बाकी किले पहाड़ियों पर बनाए गए हैं वहीं जूनागढ़ किला समतल भूमि पर बना है और बीकानेर शहर के बीचो बीच स्थित है।
करीब एक किमी की परिधि में फैले इस किले के चारों ओर एक ज़माने में पतली सी खाई हुआ करती थी जो किले के चारों ओर शहर के विकास के साथ नष्ट हो गई। किला शत्रुओं के आक्रमण से बचने के लिए 12 मीटर ऊँची दीवारों और 37 बुर्जों से सुसज्जित था। शायद यही वज़ह रही होगी कि इस पर हुए तमाम हमलों के बावज़ूद ये किला अभेद्य रहा। ।
जिस तरह राव जोधा ने जोधपुर का मेहरानगढ़, राव जैसल ने जैसलमेर के सोनार
किले का निर्माण करवाया वैसे आप ये ना समझ लीजिएगा कि राव बीका ने बीकानेर
के जूनागढ़ के किले को बनवाया होगा। दरअसल राव बीका इतने भाग्यशाली नहीं थे।
जोधपुर के राठौड़ नरेश राव जोधा के दूसरे पुत्र होने के कारण उन्हें जोधपुर
की गद्दी नहीं मिल सकती थी। सो उन्होंने जोधपुर के उत्तर पश्चिम में अपना
साम्राज्य स्थापित करने का फैसला किया। 1472 ई में जूनागढ़ किले के कुछ दूर
उन्होंने पत्थर का एक किला बनवाया । यही वज़ह है कि ये शहर तो उनके नाम हो
गया पर इस किले की नींव रखने में उनका कोई हाथ नहीं रहा।
बीकानेर के राजाओं की किस्मत सौ वर्षों बाद राजा राय सिंह के नेतृत्व में
जागी जो मुगल सेना के अग्रणी सेनापति थे। मुगल सम्राट अकबर और फिर जहाँगीर
के रहते उन्होंने मेवाड़ को अपने कब्जे में लिया जिससे खुश हो कर गुजरात और
बुरहनपुर की जागीरदारी उनको थमा दी गई। इससे जो पैसा बीकानेर आया वो
जूनागढ़ के इस किले के निर्माण में काम आया। 1584 ई.में निर्मित इस किले को
बनाने में पाँच साल लगे। बीकानेर के अन्य राजाओं ने कालांतर में इसका
विस्तार किया। बीकानेर का ये किला अंदरुनी साज सज्जा और बाहरी मुगलकालीन स्थापत्य के लिए जाना जाता है।
किले के अहाते में पहुँचने के बाद सबसे पहले हम पहुँचे करन महल के पास। ये महल करन सिंह ने मुगल सम्राट औरंगजेब पर जीत की खुशी में बनाया था। बरामदे पर मुगल शैली की छाप स्पष्ट दिखाई देती है।
जूनागढ़ किले का सबसे आकर्षक महल मुझे बादल महल लगा। क़ायदे से तो बादलों का रंग स्याह या सफेद काला होता है पर यहाँ बादलों के सफेद रंग को गहरे नीले रंग के साथ मिश्रित कर दीवारें और छत बनायी गयीं। दीवारों पर जगह जगह शीशे लगाए गए। दरवाजों में पीले रंग का इस्तेमाल हुआ। कुल मिलाकर माहौल ऐसा कि घुसते ही मन रंगीन हो जाए।
इस महल की परिकल्पना उन्नीस वीं सदी की आख़िर में राजा डूँगर सिंह ने की। महल में एक विशाल चित्र भी लगाया गया है जिसमें शेखावटी के जागीरदार बीकानेर के राजाओं के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहे हैं। इतिहासकार मानते हैं कि बादल महल बनाने का उद्देश्य इस रेगिस्तानी इलाके के लोगों में बारिश की इच्छा को दर्शाता है।
जूनागढ़ किले में सबसे ज्यादा ताम झाम वाला महल अनूप महल है। लकड़ी की छत, दीवारों पर शीशे और नक्काशी का महीन काम, इटालियन टाइल्स, और स्वार्णिम आभा बिखरते खंभे और दीवारें तुरंत ही आपका ध्यान खींच लेते हैं। महल का ये हिस्सा बीकानेर नरेशों के प्रशासन का केंद्र था।
अनूप महल से हम लोग फूल महल में पहुँचे। ये किले का सबसे प्राचीन हिस्सा है जिसे राजा राय सिंह के समय बनाया गया था।
जैसा नाम से ज़ाहिर है इस महल की दीवारों पर फूलों और बेल बूटों का काफी काम किया गया है। फूल महल जाएँ और वहाँ के इस झूले पर आपकी नज़र ना पड़े ऐसा नहीं हो सकता। वैसे झूले को लटकाने के लिए बनाया गई संरचना शानदार दिखती है।
ब्रिटिश शासन काल में बीकानेर के सबसे लोकप्रिय शासको में गंगा सिंह का नाम सबसे पहले लिया जाता है। उन्होंने गंगा महल का निर्माण कराया जो आज एक संग्रहालय में तब्दील हो गया है। पर स्थापत्य की दृष्टि से उनका बनाया दरबार हाल एक ही नज़र में अपनी बड़ी बड़ी मेहराबों और दीवारों पर उत्कीर्ण नक्काशी से अपना ध्यान आकर्षित करता है।
किले में इसके आलावा गज मंदिर, चंद्र महल, सुर महल और डूंगर निवास जैसी खूबसूरत इमारतें भी हैं। सभी महलों में शीशे बड़े बेतरतीब ढंग से लगे दिखाए देते हैं। इसकी वज़ह ये थी कि राजा किसी भी कोण से आने वाले दुश्मन के प्रति पहले से ही सजग हो जाएँ। बीकानेर के शासकों के रहन सहन, उनके द्वारा उस ज़माने में प्रयुक्त वस्तुओं और उनके शस्त्रों को बड़े करीने से यहाँ के संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। इस श्रंखला की अगली कड़ी में आपको ले चलेंगे यहाँ के संग्रहालय में।
अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो फेसबुक पर मुसाफ़िर हूँ यारों के ब्लॉग पेज पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें। मेरे यात्रा वृत्तांतों से जुड़े स्थानों से संबंधित जानकारी या सवाल आप वहाँ रख सकते हैं।
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शीर्षक देखकर तो हमने समझा जूनागढ़ का क़िला पर पढ़ने पर पता चला की यह तो 'जूनागढ़' क़िला है। हमेशा की तरह सुंदर वर्णन!
