एक समय की बात थी जब पटना के छोटे से एयरपोर्ट में भीड़ ऐसी हुआ करती थी जैसे किसी रेलवे स्टेशन पर आ गए हों। एक-एक करके विभिन्न राज्यों की राजधानियों में स्थित हवाई अड्डे बदलते चले गए पर पटना की बारी आते-आते 21वीं शताब्दी का एक चौथाई हिस्सा बीत गया। खैर देर आए दुरुस्त आए। पिछले हफ्ते पटना आना जाना हुआ तो वहां के एयरपोर्ट के इस नए रूप के दर्शन कर सका।
पटना के विमानपत्तन में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो आप गौतम बुद्ध और महावीर की धरती पर अपने कदम रख चुके हैं। परिसर की विभिन्न दीवारों पर चित्रित ध्यान मुद्रा में लीन बुद्ध और महावीर, बोधगया और पावापुरी के प्राचीन मंदिर, बौद्ध विहार में बुद्ध की वाणी को एकाग्रचित्त सुनते बौद्ध भिक्षु, बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करते बुद्ध, राज्य की ऐतिहासिक विरासत को जीवंत कर देते हैं।
जय प्रकाश नारायण के नाम पर बने इस हवाई अड्डे की दीवारें यहां जन्मे धर्मों के अलावा यहां के सांस्कृतिक और कलात्मक पहलुओं को भी प्रदर्शित करती हैं। ये तो सर्वविदित है कि बिहारी और छठ एक दूसरे के पर्याय हैं इसलिए प्रस्थान क्षेत्र में छठ त्योहार मनाते लोगों का एक विशाल चित्र लगाया गया है।
अगर चित्रकला की बात करूं तो मधुबनी पेंटिंग समूचे भारत में चर्चित हो गई है पर बिहार में चित्रकला की अन्य शैलियां भी पनपी हैं जिनके बारे में बिहार के बाहर बहुत कम ही लोग जानते हैं। हवाई अड्डे पर इन चित्रकलाओं की दो शैलियों मंजूषा और टिकुली को दिखाया गया है।
मंजूषा कला प्राचीन भारत के अंग प्रदेश यानी आज के भागलपुर के आसपास के इलाके में पनपी। बक्से के ऊपर बनाए जाने की वजह से इसे मंजूषा नाम दिया गया। दरअसल इस इलाके में हर साल अगस्त के महीने में बिहुला विषहरी पूजा मनाई जाती है। ऐसी पौराणिक कथा है कि एक साहूकार के परिवार द्वारा सर्प देवी की पूजा न करने से कुपित होकर देवी मनसा ने बहुला के पति लखेंद्र को डस लिया था। बहुला अपने मृत पति के साथ स्वर्ग जाकर अपने पति को जीवित वापस लौटाने में सफल रही थी। इस चित्रकला में इसी पौराणिक गाथा के विभिन्न प्रसंगों को चित्रित किया जाता है। इस कला की खास बात यह है कि इसमें मुख्य तौर पर हरे, गुलाबी और पीले रंग का इस्तेमाल होता है। वैसे वहां प्रदर्शित चित्र में गुलाबी की जगह मुझे लाल रंग प्रयुक्त होता दिखा।
हमारे यहां टिकुली का अर्थ महिलाओं द्वारा लगाई जाने वाली बिंदी से लिया जाता है। टिकुली चित्रकला में छोटी-छोटी बिंदियों को मिलाकर नमूने बनाए जाते हैं और चित्र को आकार दिया जाता है इसलिए इसका ऐसा नामकरण किया गया है। पटना के आसपास और मिथिला के इलाकों में प्रचलित इस चित्र कला के बारे में मुझे भी यहीं आकर पता चला। इन चित्रों में अक्सर रामायण और कृष्ण लीला से जुड़े प्रसंगों को दिखाया जाता है।
#PatnaAirport #travelwithmanish #Patna
आप सही कह रहे हैं नया वाला हवाई अड्डा बहुत आकर्षक है।
जवाब देंहटाएंहां जिस हालत में था वहां से तो लंबी छलांग है🙂
हटाएंबिहार केवल दो बार जाना हुआ है और हर बार यही महसूस हुआ कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध इस राज्य को हर स्तर पर पिछड़ा बनाए रखने का ठेका इसके नेताओं ने जितनी संजीदगी से उठा रखा है, उसकी दूसरी मिसाल देखने को नहीं मिलती। और सचमुच हम आज तक केवल मिथिला चित्रशैली से ही परिचित थे, टिकुली और मंजूषा का जैसा जिक्र आपने किया है, उसे देख-पढ़कर अब एक बार फिर उत्कंठा से भर गई हूं, बिहार को और टटोलने, और जानने-समझने की उत्कंठा।
जवाब देंहटाएंसही कहा नेताओं ने सिर्फ अपनी रोटी सेकी है अब तक पर बिहार अपने गौरवशाली अतीत को अगर पुनः पाना है तो यहां के लोगों को अपनी सोच और आचार व्यवहार में आमूलचूल परिवर्तन लाना होगा।
हटाएं