शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

कैसा दिखता है कौसानी से त्रिशूल ? ( Trishul and Kumaon Himalayan Peaks)

कौसानी में बिताई उस आख़िरी सुबह का इंतज़ार हमारे समूह को बेसब्री से था। पहली सुबह तो वर्षा और धुंध ने काम बिगाड़ दिया था। दूसरे दिन जिस तरह आसमान खुला था उससे ये जरूर लग रहा था कि नई सुबह हमारे लिए कुछ विशेष लाएगी। सुबह पाँच बजे से ही मैं इनर, जैकेट और मफलर बाँध कर वन विश्राम गृह के उस हिस्से पर पहुँच चुका था जहाँ से कुमाऊँ हिमालय की पर्वतश्रंखलाओं  की दिखने की उम्मीद थी। वन विभाग ने इस विश्राम गृह में एक अच्छा काम ये किया है कि अहाते में ही पत्थर के चौकौर स्तंभ पर वहाँ से दिखने वाली सारी चोटियों की दिशा और दूरी अंकित कर दी है जिससे कि चोटियों को पहचानने में काफी सहूलियत हो जाती है। आपको याद होगा कि जब मैंने कानाताल से गढ़वाल हिमालय के दर्शन कराए थे तो चोटियों को पहचानने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।

सुबह के साढ़े पाँच बजे दूर क्षितिज के एक कोने से आकाश हल्की नारंगी रंग की आभा से श्नैः श्नैः प्रकाशमान होने लगा था। एकदम दाहिनी ओर से चोटियों दिखाई देनी शुरु हुई। सबसे पहले हमें पाँच चोटियों के समूह पंचाचुली के दर्शन हुए। कौसानी से ये चोटियाँ आकाशीय मार्ग से करीब अस्सी किमी की दूरी पर हैं। वैसे पंचाचुली की भव्य चोटियों को नजदीक से देखना हो तो पूर्वी कुमाऊँ में स्थित मुनस्यारी तक आपको जाना पड़ेगा। पंचाचुली की इन चोटियों की ऊँचाई 6334 मी से लेकर 6904 मीटर तक है।

 कौसानी की वो खूबसूरत सुबह

पंचाचुली से पश्चिम की ओर बढ़ें तो सबसे पहले नंदा कोट और फिर नंदा देवी की चोटियाँ दिखाई देती हैं। नंदा देवी तो जैसा कि आपको मालूम ही है कंचनजंघा के बाद भारत की सबसे ऊँची चोटी है। दूर से देखने पर ऊँचाई का तो पता नहीं चलता पर सूर्योदय के समय जो शिखर सबसे पहले चमकता है उसी से उसकी ऊँचाई का भान होता है।



नंदा देवी के पश्चिम में मृगधूनी की चोटियाँ हैं। घड़ी में अब छः बजने वाले थे और आसमान की नारंगी रंगत पहले से ज्यादा खिल उठी थी। पंचाचुली की चोटियाँ कैमरे के जूम लेंस की बदौलत और पास आ चुकी थीं।

पंचाचुली के पाँच शिखर (Five Peaks of Panchachuli)


पर हमारे सबसे नजदीक जो पर्वत शिखर था वो था मृगधूनी के और पश्चिम दिशा में त्रिशूल का। दरअसल कौसानी की पहचान ही त्रिशूल से है। त्रिशूल के आकार के इस शिखर की आकाशीय दूरी कौसानी से मात्र 37 किमी है। तीन अलग अलग चोटियों से मिलकर बने इस समूह की सबसे ऊँची चोटी की ऊँचाई 7120 m है। जितना अच्छी ये पर्वत श्रंखला कौसानी से दिखती है वैसी कहीं से नहीं दिखती।

पूर्वी कुमाऊँ पर्वत शिखर ( Eastern Kumaon Himalayan Range)

नैनीताल कौसानी और बिनसर की इस यात्रा में मुझसे बड़ी भूल ये हुई थी कि मैं अपने मुख्य कैमरे का चार्जर दिल्ली में ही छोड़ आया था। मोबाइल कैमरे की बदौलत मुख्य कैमरे की बैटरी को किसी तरह बचाकर मैने त्रिशूल की ये आख़िरी तसवीर खींची थी। पर जब धूप की किरण त्रिशूल की तीनों चोटियों पर पड़ने लगीं तब तक मुख्य कैमरे की बैटरी मूर्छित हो चुकी थी।

त्रिशूल, कौसानी (Closer View of Trishul from Kausani)

साढ़े आठ बजे तक त्रिशूल की तीनों चोटियाँ धूप से नहा चुकी थीं वहीं ऊपर उठते बादलों की वज़ह से पंचाचुली और नंदा देवी के दर्शन दुर्लभ हो चुके थे। मोबाइल कैमरे से मैंने त्रिशूल को आख़िरी बार कैमरे में क़ैद किया और अपने अगले गंतव्य बिनसर जाने की तैयारियों में लग गया।


 अलविदा त्रिशूल ( Goodbye Trishul !)