ReplyDeleteहमने आप का ABP पर साक्षात्कार देखा, बहुत स्पष्ट और सार्थक वार्तालाप था। २००६ का ब्लॉग-जगत याद आया। बधाई!
शुक्रिया प्रेमलता जी ! पिछले आठ सालों के इस सफ़र में आप जेसे लोगों के साथ बने रहने से ही मेरी लेखनी क्रियाशिल रही है।
Deleteबहुत सुन्दर मनमोहक तस्वीरों के साथ सुन्दर यात्रा वृतांत ..
ReplyDeleteधन्यवाद :)
DeleteShandar hai Juunagadh. Bikaner mtlab Maharaja Ganga singh ji
ReplyDeleteनिसंदेह गंगा सिंह ने बीकानेर के विकास में महती योगदान दिया पर हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अगर राव बीका नहीं रहते तो बीकानेर कैसे बनता? राजा राय सिंह के पराक्रम के बिना जूनागढ़ किला कैसे बनता?
Deleteअति उत्तम!
ReplyDeleteधन्यवाद जी !
DeleteOh yeh jagah bhi nahi dekha abhi tak. Kitna kuch hai dekhne ko.
ReplyDeleteकितना भी कुछ देख लीजिए। बहुत कुछ बचा तो रहेगा ही देखने को।
Deleteआपका लेखन कला काबिले तारीफ।
ReplyDeleteमुझे महसूस हो रहा है मानो मै खुद किला में हु।
अच्छा ऐसा..जानकर प्रसन्नता हुई। यही मेरा उद्देश्य भी है।
Deleteआपकी लैखनी मै वाकहि जादू है।शुभ कामनाएँ
ReplyDeleteसराहने और उत्साह बढ़ाने का शुक्रिया !
DeleteBhut sunder lega
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई।
DeleteVery nice sir
ReplyDeleteNice to know that u liked the post.
DeleteBahut ACHHA Sir Ji
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteएक बार हमारे बीकानेर मे आके तो देखिये।
ReplyDeleteआप सभी जगह भूल जाओगे।।।।
thanku ji ap ne hmko en mhlo kea baare me btaya hm en mhlo ko dekhne kea lea jarur aaege
ReplyDeleteजानकर खुशी हुई कि आपको ये विवरण पसंद आया।
DeleteBeautiful.....
ReplyDeleteThanx for appreciation.
Deletea lot of thanx to introduce me for this fort
ReplyDeleteजानकर खुशी हुई कि आपको ये विवरण पसंद आया।
Deleteबहुत सुंदर ।।।।
ReplyDeleteशुक्रिया यहाँ पधारने का !
DeleteI like this
ReplyDeleteशुक्रिया !
DeleteNice
ReplyDeleteThx !
DeleteNice ese bhi travel kiya ja sakta hai. ...:-D
ReplyDeleteThank's for knowledge
ReplyDeleteशुक्रिया यहाँ पधारने का !
DeleteVery very good junagadh fort
ReplyDeleteJail rajputana
ReplyDeleteVery good aap chitorgarh k baare me bhi btaye
ReplyDeleteचित्तौड़गढ़ पर पहले ही विस्तार से लिख चुका हूँ। यहाँ देखें
DeleteAap ka profession kya hai aur aap saal mein kitne baar bahar ghumne jate hai
ReplyDeleteमैं पेशे से इंजीनियर हूँ। घूमने का जब भी मौका लगे निकल जाता हूँ। कभी कार्यालय के कामों से भी निकलना होता रहता है। जैसे इस साल मैं कोलकाता, शिलाँग, बरहमपुर, चिलका, चेरापूँजी और गुवहाटी गया वहीं कार्यालय के काम से नियाग्रा और टोरंटो जाने का मौका मिला।
DeleteSir aap jese logo ki vajah se hume bahut kuch dekhne or samajne milta h.... or aap acha introduce karte ho verry well sir......
ReplyDeleteThanks Smit Luhar !
DeleteNice
ReplyDeleteThx for appreciation.
DeleteThanx for knowledge
ReplyDeleteKeep visiting the site .
Deleteमनीष भाई अभी बीकानेर घूमकर वापस आया हूं और जाने से पहले ये पोस्ट पढ़के गया था जूनागढ़ किले में। गाइड की जरूरत ही नहीं महसूस हुई इतनी जानकारी आपने यहां लिखी है। आगे भी ऐसे ही लिखते रहिए thanks
ReplyDeleteखुशी हुई जानकर :) !
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