यह खूबी है इसका ऊपरी प्लेटफार्म जो मीनार के ऊपर अवस्थित है। ये प्लेटफार्म चारों ओर घूम सकता है। घुमावदार सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते हुए प्लेटफार्म पर पहुँचा जा सकता है। फिर मोटर का बटन दबाने की देर है और प्लेटफार्म का घूमना शुरु। गाँधी मीनार का उद्घाटन उड़ीसा के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरेकृष्ण माहताब ने मार्च 1959 में किया था। हीराकुड बाँध की यात्रा गाँधी मीनार पर जाए बिना पूरी नहीं मानी जा सकती। इस मीनार पर खड़े होकर तीन सौ साठ डिग्री के कोण पर आप जिधर नज़र घुमाएँगे प्रकृति अपने अद्भुत रूप में आपके सामने होगी। तो आइए शुरु करते हैं 360 डिग्री का ये सफ़र....
बारिश से भींगी सर्पीलाकार सड़कों का जाल , दूर दराज दिखते मकान और घास चरते मवेशी
गाँधी मीनार के पास बना ये उद्यान शाम को अपने आसपास की झिलमिलाती रोशनियों से जब नहाता है तो और हसीन दिखता है...
क्या आपको नहीं लगता ये बाँध क्या कुछ लकीरें भर है। सीधी खींची मटमैली, हरी और काली लकीरें...
और इस हरियाली और ऐसे रास्ते को देखकर भला कौन मंत्रमुग्ध ना हो जाए ?
सफर हीराकुड बाँध का : इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ
- बारिश में नहाया हुआ हीराकुड बाँध और कथा मवेशियों के द्वीप की...
- गाँधी मीनार, हीराकुड बाँध : कितनी अनूठी थी वो हरियाली और कितना रूमानी था वो रास्ता?
- नहर परिक्रमा के साथ देखिए मछली पकड़ने का ये अनोखा तरीका..
- चिपलिमा का नैसर्गिक सौंदर्य और घंटेश्वरी मंदिर
nice cliks
ReplyDeleteनयनाभिराम चित्र और कमाल की जानकारी...आनंद आ गया...
ReplyDeleteनीरज
Manish I want your next article in Hans. Come on dont waste your talent.
ReplyDeleteऐसी हरियाली सालो भर होती है या ? आप किस समय गए थे वहां ?
ReplyDeleteक्या बात है?
ReplyDeleteआजकल आपके और मेरे “मुसाफिर हूं यारों” पर बांधों की चर्चा चल रही है। एक तरफ हीराकुड है तो दूसरी तरफ भाखडा।
लगे रहिये भाई, हम भी लगे पडे हैं।
अभिषेक मैं वहाँ पिछले साल दशहरा में यानि अक्टूबर में गया था।
ReplyDeleteनीरज जाट अरे बाँध क्या अभी तो हम लोग एक जगह से ही होकर लौटे हैं। उदयपुर से हो के मैं भी आया हूँ पर एक बात अच्छी रही कि उदयपुर में मैं कुंभलगढ़, रनकपुर, एकलिंगी और सज्जनगढ़ गया तो तुम हल्दीघाटी और नाथद्वारा देख आए।
यदि आप अच्छे चिट्ठों की नवीनतम प्रविष्टियों की सूचना पाना चाहते हैं तो हिंदीब्लॉगजगत पर क्लिक करें. वहां हिंदी के लगभग 200 अच्छे ब्लौग देखने को मिलेंगे. यह अपनी तरह का एकमात्र ऐग्रीगेटर है.
ReplyDeleteआपका अच्छा ब्लौग भी वहां शामिल है.
वाह चित्र देखकर मज़ा आ गया. किसी ने टोका नहीं था ! वर्ना इस तरह की जगहों पर सरकार को सदा यही लगता है कि आतंकवादियों के पास कैमरे नहीं होते इसलिए वे हर फ़ोटो खीचने वाले को इन डैमों की फोटो खींचने के लिए भेजते रहते हैं
ReplyDeleteIndeed beautiful.
ReplyDeleteबारिश से भींगी सर्पीलाकार सड़कों का जाल...बेहद सुन्दर तस्वीर.
ReplyDeleteचित्रों में वहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती बहुत ही मनोहारी लग रही है .