शिलांग प्रवास के दूसरे दिन हमने चेरापूंजी की राह पकड़ी । अब यूँ तो चेरापूँजी बारिश के लिए जाना जाता है पर उस दिन आसमान लगभग साफ था। काले बादलों का दूर दूर तक कोई नामो निशान नहीं था। शिलांग से चेरापूंजी की दूरी साठ किमी की है, जिसे रुकते रुकते भी आराम से दो घंटे के अंदर पूरा किया जा सकता है। रुकते रुकते इसलिए कि शिलांग से वहाँ तक की डगर इतनी रमणीक है कि आपका दिल बार बार गाड़ी पर ब्रेक लगाना चाहेगा। वो कहते हैं ना कि गन्तव्य जितना महत्त्वपूर्ण रास्ता भी होता है तो वो बात इस सफ़र के लिए सोलह आने सच साबित होती है। तो चलिए मेघालय यात्रा की इस कड़ी में आज आपको दिखाता हूँ शिलांग से चेरापूंजी तक के सफ़र को अपने कैमरे की नज़र से..
Shillong Cherrapunji Highway |
पर इससे पहले कि मेघालय के इस राज्य राजमार्ग 5 पर आगे बढ़ें चेरापूँजी और सोहरा के नामों से आपके दिल में जो संशय पैदा हो गया होगा उसे दूर कर देते हैं। दरअसल इस स्थान का वास्तविक नाम सोहरा ही है जो किसी ज़माने में खासी जनजाति प्रमुख द्वारा शासित इलाका हुआ करता था। अब अंग्रेजों ने सोहरा नाम को चुर्रा नाम क्यूँ बुलाना शुरु किया ये मेरी समझ से बाहर है। पर कालांतर में ये नाम चुर्रा से चेरा और फिर चेरापूंजी हो गया। वैसे अब मेघालय सरकार ने अपने साईनबोर्ड्स पर इस जगह के पुराने नाम को अपनाते हुए सोहरा को ही लिखना प्रारंभ कर दिया है।
वैसे भी संसार का सबसे गीला स्थान होने का तमगा भी अब चेरापूंजी से छिनकर पास के गाँव मॉसिनराम को चला गया है।
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बारिश इस इलाके में पहले से कम जरूर हुई है पर शिलांग से सोहरा तक के रास्ते की हरियाली देखती ही बनती है। पूर्वी खासी की पहाड़ियों में फैले हरे भरे घने जंगल, पतली दुबली नदियाँ और पहाड़ी ढलानों में थोड़ी भी समतल भूमि मिलने से बोई गई फसलों के नजारे इस रास्ते को अपनी अलग पहचान देते हैं। दो जगहों की तुलना मुझे कभी नहीं भाती और स्कॉटलैंड मैं गया नहीं पर यहाँ के सदाबहार जंगलों की हरियाली की वजह से ही इसे शायद स्काटलैंड आफ दि ईस्ट कहा जाता हो।
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मेघालय की कुल भूमि का दस प्रतिशत ही खेती योग्य भूमि के रूप में इस्तेमाल होता है पर यहाँ की आधी से ज्यादा जनता कृषि से ही अपनी जीविका चलाती है। धान, आलू और अन्य फल और सब्जियों की खेती में मेघालय, अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में कहीं आगे है। खेत खलिहानों को पीछे छोड़ते हम खासी पहाड़ियों की संकरी घाटी में जा पहुँचे ।
करीब घंटे भर की यात्रा के बाद गाड़ियों की आगे लंबी कतार देखकर हमने भी गाड़ी रुकवाई। बाहर बोर्ड पर Duwan Sing Syiem View Point लिखा था।
Duwan Sing Syiem View Point, Sohra |
विउ प्वाइंट नीचे उतर के बांयी ओर था। दरअसल यहाँ से Mawkdok Dympep घाटी का बड़ा
प्यारा दृश्य दिखता है। किसी भी पहाड़ी पर इतनी सघनता से उगे वृक्षों को मैं
पहली बार देख रहा था।
Me with backdrop of dense forest घने जंगल के बीच मैं :) |
Mawkdok Dympep Valley View, Sohra |
Mawkdok Dympep Valley View, Sohra |
Pine trees on the route सड़क के किनारे चीड़ के पेड़ |
पन्द्रह मिनट भी नहीं हुए थे कि घाटी का एक और खूबसूरत घुमावदार मोड़ आ गया। गाड़ी रुकी और मैं झट से एक चेक डॉम को पार कर पास की पहाड़ी के ऊपर जा पहुँचा। ऊपर जा कर लगा बस यहीं अड्डा जमा लिया जाए। साँप की तरह बलखाती सड़क हरी भरी घाटी के बीच मन को मुग्ध कर दे रही थी। दूसरी ओर बाँध के पास का गहरा जल ख़ुद इतना हरा हो गया था मानो आसपास की हरियाली का रस उसने अपने में निचोड़ लिया हो।
Latara Falls, Cherrapunji |
अब हम झरनों के शहर चेरापूंजी यानि सोहरा के बिल्कुल पास पहुँच गए थे। रास्ते में Latara और Wahkaba के झरने सड़क से ही दिखाई दिए। बरसात का मौसम जा चुका था इसलिए Latara में पानी ना के बराबर था पर Wahkaba में दो चरणों में पानी द्रुत गति से बह रहा था।
Wahkaba Falls, Cherrapunji वाहकाबा जलप्रपात |
चेरापूंजी
की ओर सफ़र की शुरुआत तो इतनी खूबसूरत हुई थी पर शाम तक बहुत कुछ और होना
भाग्य में लिखा था। इस श्रंखला की अगली कड़ी में दिखाएँगे आपको चेरापूंजी का सबसे सुन्दर झरना और बताएँगे कि क्यूँ उस झरने से जुड़ी एक दुखभरी कथा मेरे कैमरे की भी कहानी बन गयी।
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बहुत ही मन मोहक यात्रा ।
ReplyDeleteमै इतना नजदीक रहकर अभी तक नही जा पाया हूॅ ।अब मौका मिलते ही एक चक्कर लगाऊंगा ।
कपिल आप फिलहाल कहाँ रहते हैं?
