इन नए पुराने रूपों को सामने लाने में शहर की इमारतों का ख़ासा योगदान होता है। आज की ये चित्र पहेली ऍसी ही कुछ इमारतों से जुड़ी है। नीचे के चित्रों को देखिए। पहले चित्र में आपको एक जर्जर होती हवेली दिखाई पड़ेगी जबकि दूसरे में अंग्रेजों के ज़माने में बना कोई कार्यालय या जमींदार का मकान ! आप सोच रहे होंगे कि इन इमारतों में ऍसा खास क्या है? ऍसी इमारतें या इनसे मिलती जुलती खंडहर होती हवेलियाँ तो आपने पहले भी देखी होंगी।
तो बस यही तो दिमागी घोड़े आपको दौड़ाने हैं जनाब ! ये दोनों चित्र एक बात में बिल्कुल एक जैसे हैं यानि इनकी एक विशेषता इन्हें एक ही कोटि में ला खड़ा करती है। तो बताइए क्या है वो विशेषता ?


(ऊपर के दोनों चित्रों के छायाकार हैं मेरे सहकर्मी प्रताप कुमार गुहा)
पहेली का जवाब इसी चिट्ठे पर आपको मिल जाएगा। तब तक आपके कमेंट माडरेशन में रहेंगे।
पुनःश्च (20.11.09, 11.30 PM IST): आप सब में से बहुतों ने पहेली के हल तक पहुँचने के लिए संकेतों की माँग की थी। चलिए आपका काम कुछ आसान करने के लिए संकेत हाज़िर हैं
संकेत १ : ये दोनों चित्र पश्चिम बंगाल के एक शहर के हैं।
संकेत २ : चित्र में दिखाई देने वाली हवेलियाँ छायाकार को एक ही इलाके में दिखी थीं और उस इलाके में एक का नाम राजस्थान के एक ऐतिहासिक नगर के नाम पर है।
संकेत ३: खिड़कियों का तो आप सब ने बड़ी सूक्ष्मता से अध्ययन किया। पता नहीं आपके मन में ये खटका क्यूँ नहीं हुआ कि पहले चित्र में इतनी जर्जर हो चुकी हवेली के पहले तल्ले से झाड़फानूस की रौशनी कैसे आ रही है? है ना ये विडंबना।
संकेत १ : ये दोनों चित्र पश्चिम बंगाल के एक शहर के हैं।
संकेत २ : चित्र में दिखाई देने वाली हवेलियाँ छायाकार को एक ही इलाके में दिखी थीं और उस इलाके में एक का नाम राजस्थान के एक ऐतिहासिक नगर के नाम पर है।
संकेत ३: खिड़कियों का तो आप सब ने बड़ी सूक्ष्मता से अध्ययन किया। पता नहीं आपके मन में ये खटका क्यूँ नहीं हुआ कि पहले चित्र में इतनी जर्जर हो चुकी हवेली के पहले तल्ले से झाड़फानूस की रौशनी कैसे आ रही है? है ना ये विडंबना।
वैसे उत्तर के साथ मैं आपको ले चलूँगा इन हवेलियों के अंदर :) ! तब तक चलिए थोड़ा विचार कर देखिए।
Update 21.11.09, 8.42 PM
संकेत ४: दूसरी इमारत की छत की रेलिंग कुछ अलग सी नहीं है क्या? इसके आलावा भी दूसरे चित्र को ध्यान से देखने पर आपको एक संकेत और दिखाई देगा।
पहेली का जवाब 24 November को 10.40 AM पर बताया जाएगा।
एक तो समान बात ये कि ये दोनों एक ही पहेली का हिस्सा बने है..;)
ReplyDeleteआपकी पहेलियां तो मेरे पल्ले बिल्कुल भी नहीं पडती .. अगले आलेख में आकर जबाब देख जाऊंगी !!