कौसानी से बिनसर जाने के वैसे तो दो रास्ते हैं। एक तो बागेश्वर से हो के जाता है जो थोड़ा लंबा है और दूसरा अल्मोड़ा हो कर। सुबह के नाश्ते के बाद हमलोग दूसरे रास्ते से अल्मोड़े के लिए बढ़े।

 वन विश्राम गृह कौसानी (Forest Guest House, Kausani )

इस रास्ते से अल्मोड़ा से कौसानी की दूरी लगभग सत्तर किमी है।  अल्मोड़े तक यहाँ की कोसी  साथ साथ चलती है। इस नदी के साथ चलने का अनुभव मैं पहले ही यहाँ बाँट चुका हूँ। अल्मोड़ा आने से ठीक पहले एक रास्ता बिनसर की ओर मुड़ जाता है। लगभग पैंतिस किमी लंबा ये रास्ता चीड़ के घुमावदारों जंगलों से गुजरता हुआ अल्मोड़ा शहर और घाटी के बेहद रमणीक दृश्यों को दिखा जाता है। 


 River Kosi on Kausani Almora Road

वैसे तो बिनसर में रहने के कुमाऊँ पर्यटन और वन विभाग के अतिथि गृह हैं पर अगर वहाँ जगह नहीं मिले तो लोग बिनसर से ठीक बीस किमी पहले दीनापानी में कुमाऊँ पर्यटन के अतिथिगृह में रुक सकते हैं।बिनसर का वन विश्राम गृह और KMYN के अतिथि गृह वहाँ के वन्य जीव अभ्यारण्य (Wild Life Sanctuary) के अंदर है। अगर आपका आरक्षण इनमें नहीं है तो आपको शाम से पहले पहले यहाँ से निकल लेना होता है।

 Flowers inside KMYN Guest House, Binsar

KMYN के अतिथि गृह में खाना खा कर (इसके लिए वहाँ रहना जरूरी नहीं है) हम दो बजे अपने ठिकाने पर पहुँचे। थोड़ी ही देर में हम बिनसर के जंगलों  में तनाव के क्षणों के बीच से गुजर रहे थे। क्या हुआ आगे जानिए इस श्रंखला की अगली कड़ी में...

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22 टिप्‍पणियां:

  1. Van Vishram Griha, Kausani ki booking kaise hotee hai, kripya batayen. Kausani ke khoobsoorat photographs ke liye dhanyavad

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    1. वन विश्राम गृह बजट में यात्रा करने के लिए अच्छे विकल्प हैं। बुकिंग के लिए DFO
      Almora 05962-230065 से संपर्क करना होगा । ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ।
      http://www.uttarakhandforest.org/hindi/downloads/ForestresthouseUK.pdf

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  2. अच्‍छा दिख रहे हो. हम लोग कब आयें, कौसानी? या सीधे जपाने आकर ज्‍वायन करें?

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  3. सुंदर दृष्य, सुंदर स्थल और सुंदर प्रस्तुति।।।

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  4. बडा मुश्किल होता है यहां पर फोटो कभी कभी ही बढिया आ पाते हैं । मेरा चार बार जाना हुआ पर एक बार ही बढिया से फोटो आये

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    1. सही कह रहे हैं। पहाड़ों पर चोटियाँ और जंगल में शेर या बाघ देखने की प्रायिकता एक जैसी ही है।

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  5. आपके चित्रों के माध्यम से जानेमाने पर्वतीय चोटियों का नज़ारा अद्भुत हैं.....

    धन्यवाद

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    1. शु्क्रिया पसंदगी ज़ाहिर करने के लिए !

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  6. aap ka lekhn ati sundr he. gyan vrdhk he.kosani ke bare me jankari mili. van visram ghr ka kirya kaya he.
    dineshkumarawasthi51@gmail.com. & dineshkumarawasthi51blogspot.in

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  7. apka likhna rochk he. gayan vrdhk bhi he .van visram grh kosani ka kiraya kitna he btane ki krpa kre.
    dineshkumarawasthi51@gmail.com. & dineshkumarawasthi51blogspot.in

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    1. पाँच सौ से कम ही लगे थे। ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ।
      http://www.uttarakhandforest.org/hindi/downloads/ForestresthouseUK.pdf
      बुकिंग के लिए DFO
      Almora 05962-230065 से संपर्क करना होगा ।

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