Deleteजोरहट (असम )के पास मरियानी मे ।
Deleteशानदार और जानदार यात्रा ।
ReplyDeleteशुक्रिया साथ बने रहने के लिए!
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05-04-2016) को "जय बोल, कुण्डा खोल" (चर्चा अंक-2303) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार !
Deletelovely green highway. No such highway in Himalayan area in north
ReplyDeleteअपनी यात्राओं के संदर्भ में मुझे अल्मोड़ा सोमेश्वर कौसानी व अल्मोड़ा बिनसर मार्ग भी हरा भरा लगा था। पर इस मार्ग पर आबादी बहुत कम है और जंगलों की सघनता बहुत ज़्यादा !
Deleteअब तक चेरापूंजी सिर्फ किताबों में ही पढ़ा था आज देख भी लिया धन्यवाद।
ReplyDeleteअरे बुआ जी अभी चेरापूंजी पहुंचे नही । अगली पोस्ट में पहुंचेंगे ।
Deleteदर्शन जी ये सारे चित्र शिलांग और चेरापूंजी के बीच के रास्ते में रुक रुक कर लिए गए हैं। चेरापूँजी शहर तो छोटा सा है जिससे हम इस श्रंखला की अगली कड़ी में गुजरेंगे।
Deleteबहुत ही खूबसूरत जगह का बेहतरीन वर्णन ! अगली पोस्ट की उत्सुकता कायम है...चेरापूंजी का नामकरण और असली नाम पहली बार पढ़ा ।
ReplyDeleteजानकर खुशी हुई कि आपको ये वर्णन पसंद आया।
DeleteBhut hi shandar kisi din me jrur in jagah pr jauga or sir ji camera ka kya hua apne kaha tha es post me btaege wait kr rha hu apki post ka jldi hi btaega es shrankhla ki agli kdi me
ReplyDeleteमैं सोच रहा था कि ये सवाल जरूर आएगा। पर पोस्ट इतनी लंबी हो रही थी इसलिए ब्रेक लगाना पड़ा। अब देखो चेरापूंजी के सारे झरनों की यात्रा अगली पोस्ट में भी सिमट पाती है कि नहीं।
DeleteI relived what I saw when my daughter was studying in iim Shillong. Thank you
ReplyDeleteI am happy that u liked the post.
Deleteआपका व्रतांत पढ कर लगता है कि मेरी आंखो से शायद मनीष देख रहे है
ReplyDeleteमतलब आप यहाँ जा चुके हैं।:)
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति ... जय मां भवानी
ReplyDeleteधन्यवाद !
DeleteBehtreen yatra vivran...
ReplyDeleteशुक्रिया पसंद करने के लिए !
DeleteATI Sundar bahut Sundar
ReplyDeleteशुक्रिया !
DeleteKon se shamay jana chahiye
ReplyDeleteअभी सही समय है जाने का आगर मानसून को पास से महसूस करना चाहते हों तो। अन्यथा सितंबर से नवंबर के बीच जाएँ। हम वहाँ अक्टूबर में गए थे।
DeleteMAIN BHI UTTARAKHAND SE HU TO WAHA BHI BAHUT SUBDAR PAHADIYA HAIN MUJHE BHI PAHAD BAHUT PASAND HAI
ReplyDeleteMAIN BHI EK BAAR CHERAPUNJI MAWSINRAM JANA CHAHTA HU
BACHPAN ME EK KAHANI PADI THI CHERAPUNJI KI AB KHUD SE EK WADA KIYA HAI MENE KI EK BAAR JARUR JAUNGA ITNA KHUBSURAT BHARAT HAI HAMARA
JAI SREE KRISHNA