ReplyDeleteदोनों इमारतों की खिडकियों की (जाली, चिक पल्ले) लकडी के हैं। और बिल्कुल एक जैसे साईज और डिजाईन में हैं।
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार करें
संगीता जी पहेलियाँ थोड़ी टेढ़ी तो होती हैं पर फिर भी लोग सही जवाब बता ही जाते हैं। पिछली बार तो संजय व्यास जी पहली टिप्पणी में ही सही जवाब तक पहुँच गए थे।
ReplyDeleteदरअसल जिस शहर की ये तसवीरें हैं उनके लिए ये पहेली उतनी मुश्किल नहीं है और बाकी लोगों के लिए इसका उत्तर सभी को चमत्कृत अवश्य करेगा।
हा हा !!
ReplyDeleteमुझे रंजन जी का जवाब बहुत बहुत पसंद आया | :)
वैसे जहाँ तक जान पड़ता है खिड़कियों के पल्लों का डिजाईन एक जैसा है | किस प्रदेश का है ये तो बता दीजिये |
रंजन हाँ भाई ये तो है !
ReplyDeleteअंतर सोहिल निशा चित्रों का इतनी सूक्ष्मता से अध्ययन कर अनुमान लगाने के लिए धन्यवाद। आपका उत्तर सही है या गलत ये कुछ दिन बाद इस ब्लाग पर बताया जाएगा।
निशा हम्म्म आपने जो पूछा है उसका क्लू इन चित्रों में से एक में छुपा है। एक बार फिर गौर से देखिए ना प्रदेश का पता मिल जाएगा :)
उत्तर खोजने का प्रयास कामयाब नहीं हुआ तो भी खुद को एक अवसर दे रहा हूँ. ये दोनों इमारतें संभवतः फ्रेंच वास्तु शिल्प का नमूना है.
ReplyDeleteइसके उत्तर का इंतज़ार रहेगा.
ये जो खिड़कियाँ हैं इनकी खासियत है कुछ. एक तो स्पष्ट है नेचुरल लाइट जाने के लिए खिड़की की पट्टियों को उल्टा होने चाहिए था. पर इन खिडकियों से बाहर देखने में आसानी होगी. बाकी तो कोई सिविल इंजीनियर ही बतायेगा.:)
ReplyDeleteबिल्डिंग का नाम प्रण है.
ReplyDeleteशायद टैगोर से संबंधित तो नहीं? कोई क्लू दिया जाये!
प्रदेश तो पता लगा...वेस्ट बंगाल!
ReplyDeletepeela rang, ek jaisi khidkiya aur unke paat to easily najar aagayi, pradesh mere khyal se punjab ke kisi shahar ka hoga kyonki purani haveli par mere khyal se punjabi me uska naam likha hua hai. to kya ye hint ho sakata hai?
ReplyDeleteरेखा जी समीर भाई ने प्रदेश का तो सही पता लगा लिया है, यानि सबके लिए मैं एक बार बता देता हूँ कि दोनों ही चित्र पश्चिम बंगाल के एक ही शहर के हैं। मैं आप सब के जवाब इसलिए प्रकाशित कर रहा हूँ ताकि आपको सही जवाब तक पहुँचने में आसानी हो। आवश्यकता पड़ने पर कल सुबह आपको नए संकेत दिए जा सकते हैं।
ReplyDeleteअभिषेक आपके उत्तर से ये तो स्पष्ट है कि आपने विगत कुछ वर्षों से खिड़कियों से काफी ताक झाँक की है वर्ना अंदर से बाहर और बाहर से अंदर देखने का फंडा इतना पक्का कैसे हो पाता :)
ReplyDeleteनेताजी का घर - कतक वाला ?
ReplyDeletemere khayal se dono hi British colonial architecture ke namoone hai kyonki dono hi ek hi colony me banay gaye hai kyo?
ReplyDeleteBaap re ! Main to kabhi paschim bengal hee nahi gayi. paheli zara tedhi hai.
ReplyDeleteJaipur, Purulia to nahin?
ReplyDeleteइस पहेली के लिए चौथा और आखिरी संकेत दे दिया गया है। वैसे दिमाग अगर ज्यादा ही कनफ्यूज्ड हो गया हो तो २४ तारीख तक इसके उत्तर का इंतज़ार करें।
ReplyDelete