शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

हरियाली कर्नाटक की : चलिए मेरे साथ शिमोगा से बैंगलोर

कर्नाटक का एक जिला है शिमोगा। कभी जोग जलप्रपात की सैर करनी हो तो बैंगलोर से यहीं आना पड़ता है। पिछले महीने कार्यालय के काम से इस जिले में जाना पड़ा। वैसे तो शिमोगा में हवाई अड्डा है पर बैंगलोर से यहां आने जाने के लिए ट्रेन ज्यादा सुविधाजनक रहती है। 

सुपाड़ी के पंक्तिबद्ध वृक्ष

रेल यात्रा में ये दूरी तय करने में पांच साढ़े पांच घंटे लगते हैं और रेलगाड़ी तुमकूर, हासन और चिकमगलूर जिले के कुछ इलाकों को छूती हुई शिमोगा में प्रवेश कर जाती है। चिकमगलूर के बिदूर और कुदूरू इलाकों में नारियल और सुपाड़ी के बागान खेत खलिहानों और चरागाहों के साथ साथ चलते हैं। सुपारी के युवा ठिगने पेड़ों के पीछे नारियल की पंक्तिबद्ध कतार जय वीरू की जोड़ी जैसी लगती है और पूरी यात्रा में साथ न छोड़ती हुई नज़र आ रही थी। नारियल और सुपारी सरीखी व्यावसायिक फसलों की खेती ने इन इलाकों में जो सम्पन्नता लाई है वो यहां के ग्रामीण इलाकों में स्पष्ट झलकती है।

हासन जिले का एक सुंदर गांव

चिकमगलूर तो वैसे भी कर्नाटक में कुर्ग और सकलेशपुर सरीखा एक शानदार हिल स्टेशन है। हासन जिले के अरसीकेरे को पार करने के बाद तुमकूर की बारिश में धुली धुली पहाड़ियां मन को लुभाती हैं पर असली आनंद ट्रेन की खिड़कियों के मध्य में अचानक उभरते मंदारगिरी पर्वत के ऊपर के भव्य मंदिर को देख कर आता है। चोटी पर बने वृक्ष के नीचे जैन तीर्थंकरों की प्रतिमा है। पहाड़ के नीचे एक झील भी है जहां लोग बाग सप्ताहांत में अक्सर बैंगलोर से पहुंचते हैं।

मंदारगिरि के ऊपर स्थित भव्य जैन मंदिर

दूर से पहाड़ पर दिखता वृक्ष एक बोधिवृक्ष की तरह दिखाई देता है पर आपको जान कर आश्चर्य होगा कि दक्षिण पूर्व कर्नाटक में मंदारगिरि पहाड़ की चोटी पर बना ये मंदिर बौद्ध मंदिर नहीं बल्कि एक जैन मंदिर है।

इसकी चोटी पर बारहवीं शताब्दी में बने चार जैन मंदिर हैं जिनमें एक प्रतिमाविहीन है जबकि बाकी के मंदिर तीर्थंकर पार्श्वनाथ,चंद्रप्रभा और सुपार्श्वनाथ को समर्पित हैं। इन मंदिर समूह के साथ यहां एक स्तूप भी है और पर्वत के समक्ष एक झील भी जो मानसून के समय इस जगह की सुंदरता और बढ़ा देती है। यहां तुमकूर या फिर बेंगलुरु से भी सहजता के साथ पहुंचा जा सकता है।

रामदेवरा बेट्टा

तुमकूर के निकट की एक पहाड़ी जो रामदेवरा बेट्टा के नाम से जानी जाती है। ये पहाड़ी गिद्धों की आश्रय स्थली है। इस पहाड़ी के ऊपर ट्रेक करके जाया जा सकता है, हालांकि ये इतना आसान ट्रेक भी नहीं है । तकरीबन ऊपर तक की सात किमी की दूरी को तय करने में साढ़े तीन घंटे लग जाते हैं।

तो आइए देखें इस रेलयात्रा में चलती ट्रेन से ली गई कुछ अन्य तस्वीरें 👇

घुमड़ते बादल और धरा पर पानी के चारों ओर बिखरी हरियाली

कर्नाटक की जानी पहचानी लाल मिट्टी



हरी भरी वसुंधरा के ऊपर स्याह बादलों का डेरा

नारियल वृक्षों की बहार 

सुपाड़ी के पंक्तिबद्ध पेड़, कुदूरू

नारियल के पेड़ों के बीच छुपा गांव


तुमकूर की पहाड़ियां

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह मनीष जी । आपकी फोटोग्राफी इतने कमाल की है कि क्या कहने 👌 ऐसा लगता है जैसे आपके फोटोग्राफ लेने के लिए उस जगह की हरेक शय को किसी ने धो पोंछ कर चमका कर साफ करा है कि आप आने को हैं और फोटो लेंगे 🤗

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    1. Amita Mishra बस मुझे बस वो दृश्य पकड़ने की कोशिश करनी होती है। बाकी चलती ट्रेन में क्लिक की timing ही मायने रखती है कब रेल का खंभा या अचानक कोई और अवरोध सामने आ जाए। बाकी तो करिश्मा कुदरत का है।🙂

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  2. कर्नाटक की प्राकृतिक सुंदरता वास्तव में अद्वितीय है और उससे भी बढ़कर है आपका प्रस्तुतिकरण! 💖

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    1. Virendra Kumar झारखंड की ही तरह बेहद हरा भरा राज्य है कर्नाटक पर उत्तर भारत से वानस्पतिक विभिन्नता साफ नज़र आती है। पसंद करने के लिए हार्दिक आभार।

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  3. अत्यंत मनमोहक दृश्य कर्नाटक के प्राकृतिक सौंदर्य का। बहुत सुंदर प्रस्तुति। सादर।

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    1. Harendra हां रमणीक हैं कर्नाटक के इस हिस्से की छटाएं।

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  4. सदा की भाँति जीवंत चित्र और आपके सटीक अंकन । खूब बधाई ।

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    1. आपको चित्र मोहक लगे जानकर प्रसन्नता हुई🙂

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