शनिवार, 5 दिसंबर 2009

कोलकाता पूजा पंडालों की सैर : बिष्णुपुर की टेराकोटा कला और फिल्म निर्देशक गौतम घोष का कमाल...

पिछली पोस्ट में आपने देखा लत्तरों से बना इगलू वो भी एक पूजा पंडाल के रूप में। पर अगर दुर्गा माँ बर्फीले प्रदेशों के इगलू में विराजमान हो सकती हैं तो कुछ ऊँचाई पर लटकते बया के घोसले में क्यूँ नहीं! विश्वास नहीं हो रहा तो बादामतला (Badamtala) की इन तसवीरों पर नज़र डालिए।



इस पंडाल की साज सज्जा के पीछे हाथ है कला फिल्मों के जाने माने निर्देशक गौतम घोष का। अगर नीचे के चित्र को आप बड़ा कर के देखेंगे तो पाएँगे कि गौतम ने माँ दुर्गा को एक आदिवासी महिला का रूप दिया है जिसने बया के घोसले को अपना घर बनाया है और जिनके हर हाथ में हथियारों की जगह तरह तरह की चिड़िया हैं जो शांति का संदेश देती हैं।। पर ये घोसला जमीन पर इसलिए आ गिरा है क्यूँकि महिसासुर रूपी टिंबर माफिया ने वनों की अंधंधुंध कटाई जारी रखी है। गौतम घोष का कहना था कि ये पंडाल जंगलों के निरंतर काटे जाने से धरती के बढ़ते तापमान पर उनकी चिंता की अभिव्यक्ति है।


अगर बादामतला का ये पंडाल जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा था तो जादवपुर की पल्लीमंगल समिति का पंडाल बंगाल की ऍतिहासिक टेराकोटा ईंट कला का प्रदर्शन कर रहा था। कोलकाता से १३१ किमी दूर बिष्णुपुर में सोलहवीं और अठारहवीं शताब्दी में मल्लभूमि वंश के राजाओं के शासन काल में ये कला खूब फली फूली। आज भी बिष्णुपुर में ये खूबसूरत मंदिर मौज़ूद हैं जो बंगाल की ऍतिहासिक विरासत का अभिन्न अंग हैं।

इन पंडालों की खासियत ये है कि बांकुरा के इस मृणमई माँ के मंदिर के पूरे अहाते का माहौल देने के लिए चारों तरफ छोटे छोटे अन्य मंदिर भी बनाए गए हैं।


और चलते चलते कुछ और प्रारूपों की झलक भी देख ली जाए

ये रहा पेरिस के आपरा हाउस (Opera House)..



और ये अपना जंतर मंतर (Jantar Mantar)
यहाँ है थाई मंदिर (Thai Temple) की झलक
ये पंडाल तो किसी गैराज वाले का प्रायोजित लगता है क्यूँकि ये बना है वाहनों के कल पुर्जों से..:)


पंडाल की आंतरिक दीवारों पर की कलाकारी भी पूरा ध्यान देते हैं कोलकाता के कारीगर


और यहाँ दिख रही है लंबे लंबे दीपकों से की गई अनूठी साज सज्जा..

(ऊपर के सभी चित्रों के छायाकार हैं मेरे सहकर्मी प्रताप कुमार गुहा)

इतनी सैर के बाद आप थक चुके होंगे तो अब कीजिए थोड़ा आराम। इस श्रृंखला की अगली और आखिरी कड़ी में मैं आपको दिखाऊँगा देवी दुर्गा की प्रतिमाओं के देशज और विदेशज रूप..

8 टिप्‍पणियां:

  1. हम तो बिल्कुल नही थके जी
    अभी तो मजा आ रहा था
    कमाल की कलाकारी है
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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  2. Manish bhai,
    all the pictures are beautiful.
    Gautam Ghosh has vreated a unique concept MATA ki Chabi ...

    Jai Mata di.

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  3. Beautiful idea and captures.

    Aap kahan kahan se dhoond ker late hain ye sab?

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  4. निशा पिछली बार जब अपने शहर राँची की सड़कों पर दुर्गा पूजा का हाल बयाँ करने के लिए पोस्ट की थी तो मेरे सहकर्मियों ने कहा था कि आप कोलकाता की पूजा के बारे में लिखें। उनके द्वारा बाँटे गए अनुभवों को इस पोस्ट के माध्यम से आप सब तक पहुँचाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है मुझे। उसी का निर्वहन करने का प्रयास रहा हूँ।

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