नियाग्रा से 34 किमी की दूरी पर कस्बा है पोर्ट कोलबर्न का। नियाग्रा में रहते हुए हमारे मेजबान हमें लेक एरी पर बसे इस छोटे से कस्बे में ले गए। ये सफ़र मेरे लिए इसलिए भी ख़ास रहा क्यूँकि कनाडा में पहली बार हम ऐसी जगह में थे जहाँ विदेशी पर्यटक कम ही जाते हैं। लिहाज़ा वहाँ के लोगों की ज़िंदगी को पास से देखने का एक छोटा ही सही पर अवसर हमें मिला।
जिस शाम हम वहाँ पहुँचे उस दिन वहाँ पुरानी कारों की प्रदर्शनी लगी थी। सप्ताह में एक दिन लोग बाग पचास व साठ के दशक की अपनी पुरानी कारों को चमका कर वहाँ लाते हैं और फक़्र से उसे सड़क के किनारे खड़ा कर अन्य कार प्रेमियों से गपशप में मशगूल हो जाते हैं। यानि एक जैसे शौक़ रखने वालों के लिए कुछ पल साथ बिताने का ये अच्छा मौका हो जाता है। तो चलिए आज आपको दिखाते हैं कि कनाडा की इन नई पुरानी कारों को जो उस दिन हमारे सामने नई नवेली दुल्हनों की तरह सज सँवर कर खड़ी थी..
जिस शाम हम वहाँ पहुँचे उस दिन वहाँ पुरानी कारों की प्रदर्शनी लगी थी। सप्ताह में एक दिन लोग बाग पचास व साठ के दशक की अपनी पुरानी कारों को चमका कर वहाँ लाते हैं और फक़्र से उसे सड़क के किनारे खड़ा कर अन्य कार प्रेमियों से गपशप में मशगूल हो जाते हैं। यानि एक जैसे शौक़ रखने वालों के लिए कुछ पल साथ बिताने का ये अच्छा मौका हो जाता है। तो चलिए आज आपको दिखाते हैं कि कनाडा की इन नई पुरानी कारों को जो उस दिन हमारे सामने नई नवेली दुल्हनों की तरह सज सँवर कर खड़ी थी..
Port Colborne, Niagara, Canada |
पोर्ट कोलबर्न नियाग्रा के दक्षिणी तट पर बसा एक छोटा सा कस्बा
यहाँ भारत में हम इतने ही आकार में अंबेसडर बनाकर उसमें दर्जन भर लोगों को घुसा लें। पर यहाँ तो लंबाई व तीखे नैन नक़्श वाली इक कारों में बताइए सिर्फ दो ही लोग बैठ सकते थे।
जितनी रुचि यहाँ लोगों को गाड़ी का बाहरी स्वरूप देखनी की थी उतनी ही तन्मयता से वे उसमें लगे इ्ंजन की बारीकियों पर भी बातें कर रहे थे।
बिहार में एक बड़ी प्रचलित लोकोक्ति है नए ज़माने की कि ऊपर से फिट फाट ,अंदर से मोकामा घाट :)। पर यहाँ ऐसा नहीं था बाहर से लेकर अंदर तक कार के हिस्से चमचमा रहे थे।
और ये छुटकी तो अपने अजीबो गरीब बाहरी स्वरूप की वज़ह से लोगों का खासा ध्यान आकर्षित कर रही थी़।
और इनके तो क्या कहने जितना बैठने की जगह उतनी ही लंबी डिक्की और साथ में एक कैरियर भी। मतलब लंबी ड्राइव पर अगर पूरे लाव लश्कर के साथ जाना हो तो इन जैसी सुंदरी और कहाँ?
वैसे सामान ले कर चलने की बात हो तो ये मैरून शहजादे भी कम नहीं..
कारों के चित्र लेते लेते लगा कि इस लाल परी के साथ तो एक तसवीर बनती है ना..
और इस नीलवर्णा को कैसे छोड़ देता ..नीला तो वैसे भी मेरा पसंदीदा रंग है।
कारों की इस रंग बिरंगी प्रदर्शनी को देखने के बाद हम जा पहुँचे यहाँ एक रेस्त्राँ में। भोजनालय का नाम था स्मोकिंग बुद्धा। हमारे साथियों ने बियर व रेड वाइन मँगवाई और हम अपनी शाम आइस टी से गुलज़ार करने लगे।
बड़ी ही आकर्षक व चौंकाने वाली साज सज्जा थी अंदर की। अब बताइए छत से लटकी साइकिल पहले आपने देखी है कहीं ?
मज़े की बात ये कि पहले ये परिसर यहाँ की रेलवे का स्टेशन हुआ करता था। सड़कों का जाल बिछने के बाद जब रेल से आवाजाही कम हो गई तो इसके प्लेटफार्म और भवन का इस्तेमाल रेस्ट्राँ व फिजियोथेरेपी के लिए होने लगा।
पोर्ट कोलबर्न के स्मोकिंग बुद्धा की एक बात मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा। यहाँ आने वाले टेबुल पर पड़े शीशे के नीचे निशानी के तौर पर अपने विजिटिंग कार्ड छोड़ जाते हैं। यानि कि यहाँ हर टेबुल आपको इन परिचय पत्रों से अटी मिलेगी। तो कभी यहाँ जाइए तो यहाँ मेरे नाम का विजिटिंग कार्ड जरूर ढूँढिएगा। शायद वो अभी भी वहाँ हो!:)
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वाह पुरानी कारों का अलबेला सफर।
ReplyDeleteशुक्रिया !
Deleteold world charm ! A great post Yogi .. so different !
ReplyDeleteI am not a Yogi by the way :) but thx for your appreciation.
DeleteVery interesting. Every year, Heritage car rally happens in Delhi (near India Gate)
ReplyDeleteOhh.that's great..Port Colborne also hosts a car show bur this was just a way of weekly get together of vintage car lovers.
DeleteI like the red one most.its awesome to see such a unique restaurant
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